31 मार्च से पहले नहीं होगी शराब सस्ती!

punjabkesari.in Sunday, Mar 17, 2019 - 06:09 PM (IST)

अमृतसर (इंद्रजीत): शराब की शौकीन लोगों के लिए शायद यह खबर खुशगवार ना होगी की इस बार 31 मार्च के पहले हफ्ते में शराब सस्ती नहीं , महंगी होगी ! पिछले वर्षों में 31 मार्च के पहले हफ्तों में सस्ती शराब की इंतजार में दारू के शौकीन 2 महीने पहले ही कंधे कसने लग जाते थे कि 31मार्च आ रही है, मित्रों... तैयार हो जाओ शराब सस्ती मिलेगी l शराब की पेटियां स्टोर कर लो ,आने वाले कई महीने निकल जाएंगे l क्योंकि नए साल में शराब महंगी होने वाली है l

प्रतिवर्ष यही खेल खेला जाता रहा कि 31 मार्च से पूर्व शराब के ठेकेदारों को अपना पुराना स्टॉक निल करना पड़ता है और नए स्टॉक की खरीदारी 1 अप्रैल से होती है l देखने में आता था कि पुराना स्टॉक क्लियर करने के लिए ठेकेदारों पर दबाव होता था l शराब की जो बोतल पांच सौ में मिलती थी ,लेकिन पेटी खरीदने पर 12 बोतलें 2 हजार रुपए में मिल जाती थी l ऐसी परिस्थितियों में शराब की शौकीन 31 मार्च से पहले नीलामी से पूर्व शराब का स्टॉक रख लेते थे l लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा ! क्योंकि 31 मार्च के सीजन तक इस बार शराब महंगी हो सकती है लेकिन सस्ती नहीं l इसका मुख्य कारण है कि सरकार ने शराब का कोटा इस साल घटा दिया था जिसके कारण शराब के ठेकेदारों को शराब बेचने के लिए कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी इसी कारण इस बार 31 मार्च से पहले शराब के ठेकों की नीलामी से पूर्व शराब सस्ती नहीं होगी उल्टी महंगी हो सकती है l

शराब के ठेकेदारों का बड़ा मुनाफा
वर्ष 2018-19  में एक्साइज पॉलिसी के मुताबिक शराब के ठेकेदारों का कोटा घटा देने के कारण ठेकेदारों पर माल की बिक्री का दबाव कम हो गया था l जिसके कारण शराब के ठेकेदारों को रिटेल में रेट कम नहीं करने पड़े l दूसरी ओर शराब के सिंडीकेट ने भी इस बार सख्त भूमिका निभाई है हालांकि शराब के सिंडीकेट एक्साइज विभाग के नियम के मुताबिक तो नहीं है l किंतु ठेकेदारों ने शराब के सिंडीकेट का जमकर इस्तेमाल किया है और खपतकारों को भी जमकर खींचा है l इसके कारण इस बार शराब के ठेकेदारों को पिछले कई वर्षों की अपेक्षाकृत कहीं अधिक मुनाफा हुआ है l

नहीं खत्म हुई पव्वे की समस्या!
शराब के ठेकेदारों का गुस्सा हमेशा गरीब के पव्वे पर ही क्यों गिरता है ? प्रतिवर्ष शराब के उन खपतकारों के लिए यह प्रशन बहुत गंभीर हो चुका है जो शराब का एक चौथाई हिस्सा जिसे देसी भाषा में पव्वा कहते हैं को ठेके पर खरीदने के लिए निकल पड़ते हैं l देखने में आता है कि शराब की जो बोतल बाजार में पांच सौ रुपए की मिलती है उसका चौथाई हिस्सा पव्वा 125 की बजाए 170 में मिलता है l इस समस्या से निपटने के लिए पव्वे के खरीददार ठेके के बाहर खाली शराब के पव्वे लेकर खड़े हो जाते हैं l जब 4 खरीददार इकट्ठे हो जाते हैं तो यह शराब की पूरी बोतल खरीदकर एक-एक पव्वा करके आपस में बांट लेते हैं l इसमें शराब 30-35% सस्ती पड़ जाती है और एक खपतकार को आधा पेग भी अधिक मिल जाता है l इसमें दुविधा तब आती है जब पव्वे के तीन खपतकार इकट्ठे हो जाते हैं और चौथा नहीं मिलता l ऐसी स्थिति में यह लोग सरकार और शराब के ठेकेदारों को जमकर कोसते हैं l इन लोगों का कहना है कि अमीर आदमी जो शराब की पेटी लेकर भी खरीद सकता है ,उनके लिए शराब सस्ती है लेकिन गरीब का पव्वा सरकार को दिखाई नहीं देता l हर वर्ष इनकी यह मांग सरकार के कानों तक नहीं जाती l 

Mohit