कर्नाटका के बाद इस साल 5 और राज्यों के चुनावों में होगी भाजपा की अग्निपरीक्षा

punjabkesari.in Friday, May 19, 2023 - 06:51 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : वर्ष 2023 राजनीति के क्षेत्र में काफी उथल-पुथल मचाने वाला वर्ष बताया जा रहा है और यह भी कहा जा रहा है कि इस साल में कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन भी संभव है। इस सबके पीछे कारण यह है कि वर्ष 2023 में 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इनमें से काफी राज्य ऐसे हैं, जहां पर भाजपा की सरकार है। कर्नाटका में चुनाव हो चुके हैं और वहां पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद दक्षिण भारत के नक्शे पर भाजपा का भगवा रंग खत्म हो गया। 

दिल्ली में भाजपा के नाक के नीचे से निकल गई निकाय सरकार 

जानकारी के अनुसार 2023 में पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं, जिस कारण भाजपा के लिए एक बार फिर से परीक्षा की घड़ी आने वाली है। आने वाले समय में योजनाओं पर बाद में बात करते हैं, लेकिन इससे पहले कुछ ऐसे चुनाव जो पिछले 1-2 सालों में हुए हैं, में भाजपा को लगे झटकों पर चर्चा की जानी जरूरी है। 2021 में हिमाचल के मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा नवम्बर 2022 में हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा हिमाचल के पालमपुर तथा सोलन में स्थानीय चुनाव भी भाजपा हार गई। दिल्ली जहां पर भाजपा का पूरा लाव लश्कर बैठा है, उसकी नाक के नीचे से आम आदमी पार्टी स्थानीय निकाय चुनावों की कुर्सी खींच कर ले गई। यह सब अधिकतर पिछले एक साल में हुआ है। यह नहीं कि इस दौरान जितने चुनाव हुए, उसमें भाजपा हार गई, कुछ चुनावों में भाजपा को सफलता भी मिली है, लेकिन जिन चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, वो काफी चिंता का विषय है। 

 कर्नाटका में खूब लगा था जोर

कर्नाटका में भाजपा ने जब चुनाव लड़ा तो इसमें पार्टी को 36 प्रतिशत वोट मिला, जबकि कांग्रेस 43 प्रतिशत वोट लेने में सफल रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चिर-परिचित स्टाइल में इस चुनाव को जीतने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री ने यहां पर 19 रैलियां कीं और 6 रोड शो किए। वैसे भाजपा ने राज्य में 100 से अधिक रैलियां तथा रोड शो किए थे, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा ने भाग लिया। इसके बावजूद पार्टी को सफलता नहीं मिली। 

 नहीं चले भाजपा के कई मुद्दे

भाजपा ने कर्नाटका में जी.डी.पी. ग्रोथ से लेकर हर वो हथकंडा अनपाया, जिससे उसे सफलता मिल सके। जिस तरह से गुजरात में चेहरे बदलकर पार्टी को सफलता मिली थी, उसी तरह के कर्नाटका में भी चेहरे बदले गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद बजरंग बली तथा द केरल स्टोरी फिल्म का सहारा लिया गया, लेकिन वो भी बात नहीं बनी। कुल मिलाकर यह बात साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना जोर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पिछले चुनावों में लगाया था, उतना जोर ही उन्होंने इन कर्नाटका में भी लगाया,लेकिन स्थानीय स्तर पर गुटबाजी और कई अन्य कारण पार्टी को सफलता नहीं दिलवा पाए। 

 पंजाब में भी सहनी पड़ी असफलता

पंजाब में जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की जमानत जब्त होना एक सामान्य मामला नहीं है। बेशक पार्टी का यह पहला अपने स्तर पर लड़ा गया लोकसभा चुनाव था, लेकिन पार्टी के दावों के अनुसार सफलता न मिलना चिंता का विषय है। अब पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं और इन चुनावों में भी भाजपा को सफलता कितनी मिलेगी, यह अभी से दिख रहा है। पार्टी के कई आला नेता जालंधर में डेरा जमाए रहे, लेकिन पार्टी को सफलता न मिलना कई तरह के सवाल खड़े करता है।

News Editor

Kamini