दिल्ली में भी टूटेगा अकाली दल, बदलेगी सियासत

punjabkesari.in Wednesday, Jul 08, 2020 - 01:14 PM (IST)

नई दिल्ली (सुनील पाण्डेय): 1920 में बनी देश की सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल आज 2 फाड़ हो गई। अकाली दल के कद्दावर नेता व राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने मंगलवार को बादल परिवार की अगुवाई वाले शिअद के समानांतर शिरोमणि अकाली दल (डैमोक्रेटिक) बनाने का ऐलान कर दिया। यह पार्टी धार्मिक और राजनीतिक दोनों चुनाव लड़ेगी, इसलिए पंजाब में इसका असर तो होगा ही, दिल्ली की सिख सियासत में भी बड़ा बदलाव होगा।

इसकी शुरूआत दिल्ली में 6 महीने बाद होने जा रहे दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी (डी.जी.एम.सी.)के चुनाव से होगी। यह उनकी पार्टी का पहली परीक्षा भी होगी। इसके बाद एस.जी.पी.सी. और फाइनल चुनाव 2022 में पंजाब का विधानसभा होगा।   ढींढसा  द्वारा नया अकाली दल बनाने के बाद दिल्ली की बादल इकाई में घुटन महसूस कर रहे कई बड़े नेता ढींढसा के साथ जाने को तैयार बैठे हैं। खासकर भाजपा के समर्थक वाले दिल्ली कमेटी सदस्य, जिनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा भविष्य में विधायक एवं पार्षद बनने की है, वे ढींढसा खेमे से जुड़ सकते हैं।

बादल दल से जुड़े दिल्ली के करीब एक दर्जन बड़े नेता पार्टी छोड़कर नए अकाली दल का दामन पकड़ सकते हैं। इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जो हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकाली दल के गठबंधन तोडऩे के चलते चुनाव नहीं लड़ सके थे। साथ ही दिल्ली के अकाली नेताओं को इस बात का एहसास भी है कि दिल्ली में भाजपा का समर्थन बादलों के साथ अब नहीं है, इसलिए दिल्ली कमेटी के चुनाव से पहले ढींढसा द्वारा पार्टी बनाना बादल परिवार के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ढींढसा को पूरा समर्थन देने का ऐलान मंजीत सिंह जी.के. की अगुवाई वाली पार्टी जागो पार्टी ने भी किया है। इससे साफ है कि मंजीत सिंह जी.के. एवं ढींढसा मिलकर दिल्ली में बादल दल की भाजपा से दूरी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
 


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