गुरुद्वारा मजनूं का टीला पर केस को लेकर ‘आप’ व अकाली दल आमने-सामने

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2020 - 09:56 AM (IST)

नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): कोरोना के बढ़ते कहर के दौरान एहतियात न बरतने को लेकर ऐतिहासिक गुरुद्वारा मजनूं का टीला के प्रबंधकों के खिलाफ  दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफ.आई.आर. पर दिल्ली से लेकर पंजाब तक सियासत गर्मा गई है।

एफ.आई.आर. बेशक दिल्ली में हुई है लेकिन पंजाब की सियासी पिच पर उसकी तपिश का लाभ उठाने के लिए शिरोमणि अकाली दल (बादल) सरगर्म हो गया है। इसके बाद दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी दिल्ली से लेकर पंजाब तक अकाली दल पर हमलावर हो गई है। अकाली नेताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए ‘आप’ ने अकाली दल को केंद्र सरकार से इस बाबत तलबी करने की नसीहत भी दे दी है। इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी और शिअद आमने-सामने आ गए हैं।बता दें कि मजनूं का टीला गुरुद्वारे में 3 दिनों तक 200 से अधिक पंजाब जाने वाले लोगों को एक हाल में इकट्ठा रखने को लेकर दिल्ली पुलिस ने गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर केस दर्ज किया था। निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात के खुलासे के बाद दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में गुरुद्वारे से 205 लोगों को निकालकर क्वारंटाइन किया था।

दिल्ली पुलिस ने सरकार को बिना बताए लोगों के एकत्र करने के मामले में केस दर्ज किया था। केस दर्ज होने के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस एफ.आई.आर. का ठीकरा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिर फोड़ा था। शुक्रवार को सिरसा ने केजरीवाल को ट्वीट टैग करते हुए उक्त एफ.आई.आर. रद्द करने की गुहार लगाई थी। साथ ही दावा किया था कि दिल्ली कमेटी कोरोना के मुश्किल वक्तमें लाखों लोगों को लंगर खिला रही है। इसके बाद शुक्रवार की शाम गुरुद्वारा बंगला साहिब की स्टेज से सिरसा ने केजरीवाल सरकार को अप्रत्यक्ष तौर पर एहसान फरामोश तक बता दिया था। सिरसा ने कहा था कि उनके विधायक हमारे से इलाकों में बांटने के लिए लंगर लेकर जा रहे हैं और हमारे ऊपर एफ.आई.आर. दर्ज करवा रहे हैं।मामले को तूल पकड़ता देखकर पंजाब के आम आदमी पार्टी के प्रधान व सांसद भगवंत मान तथा पंजाब प्रभारी एवं दिल्ली से विधायक जरनैल सिंह ने सिरसा के खिलाफ  मोर्चा खोल दिया। आम आदमी पार्टी को डर सता रहा है कि कहीं अकाली दल पंजाब में इसे सिख अस्मिता पर हमला करार देकर सियासी फायदा न उठा ले। आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में दूसरे नंबर पर है।

दिल्ली पुलिस केजरीवाल सरकार के पास नहीं: भगवंत मान
सांसद भगवंत मान ने अपने फेसबुक पेज पर डाले वीडियो में साफ  कहा कि दिल्ली पुलिस केजरीवाल सरकार के अधिकार में नहीं है। साथ ही ये एफ.आई.आर. दिल्ली पुलिस ने की है। चूंकि, मनजिंदर सिंह सिरसा राजौरी गार्डन से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे इसलिए वह अपनी पार्टी से जाकर पूछें कि यह एफ.आई.आर. क्यों दर्ज की गई है। भगवंत मान ने कहा कि सिरसा ने सरकार को बिना बताए वहां भीड़ इकट्ठी की और बाद में जिम्मेदारी दिल्ली सरकार पर डालने की कोशिश की।

केंद्रीय गृह सचिव के आदेश पर हुई कार्रवाई :जरनैल सिंह
दिल्ली के ‘आप’ विधायक एवं पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह ने एस.डी.एम. सिविल लाइन्स के द्वारा दिल्ली पुलिस को दिए गए आदेश की कापी अपने ट्विटर अकाऊंट पर डालकर मनजिंदर सिंह सिरसा को एफ.आई.आर. के लिए केंद्रीय गृह सचिव के 24 मार्च के आदेश के कारण होने का हवाला दिया। साथ ही नसीहत देते हुए कहा कि अगर सिरसा जी एस.डी.एम. के लैटर को अरविंद केजरीवाल का लैटर बता रहे हैं तो गृह मंत्रालय के आदेश में गृहमंत्री अमित शाह का नाम लेने से क्यों कतरा रहे हैं?  

मानवता की सेवा में लगी कमेटी को दोषी ठहरा रहे हैं भगवंत: सिरसा
इस बीच दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने फिर मान लिया कि मजनूं का टीला गुरुद्वारे में लोगों को हमने बुलाया था और उन्हें लंगर भी छकाया था लेकिन एफ.आई.आर. एस.डी.एम. के आदेश के कारण हुई है। सिरसा ने यह भी खुलासा किया कि गुरुद्वारा बंगला साहिब का लाइव प्रसारण बंद कराने के लिए भी कल स्थानीय एस.डी.एम. ने उनके पास पहुंच की थी। अगर भगवंत मान में हिम्मत है तो दोनों एस.डी.एम. को बर्खास्त करवाएं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुद्वारा मजनूं का टीला मामले में एफ.आई.आर. दर्ज होने संबंधी भगवंत मान को उनके द्वारा किए जा रहे दावे की उस चिट्ठी को सार्वजनिक करने के लिए कहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार ने एफ.आई.आर. दर्ज करने वाले एस.एच.ओ. के खिलाफ  कार्रवाई करने के लिए उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखी है। सिरसा ने कहा कि हैरानीजनक है कि भगवंत मान मानवता की सेवा में लगी कमेटी को मामले में दोषी ठहरा रहे हैं। यह सच है कि कमेटी ने पंजाब के लोगों को वापस अपने घरों में भेजने के लिए प्रयास किए व इसके लिए 28 मार्च की तारीख को मिली अनुमति के तहत 2 बसों को दिल्ली कमेटी व 4 बसों को शिरोमणि कमेटी द्वारा भेजा गया पर इसके बाद 29 मार्च को इन लोगों को वापस भेजने की अनुमति नहीं दी गई।


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