अमृतसर हादसाः 4 मौतें 20 लाख का चेक और भिड़ गए परिवारवाले

punjabkesari.in Monday, Oct 29, 2018 - 10:36 AM (IST)

अमृतसर (स.ह.): जोड़ा फाटक पर रावण दहन में हुई मौतों पर मुआवजे के बांटे जा रहे 5-5 लाख रुपए के चेक पर जहां ‘सियासत’ हो रही है, वहीं मुआवजे की रकम को लेकर परिवारों में ‘महाभारत’ छिड़ गया है। ‘पंजाब केसरी’ रेल हादसे से जुड़ा यह सबसे बड़ा खुलासा तथ्यों के साथ करने जा रहा है, जिसमें एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत पर मुआवजे की रकम को लेकर ससुराल और मायका आमने-सामने आ गया। गंगा में अस्थियां बहाने से पहले मुआवजे की रकम के लिए ‘आंसू’ बहाए जा रहे हैं। 4 मौतों के 20 लाख रुपए के चेक को ‘झगड़ा’ लिख कर रोक लिया गया है।

मामला मृतक अमन डोगरा के परिवार से जुड़ा है। हादसे में अमन डोगरा (34), पत्नी पूजा डोगरा (32), बेटा नकुल डोगरा (12), बेटी कशिश डोगरा (8) की मौत हो गई। अमन की शादी 2006 में पूजा के साथ हुई थी। पूजा  ग्रैजुएट थी। शादी के 2 माह बाद ही अमन परिवार से अलग रहने लगा था। वह 7 हजार रुपए वेतन पर प्राइवेट नौकरी करता था। 2 बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल रहा था। अमन के पिता सतपाल डोगरा की मौत हो चुकी है। करीब 2 माह पहले मां ऊषा डोगरा की भी मौत हो गई है।

अमन के दो भाई और थे, पीटर और राकेश डोगरा। पीटर की भी मौत हो चुकी है। भाई राकेश डोगरा किसी कार कंपनी में ऊंचे ओहदे पर हैं। उनकी डी.ए.वी. इंटरनेशनल स्कूल के पास कोठी है। अमन के संस्कार करने वाले साले गौरव के मुताबिक, अमन को उसके घरवालों ने बेदखल कर रखा था, लेकिन जब रेल हादसे में पूरे परिवार की मौत हो गई तो वो 20 लाख के चेक के लिए दखल देने लगे। 20 लाख पर दोनों पक्षों ने आवेदन किए हैं और चेक को लेकर ‘झगड़ा’ लिख दिया गया है। 

मैं गरीब भले हूं, लेकिन पैसा ‘रेल हादसे’ पीड़ितों पर खर्च करूंगा : गौरव

मैं गरीब भले ही हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कि मौत के मुआवजे से शराब की पार्टियां करूं। जो परिवार आज अमन की मौत के चेक पर दावेदारी कर रहा है, वो बताए तो सही कि उसको बेदखल करने के बाद अब चेक को लेकर दखल क्यों कर रहे हैं। अमन के साले गौरव ने कहा कि जब अमन और मेरी बहन पूजा दोनों बच्चों के साथ कोठी के ऊपर एक कमरा रहने के लिए मांगने गए थे, तब तो छत पर टीन लगाकर रहने की इजाजत भी नहीं दी थी। लाशों का संस्कार मैंने किया, चौथा का सारा पैसा अमन के भाई राकेश ने लगाया। हम 2 भाई हैं। मां-बाप चल बसे।

बहन की शादी रिश्तेदारों के शगुन के चंदे से हुई। 2 महीने बाद अमन अलग रहने लगा, भांजा हुआ तो परिवार ने बेदखल कर दिया। कई सालों तक 65 गज के मकान में हम 6 लोग रहे (मृतक दंपति व 2 बच्चे)। मैं 9 हजार कमाता हूं, छोटा भाई राहुल भी 8-10 हजार कमा लेता है। हम दोनों मिलकर पूजा के घर का राशन अपने घर के साथ लाया करते थे, हम इतने बड़े साहूकार तो नहीं कि कोठियों में रहें, कारों में चलें, लेकिन ईमानदार हैं। पैसों का मोह नहीं, लेकिन जब बेदखल कर दिया तो फिर मुआवजे को लेकर यह दखल क्यों। जो पैसा मिलेगा, उसे मैं रेल हादसे के पीड़ित परिवारों पर खर्च करूंगा। एक पैसा भी अपने लिए नहीं खर्च करूंगा, लेकिन अगर पैसा दूसरी तरफ गया तो वो शराब पार्टियों पर ही खर्च होगा, यह जांच करवाकर ही सरकार चेक जिसे देना है, उसे दे। दावेदारी हमने कर रखी है। बेदखली के सबूत मेरे पास हैं। 

बेदखल किया होता तो मां की मौत के बाद पैसे अमन को कैसे मिले : राकेश

अगर परिवार ने अमन को बेदखल किया होता तो 2 माह पहले मां मरी है, मां के मरने के बाद अमन को मां के हिस्से के बनते पैसे दिए थे। अभी मैं हरिद्वार में भाई के परिवार की अस्थियां विसर्जित करने आया हूं। पिता सतपाल डोगरा की मौत हो चुकी है, मां ऊषा डोगरा हाल में ही साथ छोड़ गई। 3 भाइयों में 2 भाई (पीटर और अमन) की मौत हो चुकी है। अमन और उसके परिवार वालों की मौत का सदमा परिवार को है। सरकार जो चेक दे रही है, उसके लिए आवेदन किया है, अमन को बेदखल नहीं किया गया था। 

क्या कहना है अधिकारी का

चेक देने से पहले डी.सी. कमलदीप सिंह संघा के निर्देशों के तहत पंजाब सरकार से जारी गाइड लाइन के अनुसार सारी जांच की जा रही है। कुछ मामलों में जिन चेकों को लेकर अलग-अलग दावेदारियां आ रही हैं, ऐसे चेकों को रोका गया है। जांच के बाद ही ये दिए जाएंगे। - जे.पी. सलवान, तहसीलदार व रेल हादसे के पीड़ितों को चेक आवंटन अधिकारी

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