47 वर्ष बाद भी नहीं हो सका जिन्दा शहीद रामदास का ‘अभिनंदन’

punjabkesari.in Monday, Mar 04, 2019 - 10:31 AM (IST)

अमृतसर (नीरज): विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी से आज सारा देश अपने वीर सपूत का अभिनंदन कर रहा है, पूरे देश में जोश की लहर पैदा हो गई है बेशक पाकिस्तान ने जीनेवा समझौता के तहत अभिनंदन की रिहाई की है लेकिन हमारा एक सैनिक जिन्दा शहीद ऐसा भी है जिसका 47 वर्ष बाद भी अभिनंदन नहीं बन सका है। भारतीय सेना ने 1965 व 71 की जंग के दौरान हजारों की संख्या में पाकिस्तानी जंगी कैदियों को रिहा कर दिया था लेकिन पाकिस्तान ने हमारे 54 जंगी कैदियों को आज तक रिहा नहीं किया है। इन 54 जंगी कैदियों की लिस्ट में जिन्दा शहीद सैनिक रामदास का नाम भी शामिल है जो 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में लड़ते हुए पाकिस्तान की सीमा में कब चले गए उन्हें पता नहीं चला जहां उनको गिरफ्तार कर लिया गया। भारत सरकार ने भी जंग जीतने के बाद 4 नवंबर 1971 के दिन रामदास को शहीद करार दे दिया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने भी ऐलान कर दिया कि पाकिस्तान के पास हमारा कोई जंगी कैदी नहीं है लेकिन सैनिक परिवार बिलख रहे थे क्योंकि उनके अपनों को सरकार ने शहीद होने संबंधी कोई सबूत नहीं दिया। एक दिन ऐसा भी आया जिस भारत सरकार की तरफ से किया गया ऐलान झूठा साबित हो गया। पाकिस्तान के रावलपिंडी रेडियो ने 25 जनवरी 1972 के दिन शाम 4 बजकर 10 मिनट पर भारतीय जंगी कैदियों का ब्राडकॉस्ट किया जिसमें रामदास ने बोलते हुए कहा कि यदि कोई भारतीय मेरी आवाज सुन रहा है तो मेरे सन्देश को भारतीय सेना या मेरे परिवार तक पहुंचा दिया जाए क्योंकि मैं पाकिस्तान की जेल में कैद हूं और जिन्दा भी हूं। इस रेडियो सन्देश की खबर सुनने के बाद रामदास के परिवार में खुशी की लहर पैदा हो गई लेकिन भारत सरकार ने अपने इस वीर सपूत की रिहाई के लिए वह सख्त प्रयास नहीं किए जैसे विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के लिए किए हैं।

पत्नी आज भी रखती हैं करवाचौथ का व्रत
सैनिक रामदास का परिवार अमृतसर में रहता है और उनकी पत्नी कांता कुमारी आज भी अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। रामदास के इकलौता बेटे शिव कुमार शर्मा पंजाब पुलिस में अधिकारी हैं और देश सेवा कर रहे हैं। शिव कुमार ने बताया कि हिन्दू रीती-रिवाज के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी अंतिम रस्म किरया किया जाता है। मरने वाले व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है लेकिन मेरे परिवार ने आज तक कोई श्राद्ध नहीं रखा है क्योंकि हमें उम्मीद है कि एक दिन मेरे पिता पाकिस्तान की जेल से जिन्दा वापस अपने परिवार में वापस आएंगे। 

सैनिक मंगल सिंह के परिवार की भी रामदास जैसी कहानी
जिन्दा शहीद सैनिक रामदास की भांति सैनिक मंगल सिंह की भी वही कहानी है। सैनिक मंगल सिंह भी 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में पाकिस्तानी सेना की तरफ से गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन उनके जिन्दा होने के सबूत पाकिस्तानी अखबारों में मिले। भारत सरकार ने भी सैनिक मंगल सिंह का नाम 54 लापता जंगी कैदियों की लिस्ट में डाल दिया लेकिन पाकिस्तान ने आज तक मंगल सिंह को रिहा नहीं किया गया। मंगल सिंह का परिवार भी यही मानता है कि मंगल सिंह जिन्दा हैं। मंगल सिंह के बेटे टैक्सी चलाकर अपने परिवार का निर्वाह कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से इस परिवार को कोई विशेष सुविधा नहीं दी गई है। मंगल सिंह के परिवार ने भी उनका अंतिम रस्म किरया या मरोणोपरांत किसी प्रकार की धार्मिक रीति रीवाज पूरे नहीं किए हैं और इसी उम्मीद में हैैं कि मंगल सिंह एक दिन अपने वतन लौट आएंगे।

बी.एस.एफ. कांस्टेबल सुरजीत सिंह भी 52 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में
भारतीय सेना ही नहीं बल्कि बी.एस.एफ. ने भी भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान पाकिस्तान के दांत खट्टे कि ए थे। बी.एस.एफ. के कांस्टेबल सुरजीत सिंह ने 1965 की भारत-पाक जंग के दौरान दुश्मन के साथ लौहा लिया और पाकिस्तानी सेना की तरफ से गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन 52 वर्ष बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान ने उनको रिहा नहीं किया है। पाकिस्तान की जेल में 24 वर्ष की सजा काटने के बाद रिहा होकर आए जासूस गोपाल दास ने भी पुष्टि की थी कि सुरजीत सिंह को पाकिस्तान की किसी जेल में रखा गया है। समय-समय पर पाकिस्तान की जेलों से रिहा होकर आए जासूसों ने सुरजीत सिंह के जिन्दा होने की बात कही, लेकिन सुरजीत सिंह को पाकिस्तान ने आज कर रिहा नहीं किया। सुरजीत सिंह का परिवार भी उनका अभिनंदन करने के लिए तड़प रहा है।

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर ने भी अपनी किताब में की थी पुष्टि
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों ने भी अपनी किताब में भारतीय सैनिकों के जिन्दा होने की पुष्टि की थी। बेनजीर के पिता को जब जेल में डाल दिया गया था तो उनको जेल में भारतीय सैनिकों की चीखने चिल्लाने की आवाजें आती थीं। बेनजीर ने यहां तक कहा कि ज्यादातर भारतीय सैनिक पागल हो चुके हैं।


मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी की है जंगी कैदियों को रिहा करने की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह एक वरिष्ठ नेता ही नहीं बल्कि एक सैनिक अधिकारी भी रहे हैं और वह भी पाकिस्तान की जेलों में कैद 54 भारतीय जंगी कैदियों की रिहाई करने की मांग करते रहे है और विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के दिन भी कैप्टन ने जंगी कैदियों को रिहा करवाने के लिए केन्द्र सरकार से अपील की है।

Anjna