Lockdown और कर्फ्यू के चलते पंजाब में लगने लगे अस्थियों के अम्बार

punjabkesari.in Friday, Apr 10, 2020 - 11:08 AM (IST)

जालंधर (एन. मोहन): पंजाब में पहले लॉकडाऊन और फिर कर्फ्यू के चलते राज्य में मृतकों की अस्थियों के अम्बार लगने लगे हैं। अस्थि प्रवाह के लिए आवाजाही की अनुमति न होने से राज्य के लगभग सभी शहरों, कस्बों और गांवों में अस्थि रखने के स्थान श्मशानघाट और धार्मिक स्थानों में अस्थि लॉकर और अल्मारियां भर चुकी हैं। इतना ही नहीं पोटली पंखे की कुंडी के सहारे लटकाई गई हैं और अस्थि जल प्रवाह की 10 दिन में होने वाली किरया का समय भी लगातार निकल रहा है।

कोरोना वायरस के दंश में हो रही मौतों ने पारिवारिक ताने-बाने को झकझोर दिया है, वहीं सामान्य रूप से मौत की गोद में गए लोगों के लिए धार्मिक रस्मों को भी अस्त-व्यस्त कर दिया है।22 मार्च से पंजाब में लॉकडाऊन लागू हुआ और एक दिन उपरांत ही राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया। राज्य में प्रतिदिन 500 से 600 लोग मौत का शिकार होते हैं। चूंकि राज्य में अधिकतर जनसंख्या सिखों और हिन्दुओं की है, इसलिए मृतक देह को जलाया जाता है और दाह संस्कार के बाद अस्थियों को धर्मानुसार 10 दिनों के भीतर-भीतर कीरतपुर साहिब, हरिद्वार इत्यादि में जल-प्रवाह किया जाता है परन्तु 22 मार्च से लॉकडाऊन और कर्फ्यू लगा हुआ है और इस बात को 19 दिन हो चुके हैं। परिणाम यह हुआ है कि जल विसर्जन की जाने वाली अस्थियों के अम्बार लगते जा रहे हैं।


बठिंडा में 170 से अधिक मृतकों की अस्थियां विसर्जन के इंतजार में 
बठिंडा शहर में ही 170 से अधिक मृतकों की अस्थियां विसर्जन के इंतजार में हैं जिनका विसर्जन नहीं हो पा रहा। अस्थि विसर्जन कब होगा, इसे लेकर भी स्थिति अभी साफ नहीं है परन्तु वहीं जिला प्रशासन कर्फ्यू के चलते धैर्य रखने व सामान्य हालात होने तक इंतजार करने का ढांढस बंधवा रहा है। गांवों में भी ऐसी ही स्थिति है। कोरोना वायरस के चलते मृतकों पर पैनी नजर रखी जा रही है परन्तु जो लोग सामान्य मौत होने पर विदा हो चुके हैं, उनके लिए मोक्ष अभी दूर की बात है। अमृतसर, जालंधर, पटियाला, फाजिल्का, फिरोजपुर, होशियारपुर समेत अनेक स्थानों पर अस्थियों का यह ही संकट है, न किरया हो पा रही है और न मोक्ष हो पा रहा है। हालांकि अस्थि विसर्जन को लेकर अन्य साधन भी हैं, परन्तु बहुत से लोग उनसे परिचित नहीं हैं और अन्य लोग किसी और साधन में जाना भी नहीं चाहते। 


लुधियाना में अधिकतर अस्थि लॉकर फुल
लुधियाना में 30 के करीब श्मशानघाट हैं और अधिकतर में अस्थि लॉकर भर चुके हैं। सिविल लाइन लुधियाना के श्मशानघाट के विक्की पंडित ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि अस्थि लॉकर भर चुके हैं। मानसा में गौशाला और श्मशानघाट कमेटी के अध्यक्ष अशोक नगलिया की परेशानी अस्थियों के अम्बार के साथ-साथ किरया वाले पंडित को कफ्र्यू पास न मिलने की भी थी। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन औसतन 5 दाह संस्कार मानसा में होते हैं, परन्तु मानसा, बुढलाडा और सरदूलगढ़ में मृतक किरया के लिए एक ही पंडित है, जो बुढलाडा रहता है और जिसे आने के लिए पास भी नहीं जारी हो रहा, परिणामस्वरूप मृतकों की किरया नहीं हो पा रही।

अब सरकार की मर्जी से मिलेगी मृतकों को ‘मुक्ति’
कर्फ्यू के  बीच ड्यूटी मैजिस्ट्रेट से विशेष मंजूरी मिलने के बावजूद हरिद्वार प्रशासन की तरफ से राज्य के अंदर दाखिल न होने देने के कारण भारतीय कानून की सरेआम धज्जियां उड़ती देखी गईं। हालांकि ड्यूटी मैजिस्ट्रेट के आदेश पूरे भारत में लागू होते हैं। जिक्रयोग्य है कि एक तरफ सरकार ने हर शहरी को हरसंभव सुविधा देने का ऐलान किया हुआ है परन्तु फिर भी मृतक देहों के फूल जल प्रवाह किए जाने से रह जाने के कारण यह बात साफ हो गई है कि अब सरकार की मर्जी के साथ मृतकों को मुक्ति मिलेगी। लॉकडाऊन न खुलने के कारण अंतिम रस्में करवाने वाले पुजारियों की कमी आएगी और यह भी हो सकता है कि इतनी रस्मों को पूरा करने के लिए पुजारी की फीसों में भी वृद्धि होने की संभावना है। इसी तरह कीरतपुर साहिब में भी फूलों की रस्म अदा करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

फूलों की रस्म अदा करने के लिए सरकार ले जिम्मेदारी : कुंदन गोगिया
बीर जी श्मशानघाट की प्रशासनिक समिति के नेता कुंदन गोगिया ने कहा कि फूलों की रस्म अदा करने के लिए सरकार आप जिम्मेदारी ले क्योंकि श्मशानघाट में जो फूल रखने वाले लॉकर बने हुए हैं वह अब फुल हो चुके हैं जिस करके अब श्मशानघाट में बने वेटिंग रूम में फूलों को रखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन श्मशानघाट और लॉकर पहल के आधार पर उपलब्ध करवाए और लॉकडाऊन खुलते ही प्रशासन अपने स्तर पर विशेष बसों द्वारा प्रत्येक परिवार के सदस्यों को लेकर संबंधित स्थान पर अस्थियां जल प्रवाह करवा कर आए जिससे पारिवारिक सदस्यों की मानसिक परेशानी कम हो सके।

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