130 करोड़ भारतीयों के लिए ब्रिटिश हुकूमत से माफी नहीं दिलवा सके सियासतदान

punjabkesari.in Sunday, Apr 14, 2019 - 11:54 AM (IST)

अमृतसर (सफर): जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल बाद भी 130 करोड़ भारतीयों के लिए सियासतदान ब्रिटिश हुकूमत से माफी नहीं मंगवा सका है। सियासी पार्टियां दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद भी ऐसा कुछ अब तक नहीं कर सकी। शहीदों के परिवारों में इस बात का जहा रोष व्याप्त है, वहीं यही बात उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु से कहना चाह रहे थे, लेकिन उन तक शहीदों के परिवार वालों को पहुंचने ही नहीं दिया गया। ‘पंजाब केसरी’ ने इस ङ्क्षबदू पर शहीदों के परिवारों से जहां बातचीत की, वहीं जाना मौके पर सूरत-ए-हाल। पेश है यह खास रिपोर्ट।  

‘छला’ गया शहीदों का परिवार 
जलियांवाला बाग के शहीदों के परिवारों को 100 साल बाद शताब्दी श्रद्धांजलि समारोह में बुलाया गया था, लेकिन 100 साल बाद यह परिवार फिर से छला गया। उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु से जहां यह परिवार नहीं मिल सका, वहीं इन परिवारों के चारों तरफ पुलिस का स त पहरा था, जिसके चलते चाह कर भी आजादी से यह श्रद्धांजलि समारोह भी नहीं मना सके। बीबी अमरजीत कौर कहती हैं कि शहीदों के परिवारों की कौन सुनता है, सब तो कुर्सी का खेल है।

सियासतदानों ने बस शहीदों के नाम पर राजनीति की
जलियांवालाबाग शताब्दी श्रद्धांजलि समारोह को लेकर शहीदों के परिवारों में सियासतदानों के विरुद्ध रोष था वहीं सवाल भी थे कि आजादी के लिए जान गंवाने वालों को आज तक शहीद ही नहीं माना गया। जोधा सिंह के दादा ज्ञान सिंह शहीद हुए थे। अंग्रेज सिंह के पिता करनैल सिंह, अमरजीत सिंह के पिता साधु सिंह शहीद हुए थे। रतन सिंह के दादा बिशन सिंह ने सीने पर गोलियां खाई थीं। शहीदों के इन परिवारों ने अब तक की सरकारों को जमकर कोसते कहा कि शहीदों पर राजनीति ही हुई है, उन्हें सम्मान अब तक नहीं मिला। 

शहीदों को इंसाफ दिलाने के लिए हरियाणा से आई रैली
जलियांवाला बाग के शहीदों को इंसाफ दिलाने के लिए आज दोपहर डिप्टी कमिश्रर कार्यालय से जलियांवाल बाग तक किसान मोर्चा संगठन ने रैली निकाली। हाथ में पोस्टर लेकर रैली निकालने वाले हरियाणा के किसान भारी गिनती में पहुंचे। नारेबाजी के साथ करीब 500 किसानों ने शहर में रैली निकाली।

हाथ में दादा की तस्वीर, दिल में गुस्सा 
दिल्ली से आए हरीश खन्ना ने हाथ में अपने दादा लाला रामजस खन्ना की तस्वीर लेकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने जलियांवाला बाग पहुंचे थे। कहने लगे कि 100 साल बाद भारत की 130 करोड़ जनता को सियासतदान ब्रिटेन से माफी नहीं दिलवा सके। अगर सभी भारतीय मजहब व सियासत भुलाकर एक आवाज में दहाड़ते तो अब तक जलियांवाला बाग में गोली चलवाने के लिए ब्रिटिश हुकुमत माफी मांग चुकी होती। हरीश खन्ना दादा की तस्वीर शहीदी लाट पर रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली। कहने लगे कि जलियांवाला बाग के शहीदों को शहादत का दर्जा देने के लिए जन आंदोलन चलाना होगा, वर्ना सियासत ऐसे ही शहादत पर राजनीति करती रहेंगी।

लखनऊ से नाना को श्रद्धांजलि देने पहुंचे अब्दुल वली
देश की आजादी के लिए जलियांवाला बाग में मेरे नाना मौलाना अब्दुल बारी फिरंगी मेहंदी ने भी शहादत दी थी। महात्मा गांधी के साथ जेल काटी थी। मैं लखनऊ के फिरंगी महल से चलकर यहां आया हूं। मुझे इस बात का दुख है कि 100 साल बाद भी शहीदों की श्रद्धांजलि समारोह में सियासत बंट गई है। यह कहते हुए अदनान अब्दुल वली खामोश हो गए और शहीदों के परिवार के बीच यह खामोशी हरेक चेहरे पर इसी बात को लेकर थी। 

Mohit