पंजाब में पराली जलाने वाले 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई: कैप्टन

punjabkesari.in Sunday, Nov 03, 2019 - 09:33 PM (IST)

चंडीगढ़ः पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सरकार की ओर से पराली जलाने के विरूद्ध शुरु की गई मुहिम के तहत एक नवंबर तक सामने आए 20,729 मामलों में अब तक 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है। ज्ञातव्य है कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष ऐसे मामलों में दस से बीस प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है। पिछले वर्ष पराली जलाने के 49 हजार मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष राज्य सरकार को अब तक प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक 20,729 मामले सामने आए हैं और 70 प्रतिशत धान की फसल काटी जा चुकी है। 

मुख्यमंत्री ने आज यहां कहा कि उच्च न्यायालय की तरफ से किसानों को पिछले वर्ष किए जुर्मानों की वसूली करने पर लगाई रोक के बावजूद राज्य सरकार ने पराली को आग लगाने के खतरनाक रुझान के विरुद्ध जोरदार मुहिम चलाई हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से पैदा हुई अति गंभीर स्थिति के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिस पर वह विचार करके सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या से भली भांति परिचित है और पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए वचनबद्धता के साथ काम कर रही है। इस मुहिम के तहत गठित की गई टीमों ने एक नवंबर तक पराली को आग लगाने के 11286 घटनास्थलों का दौरा किया और 1585 मामलों में वातावरण को प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 41.62 लाख रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया है तथा 1136 मामलों में खसरा गिरदावरी में रैड एंट्री की और कानून का उल्लंघन करने वाले 202 मामलों में एफ.आई.आर./कानूनी कार्यवाही अमल में लाई गई। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने की बाकी घटनाओं की तस्दीक करने और वातावरण प्रदूषित करने का मुआवजा वसूलने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बिना सुपर एस.एम.एस. के चलने वाली 31 कम्बाईनों को वातावरण प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 62 लाख रुपए जुर्माना किया है। इस समस्या से निपटने के लिए यह कदम काफी नहीं हैं क्योंकि पंजाब में बहुत से किसान पांच एकड़ से कम जमीन के मालिक हैं जिस कारण पराली का प्रबंधन करना उनको आर्थिक तौर पर वाजिब नहीं बैठता। इस हालत में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा देना ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता बल्कि यह हमारे लोगों के भविष्य का सवाल है जिससे राजनीति बहुत परे है। गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है क्योंकि बहुत से राज्यों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके अपने राज्य पर कर्ज का बोझ है। 
 


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Mohit

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