एक साल बाद सरकार ने निभाया वादा, शहीद के नाम पर रखा स्कूल का नाम
punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 03:00 PM (IST)
रूपनगर(सज्जन सैनी): 14 फरवरी का दिन 'वैलेंटाइन डेय' के रूप में मनाया जाता है, यह देश के बच्चे-बच्चे को पता होगा। लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि शायद ज्यादातर देशवासियों को यह पता नहीं होगा कि भारतीय फौज के लिए यह दिन काला और मनहूस है क्योंकि 14 फरवरी 2019 दोपहर के समय पुलवामा में आतंकवादियों ने भारतीय फौज पर हमला कर देश के 40 सी.आर.पी.एफ. के जवानों को शहीद कर दिया था। इस हमले में 35 के करीब जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसी हमले में जिला रूपनगर के गांव रोली का 26 वर्षीय कुलविन्दर सिंह भी शहीद हुआ था।
पुलवामा हमले में शहीद हुआ कुलविन्दर सिंह मां-बाप का था इकलौता बेटा
पुलवामा हमले में शहीद हुआ कुलविन्दर सिंह अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। नवंबर 2019 में उसका विवाह तय हुआ था। लेकिन 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में वह शहीद हो गया। 16 फरवरी 2019 को उसका गांव रोली में अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहीद परिवार के साथ पंजाब सरकार ने कुछ वादे किए थे, जिनमें से एक वादा पूरा करते हुए सरकार ने शहीद कुलविन्दर सिंह के गांव के सरकारी मिडिल स्कूल का नाम 'शहीद कुलविन्दर सिंह सरकारी मिडिल स्कूल गांव रोली' रख दिया गया है। इसका उद्घाटन खुद शहीद के पिता दर्शन सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से रूपनगर की डिप्टी कमिश्नर श्रीमती सोनाली गिरी भी पहुंची। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि स्कूल का खेल ग्राउंड और गांव को आने वाली सड़क का नाम भी शहीद कुलविन्दर सिंह के नाम पर रखा जा रहा है, लेकिन कुलविन्दर के पिता की मांग थी कि गांव को आने वाले रास्ते पर शहीद कुलविन्दर सिंह के नाम पर यादगार गेट बनवाया जाए, जिसे सरकार द्वारा अभी तक पूरा नहीं किया गया। इस बात को लेकर वह जरा उदास नजर आए।
शहीद कुलविन्दर के पिता दर्शन सिंह ने भरे मन से कहा कि उनके बेटे को शहीद हुए एक साल होने वाला है। संस्कार के बाद सरकार ने उनकी कोई खबर नहीं ली और अब उसके बेटे की बरसी के कारण सब चक्कर लगाने लग गए हैं। उसे अपने काम करवाने के लिए भी सरकारी दफ्तरों की लम्बी लाइनों में लगना पड़ता है। बड़े दुख की बात है कि हमें 14 फरवरी का वैलेंटाइन डेय तो याद है लेकिन जिन फौजी जवानों ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी हमें वह सिर्फ एक साल में ही भूल गए। जबकि हमें चाहिए कि देश के इन शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए 14 फरवरी को वैलेंटाइन डेय की बजाय देश के सपूतों का शहादत दिवस मनाया जाए। पुलवामा के उन 40 शहीदों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।