Delhi Air Pollution: जहरीली हवा बच्चों को जन्म से पहले ही पहुंचा रही नुकसान, AIIMS विशेषज्ञ की बड़ी चेतावनी
punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 03:08 PM (IST)
पंजाब डेस्कः दिल्ली-NCR की हवा लगातार ‘गंभीर (Severe)’ स्तर पार कर चुकी है। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण का असर बच्चों पर जन्म के बाद नहीं, बल्कि मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है। AIIMS नई दिल्ली के पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रोफेसर डॉ. जाट ने इस गंभीर खतरे के बारे में विस्तार से बताया।
नवजातों के लिए बढ़ा खतरा
AIIMS और अन्य बड़े अस्पतालों के बच्चों के डॉक्टरों के अनुसार, हर साल नवंबर में बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों के मामले सबसे ज्यादा होते हैं। कई नवजात शिशुओं को जन्म के कुछ ही हफ़्तों के अंदर ऑक्सीजन और NICU सपोर्ट की ज़रूरत पड़ जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि हवा की जहरीली मिलावट गर्भावस्था के दौरान ही बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डालने लगती है।
गर्भ में ही शुरू हो जाता है नुकसान
मां द्वारा सांस के साथ लिए गए प्रदूषक रक्त के ज़रिए सीधे भ्रूण तक पहुंचते हैं। इससे ऑक्सीजन की कमी, सूजन और ऑर्गन डेवलपमेंट पर असर पड़ता है। जैसे की कम वजन के बच्चे, जन्म के बाद सांस की दिक्कत, एलर्जी, व्हीज़िंग और अस्थमा की अधिक संभावना और विकास में देरी का खतरा आदि है।
छोटे बच्चों पर ज्यादा असर क्यों?
डॉ. जाट के अनुसार, छोटे बच्चों के फेफड़े छोटे और विकसित हो रहे होते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया— “जितनी मिर्च आप छोटे कटोरे वाले दही में डालेंगे, असर उतना ही ज्यादा होगा।” बच्चों में सांस की बीमारियां की संख्या बहुत नहीं बढ़ी, लेकिन लक्षण ज्यादा गंभीर हैं क्योंकि एयरवेज़ पतली होती हैं, फेफड़ों की क्षमता कम होती है। उन्होंने बताया कि सबसे आम बीमारियां सर्दी-जुकाम, निमोनिया , वायरल संक्रमण के बाद व्हीज़िंग अस्थमा के दौरे आदि शामिल है। उच्च प्रदूषण के दिनों में अस्पतालों में बच्चों की सांस की समस्याओं में तेज बढ़ोतरी देखी जाती है।
बहुत छोटे बच्चों में अस्थमा पहचानना मुश्किल क्यों?
क्योंकि कई अन्य समस्याएं भी बिल्कुल वैसी ही दिखती हैं, जैसे जन्मजात एयरवे की दिक्कत, खाना फंसना,
विदेशी वस्तु का फंसना, तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, अगर सांस तेज चले, सीने में आवाज़ आए, होंठ/नाखून नीले दिखें, बच्चा खाना कम करे,सुस्ती या दौरे आएं।
ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया कितना खतरनाक?
ब्रोंकियोलाइटिस 2 साल से छोटे बच्चों में आम है। यह सामान्य सर्दी की तरह शुरू होता है, फिर सांस लेने में दिक्कत बढ़ा देता है। कुछ बच्चों को ICU सपोर्ट की जरूरत तक पड़ सकती है। निमोनिया की गंभीरता अलग-अलग होती है, लेकिन लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज जरूरी है।
क्या एंटीबायोटिक्स और नेब्युलाइज़र सही इलाज हैं?
ज्यादातर संक्रमण वायरल होते हैं, एंटीबायोटिक इन पर असर नहीं करते। नेब्युलाइज़र का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। अस्थमा जैसी स्थितियों में इनहेलर + स्पेसर अधिक प्रभावी और सुरक्षित हैं। पहले हमेशा बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
क्या स्टेरॉयड इनहेलर बच्चों के लिए खतरनाक हैं?
डॉक्टर बताते हैं कि “अस्थमा के लिए डॉक्टर की निगरानी में दिए गए स्टेरॉयड इनहेलर सुरक्षित होते हैं।” गलत या ज्यादा मात्रा में उपयोग ही नुकसानदायक है।
बच्चों को लंबी अवधि तक कैसे सुरक्षित रखें?
- पहले 6 महीने तक सिर्फ स्तनपान
- सभी टीकाकरण समय पर
- बाहर के प्रदूषण से बचाव
- खुद से दवा न देना
- डॉक्टर से समय पर सलाह
- घर में एयर प्यूरीफायर उपयोग कर सकते हैं (सीमित मदद)
माता-पिता में कौन-सी गलतफहमियां आम हैं?
- बच्चों में अस्थमा नहीं होता
- इनहेलर की आदत पड़ जाती है
- स्टेरॉयड हमेशा नुकसान करते हैं
- हर बार एंटीबायोटिक जरूरी है
- खुद से दवा देना ठीक है
सख्त कदमों की मांग
डॉक्टरों का कहना है कि समय पर विशेषज्ञ की सलाह बच्चों की जान बचा सकती है। डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट्स लगातार सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार, साफ ईंधन का इस्तेमाल, औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़े नियंत्रण और मज़बूत पर्यावरण नीतियाँ ही इस संकट को कम कर सकती हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि दिल्ली का बढ़ता एयर पॉल्यूशन केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि यह सीधे नवजात शिशुओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट बनता जा रहा है।

