पंजाब के 11,849 गांवों के लिए खतरे की घंटी, चिंताजनक स्थिति

punjabkesari.in Friday, Nov 17, 2023 - 03:55 PM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब : पंजाब निवासियों के लिए चिंताजनक खबर सामने आई है। 1980 में पूरे पंजाब के 3712 गांवों में पानी की कमी थी और 2007 में इन गांवों की संख्या बढ़कर 8515 हो गई। 1973 में पंजाब का केवल 3 प्रतिशत क्षेत्र ही ऐसा था जहां जल स्तर 3 मीटर से भी कम था। 2004 में पंजाब का 90 फीसदी इलाका ऐसा था, जहां भूजल स्तर 3 मीटर से भी ज्यादा नीचे चला गया था। मिली रिपोर्ट के अनुसार  पंजाब के कुल 12,423 गांवों में से 11,849 गांवों का भूजल पीने योग्य नहीं है। जल की कमी और प्रदूषण की समस्या को समझते हुए इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया जाना चाहिए, इस पर गंभीरता से चर्चा करना आवश्यक है। व्यक्तिगत, सामाजिक और सरकारी स्तर पर समवेत प्रयास ही कोई रोशनी की किरण दिखा सकते हैं। तो कुछ बिंदु हैं जैसे पानी के दुरुपयोग को रोकना, नहर सिंचाई को बढ़ाना, वर्षा जल का सद्उपयोग करना, वर्षा जल को जमीन में रिचार्ज करना, वर्षा जल का संचयन करना, कम पानी की मांग वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना, पानी बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को प्रोत्साहित करना आदि।

इसके कई कारण हैं

इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैश्विक जल संकट के पीछे कई अन्य कारण भी हैं, जैसे वनों की कटाई, घटती वार्षिक वर्षा, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और नदी के पानी का कम होना परन्तु  पंजाब में पानी की समस्या के लिए उपरोक्त सभी पर विचार करना आवश्यक है। पहलू। पूरे विश्व में घटते जलस्रोतों और निम्न भूजल स्तर की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। 5 नदियों की भूमि पंजाब भी इस बीमारी से पूरी तरह प्रभावित हो गया है। पिछले कुछ सालों में इस समस्या के प्रकोप पर नजर डालें तो आंकड़े बेहद डरावने हैं।

धान की बुआई जोर-शोर से शुरू हो गई

कभी हरे-भरे और लहलहाते खेतों वाली 5 नदियों की भूमि का भविष्य रासायनिक जहर के प्रकोप के अलावा और कुछ नहीं है। देश के विभाजन के दौरान 2 नदियां लुप्त हो गईं, इस क्षेत्र के पास की शेष 3 नदियां अब सूखे नाले में बदल गई हैं। पंजाब में पानी की समस्या का इतिहास बहुत पुराना नहीं है।

ये जिले हुए प्रभावित

भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग डेढ़ प्रतिशत क्षेत्रफल होने के बावजूद पंजाब के मेहनती किसानों ने खाद्यान्न उत्पादन में क्रांति ला दी। यह ऐसी बढ़ोतरी थी जिसने पंजाब का भविष्य बर्बाद कर दिया। पंजाब के कुछ जिले जैसे बरनाला, संगरूर, पटियाला, मोगा, लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब और अमृतसर भूजल स्तर में गिरावट से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही श्री मुक्तसर साहिब जैसे जिलों में जलजमाव के कारण सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद हो गई है।

जल संकट चिंता का विषय 

कृषि प्रधान राज्य होने के नाते पंजाब में जल संकट सबसे बड़ी चिंता का विषय है। पूरे देश के अनाज भंडार में 35 प्रतिशत से अधिक चावल और 50 प्रतिशत से अधिक गेहूं का योगदान करने वाले इस राज्य में जल संसाधनों की कमी पूरे देश के लिए एक प्रकोप बन सकती है। जैसे-जैसे नदियों और नहरों में पानी कम हो रहा है, भूजल कम हो रहा है और अनाज का उत्पादन भी कम हो रहा है। लेकिन अब अगर हम 200 से 300 फीट की गहराई में देखें तो ट्यूबवेल मिल जाते हैं। जहां पहले 3 से 5 हॉर्स पावर की मोटरें काम करती थीं, अब उनकी जगह 10 से 15 हॉर्स पावर की मोटरें लगानी पड़ रही हैं। पहले के समय में पंजाब में सिंचाई केवल कुओं या नहर के पानी से की जाती थी, लेकिन पानी की बढ़ती आवश्यकता के कारण ट्यूबवेल सिंचाई का मुख्य साधन बन गए। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार माना जाता है कि 1970 में पंजाब में ट्यूबवेलों की संख्या 92 हजार थी, लेकिन अब यह संख्या लगभग 15 लाख तक पहुंच गई है।

भूजल फैलाता है भयंकर बीमारियां  

भूजल जिसे लोग नालियों के माध्यम से बाहर निकाल देते हैं, कई घातक बीमारियां फैलाता है। मालवा क्षेत्र के जिला श्री मुक्तसर साहिब के अंतर्गत लगभग 243 गांव आते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 80 प्रतिशत गांवों में भूमिगत जल ऐसा है जो पीने योग्य नहीं है। जिले में 500 से अधिक सरकारी स्कूल और करीब 844 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, लेकिन इन स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी कहीं पीने का पानी ठीक है तो कहीं खराब। डॉक्टरों के अनुसार खराब पानी पीने से कैंसर, काला पीलिया, हड्डियों के रोग, किडनी के रोग और कई अन्य भयानक बीमारियां होती हैं। हजारों लोग खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं, वहीं कैंसर और काला पीलिया ने कई घर उजाड़ दिए हैं। वहीं, पंजाब सरकार ने ग्रामीण इलाकों के लोगों को साफ पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए जो आरओ सिस्टम लगाए थे, उनमें कई गांव ऐसे हैं जहां आरओ सिस्टम 8-10 साल से बंद है। बंद और कबाड़ हो चुके इन आरओ सिस्टम की न तो संबंधित विभाग, प्रशासन और सरकार ने सुध ली और न ही नेताओं ने इस ओर ध्यान दिया।

समाजसेवियों के बारे में क्या कहें

बुद्धिजीवी और लेखक कृष्ण सिंह, तर्कसंगत नेता बूटा सिंह वक्फ, लेखक कुलवंत सरदार बरीवाला, डॉ. राम चंद भंगचारी, लोक गायक हरिंदर संधू, चित्रकार वज़ीर सिंह राय मुक्तसारी, मुख्य शिक्षक हरमीत सिंह बेदी, मुख्य शिक्षक नवदीप सुखी, सामाजिक कार्यकर्ता बरनेक सिंह देयोल बालमगढ़। वहीं लोक गायक कुलविंदर कमल ने कहा है कि वर्तमान में बड़ी संख्या में लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है और लोग खराब पानी पीने को मजबूर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भूजल स्तर का कम होना भी चिंता का विषय है।

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News Editor

Kamini