पंजाब में AAP गिरा सकती है बड़े-बड़ों की विकेट, रंग बदल सकती है कई विधानसभा सीटें

punjabkesari.in Tuesday, Mar 23, 2021 - 12:48 PM (IST)

लुधियाना: पंजाब में अब कांग्रेस की मौजूदा सरकार कुछ महीनों के लिए रह गई है। जिस हिसाब से किसान आंदोलन के बाद पंजाब में सत्ता के समीकरण बदले हैं, उससे कई शहरों की कई विधानसभा सीटें भी रंग बदलने को तैयार हैं। इनमें मौजूदा सत्ताधारी व सरकार में बड़े रसूख वाले नेताओं की सीटें भी शामिल हैं। बेशक अभी सिर्फ कयास ही लग रहे हैं लेकिन पंजाब का इतिहास रहा है कि यही कयास आगे जाकर परिणामों का रूप भी धारण करते हैं।

पंजाब में जनता का दिल जीतना हमेशा से सत्ताधारी पार्टियों के लिए एक टेढ़ी खीर रहा है, तभी अब तक के विधानसभा चुनावों के परिणामों का इतिहास अक्सर सत्ताधारी पार्टी को गिराने वाला ही सामने आया है। अगर 2007 से 2017 के चुनावों को छोड़ दिया जाए तो अकाली-भाजपा व कांग्रेस ने बदल-बदल कर सरकारें बनाईं लेकिन साल 2012 में एक ऐसी पार्टी भी वजूद में आई जो बनी तो दिल्ली में लेकिन उसने पंजाब में ऐसी पैठ बनाई कि पंजाब की जनता को अपना भविष्य नजर आने लगा। इसी वजह से साल 2022 के चुनावों में फिर से आम आदमी पार्टी (आप) की चर्चा होने लगी है।

समस्याओं से उबरकर फिर मुखर हो रही है आप
पंजाब में साल 2017 में ‘आप’ ने चुनावों के दौरान ऐसी पकड़ बनाई थी कि एक बार तो लग रहा था कि वह पंजाब में सभी प्रमुख पार्टियों को सत्ता से दूर कर देगी लेकिन तब ऐन वक्त पर कांग्रेस द्वारा कैप्टन को चुनाव प्रचार से पहले मुख्यमंत्री घोषित करने व ‘आप’ के पास कोई मजबूत चेहरा न होने के चलते जनता ने कांग्रेस पर विश्वास जता दिया था। अब राज्य के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में लोगों के बीच सत्ताधारियों व विपक्षी अकाली दल के प्रति कथित रोष के चलते इस बार समीकरण बदलने की संभावना नजर आ रही है। हालांकि अभी इस पर कुछ कहना बहुत जल्दबाजी मानी जाएगी लेकिन जिस हिसाब से आम आदमी पार्टी के प्रति लोगों को रवैया चल रहा है और वह समस्याओं से उबर कर मुखर हो रही है, उसे सत्ता की चाबी सौंपी जा सकती है।

गलियों, चौक-चौराहों पर हुई चर्चाओं से मिल रहे हैं संकेत
इस बीच लुधियाना शहर की कई गलियों चौक-चौराहों में चर्चाएं चल रही हैं कि सत्ताधारियों को फिर से चुना जाए या फिर कुछ नई आजमाइश की जाए। अगर लोगों की कांग्रेस व अकाली दल को छोडक़र किसी अन्य पार्टी पर नजर जाती है तो वह आम आदमी पार्टी ही है, क्योंकि किसानों के साथ संघर्ष में उलझकर भाजपा अपना आधार खो रही है। ऐसे में अगर बदलाव की राजनीति का दौर शुरू होता है तो पंजाब में इसका फायदा सिर्फ और सिर्फ ‘आप’ को ही मिल सकता है।

चुनाव परिणामों से हैरान हो सकते हैं दिग्गज
लुधियाना में सभी सीटों पर बेशक कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन शहर के विभिन्न इलाकों में घूमकर व आम जनता से बात करके इस बार के चुनावों की स्थिति थोड़ी-बहुत साफ हो रही है। जनता जो बोल रही है, उससे तो मौजूदा विधायकों के लिए जीत का रास्ता टेढ़ी खीर बनने वाला है, क्योंकि लोग तो यहां तक कहते नजर आए कि शिअद की सरकार दौरान सरकारी दफ्तरों में आम जनता के काम हो जाते थे लेकिन अब कांग्रेस के समय में लुधियाना में एक ही लीडर का नाम चल रहा है जिसके पास अपने ही कामों से फुर्सत नहीं, जबकि हावी रही अफसरशाही से काम करवाने के लिए आम जनता को महीनों पापड़ बेलने पड़े। इस खास लीडर को लेकर शहर के बीचों-बीच पड़ते मोहल्लों के लोग तो यहां तक कहते सुने गए कि इस बार जब वोट मांगने आएंगे तो हम भी जवाब देंगे। लोगों की इस आवाज से संदेह हो रहा है कि सीट पक्की समझकर बैठे कुछ दिग्गज सत्ताधारी चुनाव परिणामों से हैरान हो सकते हैं।

उत्तरी सीट पर 2 अकाली नेता ठोक रहे हैं दावेदारी
पिछले कई सालों से कांग्रेस की झोली में विधानसभा उत्तरी सीट आसानी से आ जाती है और सत्ताधारी विधायक भी लोगों की समस्याओं को दूर करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वहीं अब उत्तरी सीट पर 2 अकाली नेता अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हुए हैं और शिअद सुप्रीमों से टिकट की मांग के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन जनता का रुख किस ओर जाएगा यह तो समय ही बताएगा।

Content Writer

Tania pathak