'आप’ नेताओं का केजरीवाल से सवाल- कांग्रेस का हाथ थामा तो पंजाबियों को क्या दोगे जवाब?

punjabkesari.in Sunday, Jan 06, 2019 - 11:27 AM (IST)

जालंधर (बुलंद): आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई के कई नेताओं ने ‘आप’ के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल से इस बात के प्रति नाराजगी जताई कि पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चलने के सपने क्यों देख रही है। अगर विधानसभा में विपक्षी पार्टी ने सत्ताधारी पार्टी का हाथ थामा तो पंजाबियों को क्या जवाब देंगे? पार्टी के सूत्रों की मानें तो गत दिनों अरविंद केजरीवाल के दिल्ली स्थित गृह में पंजाब के नेताओं सहित पार्टी के अन्य बड़े नेताओं ने केजरीवाल के साथ बैठक दौरान अपने विचार प्रकट किए। पंजाब के नेताओं ने केजरीवाल से कहा कि न तो पंजाब में ‘आप’ पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़े तथा न ही पार्टी पर कांग्रेस हिमायती होने का ठप्पा लगना चाहिए। 

बैठक में की गई सियासी जोड़-तोड़ पर चर्चा
इस बैठक में पार्टी के सियासी जोड़-तोड़ बारे विस्तार से चर्चा की गई। पंजाब के नेताओं ने केजरीवाल से कहा कि क्योंकि पंजाब विधानसभा में कांग्रेस सरकार की मुख्य विरोधी पार्टी ‘आप’ है, इसलिए लोगों की उससे यही आशा है कि वह कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर रखे तथा पंजाब में विकास कार्य करवाए जाएं पर अगर यही पार्टी कांग्रेस के पक्ष में बैठ जाएगी तो पंजाब के लोगों का पार्टी पर विश्वास डोल जाएगा तथा इसका असर पार्टी के वोट बैंक पर पड़ेगा। पार्टी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने पंजाब के लोगों से किए वायदे पूरे नहीं किए और अगर ‘ आप’  कांग्रेस से हाथ मिलाती है तो इससे लोगों का गुस्सा कांग्रेस के साथ-साथ ‘आप’ पर भी फूटेगा।

वरिष्ठ नेताओं ने दिलाया भरोसा नहीं करेंगे कांग्रेस से गठबंधन
जानकारों की मानें तो पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भरोसा दिलाया कि फिलहाल ‘आप’ का कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन करने का इरादा नहीं है पर आने वाले समय में देश के सियासी मौसम को देखते हुए क्या करना पड़े इस बारे कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने पंजाब के नेताओं को कहा कि पंजाब में बूथ लैवल कमेटियों का गठन जनवरी माह में कर दिया जाए। पार्टी वर्करों के साथ रैगुलर बैठकें की जाएं और जो लोग पंजाब के पंचायती चुनावों में जीतकर आगे आए हैं, उनको साथ लेकर चला जाए। 

आसान नहीं लोकसभा चुनावों की राह
बैठक में पंजाब के नेताओं को कहा कि गया कि जिन मुद्दों को लेकर 2015 में पार्टी ने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, उनके साथ-साथ लोगों की मांगों के ध्यान में रखकर चुनावी योजना तैयार की जाए। लोगों को सस्ती बिजली, नौकरियां आदि देने का भरोसा दिया जाए। पर अगर पार्टी के जानकारों की मानें तो पार्टी के लिए पंजाब में पैर जमा पाना आसान नहीं होगा। जहां पार्टी पंजाब के नाराज नेताओं जैसे छोटेपुर, सुखपाल खैहरा व उनके साथ चल रहे आधा दर्जन के करीब विधायकों आदि को मनाने में कामयाब होती नहीं दिख रही और गत दिनों पार्टी से इस्तीफा देकर बाहर हुए एच.एस. फूलका ने भी पार्टी के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी के गठन पर ही सवाल उठाए थे। इससे लगता है कि पार्टी पंजाब में लोकसभा चुनावों में पिछली बार जैसा जादू नहीं दिखा पाएगी, लेकिन फिर भी पार्टी पंजाब के नेताओं के साथ बार बार बैठकें कर इस कोशिश में लगी है कि किसी प्रकार पंजाब में पैर जमा सके लेकिन इस कोशिश में कांग्रेस से हाथ मिलाकर चलने बारे पार्टी क्या फैसला लेती है यह आने वाले दिनों में ही पता लग पाएगा।

 

 

swetha