अमृतसर हादसाःएक चैक ने बदल दिए रिश्तों के मायने,मुआवजे को लेकर सास-बहू में तू-तू,मैं-मैं

punjabkesari.in Thursday, Oct 25, 2018 - 10:20 AM (IST)

अमृतसर (स.ह., नवदीप): विजयदशमी के दिन रावण दहन के दौरान ट्रेन हादसे का शिकार हुए न्यू गोल्डन एवेन्यू निवासी रमेश कुमार (23) की मौत के बाद पंजाब सरकार से मिलने वाली सहायता राशि 5 लाख के चैक को लेकर रमेश कुमार की पत्नी प्रीति व मां मंजीत कौर के बीच बवाल हो गया। नतीजतन मिलने वाला चैक बनने के बाद भी ‘झगड़ा’ लिख कर नहीं दिया गया है।

5 लाख के चैक को लेकर मृतक के घर व ससुराल वाले आमने-सामने आ गए हैं। रिश्ते 5 लाख के चैक के लिए ऐसे ‘तार-तार’ हुए कि सास-बहू के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। प्रीति कहती है कि सास ने घर से निकालते हुए कहा जब मेरा बेटा ही नहीं रहा तो तू कैसी मेरी बहू, जाकर तू भी कहीं मर जा। प्रशासन ने रेल हादसे में मिल रहे मुआवजे के चैक को ‘चैक’ करके देने के निर्देश दिए हैं।

मृतक रमेश कुमार न्यू गोल्डन एवेन्यू के गली नंबर 7 में रहता था। 28 अप्रैल 2017 को उसने प्रीति के साथ 7 फेरे लिए थे। शादी के करीब 2 माह बाद प्रीति से अनबन हुई तो वह अमृतसर से दिल्ली जाकर अपने मां-बाप के पास रहने लगी। दोनों के बीच रिश्ते सुधर ही रहे थे कि 19 अक्तूबर को जौड़ा फाटक में रावण दहन के समय ट्रेन हादसे में रमेश कुमार भी काल का ग्रास बन गया। जौड़ा फाटक के रेल हादसे  की खबर प्रीति ने टी.वी. में देखी तो पति के शव पर विलाप करते ससुराल वालों को देख व दिल्ली से मां-बाप के साथ अमृतसर आ गई। अमृतसर पहुंचने के बाद 5 लाख के चैक को लेकर ससुराल पहुंचते ही बवाल हुआ तो प्रीति ससुराल की बजाय अपने मामा के घर मां के साथ चली गई।

‘पंजाब केसरी’ की टीम इस मामले में  रमेश कुमार के परिवार वालों से मिली। 5 लाख का चैक तैयार होने के बाद न मिलने की बात पर परिवार भड़क  उठा, कहने लगा कि मेरा बेटा चला गया है और यह महिला (प्रीति) रिश्ते अब जोड़ रही  है, अब तक कहां थी। बस प्रीति यही चाहती है कि 5 लाख का चैक उसे मिले। उधर, मृतक रमेश केपिता विजय कुमार (65) बीमार रहते हैं। घर का बोझ नहीं उठा सकते। मां मंजीत कौर (55) कहती है कि कैसे जिंदगी कटेगी, विधाता ने पहले ही बड़ी बेटी पूजा को विधवा कर दिया, उसके 2 बच्चे भी साथ रहते हैं। किराए का घर है। ऐसे में सारा दारोमदार रमेश के कंधों पर ही था। अब रमेश का कंधा ही नहीं रहा तो घर कैसे चलेगा। यह पूरे परिवार के लिए सबसे बड़ा सवाल है, जिसका जवाब उनके पास भी नहीं है। 

5 लाख के लिए रमेश को लिखाया कुंवारा : प्रीति 
‘पंजाब केसरी’ से बातचीत में जहां प्रीति ने कहा कि वह चैक के लिए नहीं आई है, लेकिन उसे ससुराल वालों ने दुत्कार कर धमकाते हुए घर से निकाल दिया है, मैं मैजिस्ट्रेट (एस.डी.एम.) के सामने पेश हुई थी। साहिब ने लिख-पढ़ लिया है, मैं सुहागिन थी, भले ही पति के साथ अनबन थी, आज भी मैं रमेश कुमार की विधवा हूं। मुझे मेरा सम्मान चाहिए, घर से कोई सामान नहीं चाहिए। 
 प्रीति कहती है कि रमेश कुमार से उसकी शादी हुई थी। ऐसे में पति की मौत के बाद इसे कुंवारा लिखाकर ससुराल वालों की यही मंशा थी कि जो सरकार 5 या 7 लाख का चैक दे रही है, उसे बिना बताए हजम कर लें। मैं मानती हूं कि परिवार का हक बनता है, लेकिन झूठ बोल कर किसी सुहागिन को विधवा हो जाने के बाद भी यह कहा जाना कि बेटे की शादी नहीं हुई थी, यह सरासर धोखाधड़ी है। जरूरत पड़ी तो मैं अदालत में जाऊंगी। 

5 लाख के चैक लोगों को ‘चैक’ करके दिए जा रहे : डी.सी

जिले के डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह संघा ने निर्देश जारी किए हैं। जिन मृतक परिवारों को चैक दिए जा रहे हैं वे पूरी तरह ‘चैक’ करके ही दिए 
जा रहे हैं। कहीं किसी को मुआवजा राशि को लेकर  किसी बात का संशय है तो वह जिला प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर सकता है। हैल्पलाइन नंबर भी दिए गए हैं।

मां कहती है! जवान बेटी को कहां छोड़ दूं, जमा पूंजी शादी पर खर्च कर दी

प्रीति की मां विमला व पिता सोधू राम कहते हैं कि हम गरीब लोग हैं। बेटी की शादी को अभी 18 महीने हुए हैं। जवान बेटी को कहां छोड़ दूं। जो पैसे थे वे उसकी शादी पर खर्च कर दिए। पति मजदूर है, अमृतसर से दिल्ली भी दूर है। ऐसे में बेटी को बार-बार लेकर आना व जाना हमारे बस की बात नहीं है। मैं यह नहीं कहती कि सारा पैसा बेटी को मिले, मैं यही चाहती हूं कि जो सरकार पैसा दे रही है, कम से कम उन्हीं पैसों से बेटी के हाथ पीले ससुराल वाले ही कर दें। दूसरी शादी करने के लिए हमारे पास पैसा नहीं है।

 सास बोली! वो बहू थी, अब नहीं

प्रीति की सास मंजीत कौर कहती है कि चाहे हमें चैक मिले या न मिले। प्रीति बहू थी, लेकिन अब हमारे लिए कुछ भी नहीं है। मेरा बेटा ही जब चला गया तो बहू का क्या करूंगी, चाहे चैक मिले या न मिले लेकिन इस घर में प्रीति के लिए दरवाजे तभी खुलेंगे जब वह लिख कर देगी कि मैं सारी उम्र इस घर में मेरे बेटे की विधवा बन कर रहेगी। वर्ना हमारा कोई लेना-देना नहीं है।

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