किसानों से लेन-देन की मोदी सरकार की योजना को नाकाम करने में जुटे अकाली नेता

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 09:59 AM (IST)

जालंधर(नरेंद्र मोहन): किसानों को फसलों और ऋणों के लेन-देन की मोदी सरकार की पारदॢशता योजना को पंजाब में नाकाम करने के लिए उसकी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के नेता सक्रिय हो गए हैं। अकाली दल के प्रांतीय उपाध्यक्ष और आढ़ती एसोसिएशन के पंजाब के अध्यक्ष रविंदर सिंह चीमा के प्रयासों से 50 से अधिक मंडियों के अनाज व्यापारियों ने सरकार को किसानों और उनको दिए जाते फसलों के दाम की जानकारी देने से इंकार कर दिया है। 

दिलचस्प बात यह है कि पंजाब सरकार मोदी सरकार की इस योजना को लागू करने में लगी हुई है। पंजाब सरकार की मजबूरी ये भी है कि केंद्र सरकार ने किसानों की जानकारियां उपलब्ध न करवाने के बदले उसके 1100 करोड़ रुपए की फसल खरीद कमीशन, खर्च इत्यादि की अदा की जाने वाली राशि रोक दी है और आगामी फसल की भी राशि न देने की चेतावनी दी है। गत 2 वर्ष से केंद्र सरकार सभी राज्यों में अपनी पी.एफ .एम.एस. योजना को लागू करने में लगी हुई है। इस योजना में किसानों के साथ लेन-देन रखने वाले व्यपारियों को केंद्र सरकार के वैब पोर्टल पर किसानों का भी विवरण डालना है, जैसे किसानों को फसल का क्या मूल्य दिया और कितनी राशि दी।

डेढ़ वर्ष तक तो पंजाब सरकार इस योजना को लागू नहीं कर सकी परन्तु अब जब केंद्र सरकार ने केंद्रीय पूल में अनाज खरीद के बदले में किए जाते खर्च की अदा की जाने वाली राशि रोक ली, तो पंजाब सरकार इस योजना को लागू करने में सक्रिय हो गई है। राज्य के खाद्य आपूॢत विभाग ने सभी खरीद एजैंसियों के मार्फत व्यापारियों को विवरण के फार्म भर कर भेजने को कहा है तो इसके पक्ष-विपक्ष को लेकर विवाद बन गया है। कई स्थानों पर व्यापारी पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवा रहे हैं और कई स्थानों पर ये कार्य रुका हुआ है। खाद्य आपूॢत विभाग सक्रिय है तो दूसरी एजैंसियां सुस्ती से कार्य कर रही है। 

किसान अपना विवरण देने से कर रहे इंकार : चीमा 
अकाली दल के प्रांतीय उपाध्यक्ष और आढ़ती एसोसिएशन के पंजाब के अध्यक्ष रविंदर सिंह चीमा इसका विरोध कर रहे हैं। इस संवाददाता से बातचीत में उन्होंने कहा कि किसान अपना विवरण देने से इंकार कर रहे हैं। चीमा खुद भी पंजाब की अनेक मंडियों में व्यापारियों से बैठक करके केंद्र की इस योजना का विरोध कर रहे है। चीमा ने कहा कि केंद्र सरकार के पोर्टल पर फसल के मूल्य को सब्सिडियों के साथ जोडऩा एक बड़ी साजिश है और किसानों का विवरण देने से उनकी, किसानों की, गुप्तता भंग हो सकती है। चीमा के आह्वान पर जालंधर, खन्ना, फगवाड़ा, अमृतसर, भगतां वाली मंडी, रोपड़, खरड़,  राजपुरा, पटियाला, पातड़ां, बुढलाडा, बङ्क्षठडा, बरनाला, फरीदकोट समेत 50 से अधिक मंडियों में व्यापारियों ने विवरण देने से इंकार कर दिया है और इसके लिए आढ़ती संगठनों ने बकायदा प्रस्ताव भी पारित किए हैं। खास बात ये भी है कि विवरण न देने का समर्थन करने वाले कई जिलों के व्यापारी नेता अकाली दल से है। 

किसानों व व्यापारियों को गुमराह कर रहे चीमा : विजय कालड़ा
फैडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष विजय कालड़ा ने इस आशंका को गुमराहकुन करार दिया है। उनका कहना था कि चीमा अपनी मंद पड़ी राजनीति को चमकाने के लिए किसानों और व्यापारियों को गुमराह कर रहे है और मुकद्दमा करने के नाम पर व्यापारियों से चंदा लेने की कोशिश में है। जबकि किसानों का विवरण, आधार नंबर पहले से ही बैंकों के पास हैं और व्यपारियों का विवरण भी सरकारों के पास है।

पंजाब ही नहीं पूरे देश में लागू होनी है ये योजना
इस मामले में पंजाब के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग की निर्देशक अनंदिता मित्रा का कहना था कि केंद्र सरकार की योजना केवल पंजाब के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू की जा रही है और इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार के सख्त निर्देश है। केंद्र ने साफ  तौर पर कहा है कि अगर पंजाब ने इस कार्य में देरी की तो उसकी आने वाली फसल की खरीद का कमीशन और खर्च की राशि भी रोक ली जाएगी। मित्रा का कहना था कि पोर्टल पर व्यपारियों को अपनी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार से समय बढ़ाने का आग्रह किया था जिसके तहत अब व्यापारी सुबह 11 से सायं 6 बजे तक खुद को पोर्टल पर पंजीकृत करवा सकते है और अवकाश वाले दिन भी ये कार्य चालू रहेगा।


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