भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अकाली दल पंजाब में जट्ट-दलित सुमेल बनाने की फिराक में

punjabkesari.in Monday, Sep 28, 2020 - 12:53 PM (IST)

पटियाला (राजेश पंजोला): भाजपा से नाता तोडऩे के बाद अकाली दल पंजाब में जट्ट-दलित सुमेल बनाने की फिराक में है। सूत्रों के मुताबिक अकाली दल के रणनीतिकार इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर 2022 में किस पार्टी से गठबंधन किया जाए क्योंकि बिना गठबंधन के अकाली दल का गुजारा नहीं है।

अकाली दल बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन करने को अपने लिए फायदेमंद मान रहा है क्योंकि अकाली दल पंजाब में जट्ट सिखों की प्रतिनिधिता करने वाली पार्टी है और 100 प्रतिशत जट्ट सिख कृषि से संबंधित हैं। अकाली दल ने किसानों के मुद्दे पर ही कृषि सुधार बिलों के खिलाफ केंद्रीय मंत्री पद छोडऩे के बाद भाजपा से नाता तोड़ा है। पंजाब में दलित समाज 30 प्रतिशत से अधिक है, लिहाजा अकाली दल की निगाहें दलित वोट बैंक पर हैं। अकाली दल के रणनीतिकारों का मानना है कि मौजूदा परिस्थिति में अकाली दल को मायावती की बसपा के साथ जाने में राजनीतिक फायदा है क्योंकि कृषि बिल किसानों व मजदूरों दोनों के लिए खतरनाक हैं। शीघ्र ही अकाली दल गठबंधन के लिए बसपा के साथ तालमेल करना शुरू कर सकता है।

बेशक पंजाब की राजनीति में बसपा गत 2 दशकों से हाशिए पर चल रही है परंतु आज भी पंजाब के प्रत्येक विधान सभा हलके में उसका 5 हजार से लेकर 20 हजार तक वोट बैंक है। दुआबा में बसपा काफी मजबूत है और अगर उसे अकाली दल का साथ मिल जाए तो बसपा के एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार जीत कर विधान सभा में पहुंच सकते हैं और अन्य सीटों पर बसपा वोटर अकाली दल को बड़ा फायदा दिला सकते हैं। ऐसे में अकाली दल के पास अब गठबंधन के लिए बसपा का ही विकल्प बचा है क्योंकि कांग्रेस से सीधे तौर पर गठबंधन कर नहीं सकते।

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