कश्मीरियों ने हुलिया बदलकर दिया निरंकारी भवन में वारदात को अंजाम!

punjabkesari.in Monday, Nov 19, 2018 - 08:26 AM (IST)

जालंधर/चंडीगढ़ (मृदुल/ रमनजीत): अमृतसर के राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में हुए धमाके के तार पुलिस और खुफिया एजैंसियां कश्मीरी आतंकियों के साथ जोड़ रही हैं। एक आई.जी. रैंक के अफसर की मानें तो निरंकारी भवन में हुए ग्रेनेड हमले की जांच में अब तक जो बात सामने आ रही है, वह यह कि ग्रेनेड फैंकने वाले आरोपी पगड़ीधारी थे। वहीं दूसरी ओर हाथ लगे अहम सुरागों को देखकर लग रहा है कि उक्त लोग या युवक कोई और भी हो सकते हैं जोकि कश्मीरी बताए जा रहे हैं।

 

पगड़ीधारी युवकों द्वारा हुलिया बदलकर इस वारदात को अंजाम देने की आशंका है। इंटैलीजैंस को जो सुराग मिले हैं, उनसे साफ जाहिर हो रहा है कि युवकों की उम्र 25-30 के बीच है। वह काफी ट्रेंड हैं जोकि कुछ ही मिनटों में वारदात को अंजाम देकर निकल गए। माना जा रहा है कि इनके पीछे अंसार गजवत-उल-हिंद (ए.जी.एच.) व खालिस्तान समर्थकों की मिली-जुली साजिश है। 

योजनाबद्ध तरीके से रेकी करके किया गया हमला
हमला तब किया गया, जब निरंकारी भवन में लोग इकट्ठा हुए थे। हमलावरों द्वारा बेबाकी के साथ डेरे के अंदर घुसना, मंच पर ग्रेनेड फैंककर वहां से आसानी से भाग जाना जैसे कदम इस तरफ इशारा करते हैं कि हमलावरों द्वारा सटीक तरीके के साथ रेकी की गई थी और इसके लिए संभव है कि वे उक्त डेरे पर 2 से 3 बार चक्कर लगाकर गए हों। यह भी सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी कहा जा सकता है, क्योंकि आतंकवाद के समय से ही तकरीबन पंजाब के हर हिस्से में स्थित निरंकारी डेरों पर पुलिस की तैनाती रही है। ग्रेनेड धमाके के बाद इंटैलीजैंस विंग द्वारा पिछले 2 महीने के मोबाइल फोन डाटा की माइङ्क्षनग शुरू की गई है, ताकि संभावित आरोपियों को चिन्हित किया जा सके। 

मकूसदां थाने में इस्तेमाल पल्सर मोटरसाइकिल नहीं हुआ बरामद
पुलिस और खुफिया एजैंसियां यह भी मानकर चल रही हैं कि मकसूदां थाने में इस्तेमाल किया गया पल्सर मोटरसाइकिल अब तक बरामद नहीं हुआ है। दूसरी ओर अब निरंकारी भवन में भी पगड़ीधारी हुलिया बनाए युवकों ने मोटरसाइकिल पर आकर ही भवन के अंदर ग्रेनेड फैंके हैं जिससे अमृतसर पुलिस जालंधर पुलिस से सम्पर्क साधकर केस की सारी डिटेल्स को स्टडी कर रही है। इंटैलीजैंस को शक है कि आतंकियों ने उसी मोटरसाइकिल पर आकर वारदात को अंजाम न दिया हो जोकि जालंधर में इस्तेमाल किया गया था। 

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