अमृतसर के बाद अब पटियाला में लाशों की अदला-बदली, मची अफरा-तफरी

punjabkesari.in Thursday, Jul 30, 2020 - 11:04 AM (IST)

लुधियाना (राज): अमृतसर के बाद अब लुधियाना के सिविल अस्पताल में कोरोना पीड़ितों की लाश बदले जाने की अफ़वाह के साथ गत दोपहर अफरा-तफरी मच गई। मृतक के परिजन आरोप लगाते रहे कि मोर्चरी से लाश बदली गई है लेकिन इसकी सच्चाई तब पता लगी, जब मोर्चरी में तैनात डाक्टर ने पटियाला राजिंद्रा अस्पताल में बात की तो स्पष्ट हुआ कि परिवार वाले ख़ुद ही गलत व्यक्ति की लाश पहचान कर ले गए थे, जबकि उनकी लाश पटियाला ही पड़ी हुई थी। यह बात स्पष्ट होने के बाद मोर्चरी में तैनात डाक्टर और स्टाफ ने चैन की सांस ली। साथ ही परिवार वालों ने भी बाद में अपनी गलती मान कर माफी मांगी। 

दरअसल, न्यू सुभाष नगर, बस्ती जोधेवाल के रहने वाले वरिन्दर सिंह के पिता इन्द्रजीत सिंह (62) को शुगर की बीमारी थी। 22 जुलाई को उसके पिता की हालत ख़राब हो गई थी। इसलिए वह पिता को सिविल अस्पताल लेकर आया था, जहां से उसके पिता को पटियाला स्थित राजिंद्रा अस्पताल रैफर कर दिया था। अस्पताल में उसके पिता का टैस्ट हुआ, जिसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बाद राजिंद्रा अस्पताल में उसके पिता का इलाज शुरू हो गया लेकिन 28 जुलाई की शाम को उसके पिता की इलाज दौरान मौत हो गई थी। बुधवार सुबह वरिन्दर अपने पिता इन्द्रजीत सिंह की लाश पहचान कर लुधियाना वापस लेकर आ गया था, जिसे उन्होंने सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दी। संस्कार में अभी समय था। इसलिए वरिन्दर कुछ खाने के लिए चला गया। जब वापिस लाश लेने आया तो स्टाफ ने लाश का चेहरा दिखाया लेकिन वह लाश किसी और की थी। इस पर वरिन्दर और उसके परिवार वालों ने हंगामा शुरू कर दिया कि मोर्चरी में लाश बदल दी गई है। उन्होंने पटियाला भी बात की लेकिन वहां के डाक्टरों ने यही कहा कि वह अपनी लाश पहचान कर ले गए हैं लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि वरिन्दर ही अपने पिता की जगह गलत व्यक्ति की लाश पहचान कर ले आया था। 


पिता की मौत से परेशानी में था, इसलिए हुई गलती'
वरिंद्र सिंह का कहना है कि वह 6 दिन से राजिन्दरा अस्पताल में है। खाने-पीने का कुछ पता नहीं। ऊपर से पिता की मौत होने के कारण वह काफ़ी परेशानी में था। इसलिए उसे गलती हो गई और वह अपना पिता समझ कर किसी और की लाश ले आया लेकिन लुधियाना आकर उसे लगा कि लाश बदल गई। वरिन्दर ने इसके लिए सिविल अस्पताल के डाक्टरों और स्टाफ से माफी भी मांगी।इस बारे अस्पताल के डा. दीप का कहना है कि मरीज़ की लाश जब दी जाती है तो उसकी पहचान करवाई जाती है और लाश दिखाते हुए तस्वीर भी क्लिक की जाती है और लिखित में भी लिया जाता है कि परिवार वाले लाश पहचान करके ले जा रहे हैं, जो लाश परिवार ने पहचान की है, उसकी तस्वीर उनके पास है। यह हो सकता है कि परिवार ख़ुद ही गलत व्यक्ति की पहचान करके ले गए होंगे।अस्पताल के डा. रोहित का कहना है कि परिवार वालों ने पहले दोष लगाया था कि लाश बदल गई है लेकिन जब उन्होंने पटियाला से पता किया और फोटो मृतक के बेटे को दिखाई तो स्पष्ट हुआ कि उसका बेटा ही अपना पिता समझ कर गलत व्यक्ति की लाश को साथ ले आया लेकिन अब सब कुछ स्पष्ट हो गया है।

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