अमृतसर हादसाः CM ने दिए जिम्मेदार रेलवे क्रॉसिंग गेटमैनों व प्रबंधकों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश

punjabkesari.in Friday, Dec 07, 2018 - 12:54 PM (IST)

जालन्धर (धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने दशहरे वाले दिन अमृतसर में हुए भीषण रेल हादसे के लिए मैजिस्ट्रेट जांच में दोषी ठहराए गए जौड़ा फाटक रेलवे क्रॉसिंग के गेटमैन तथा प्रबंधकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस रेल हादसे में 61 लोगों की मौत हुए थी। मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने दिए थे। यह जांच जालन्धर डिवीजन के कमिश्नर बी. पुरुषार्था ने की थी। 

जांच में रहस्योद्घाटन किया गया है कि सार्वजनिक स्थलों व सरकारी जमीनों पर होने वाले समारोहों को लेकर नियमों का पालन नहीं हो रहा है। जांच में कहा गया कि दशहरा समारोह आयोजित करने के मामले में प्रबंधकों ने भी सुरक्षा मापदंडों को लेकर भारी कोताही बरती। इसके साथ ही रेलवे कर्मचारियों ने भी बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती। इस व्यापक रिपोर्ट में जालन्धर डिवीजन के कमिश्रर ने सरकार से कहा है कि उन्होंने इस हादसे को लेकर सभी पहलुओं की गहराई से समीक्षा की। प्रभावित लोगों के साक्षात्कार लिए गए और साथ ही संबंधित विभिन्न अधिकारियों तथा जिला प्रशासन व रेलवे कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए गए। 

जांच में यह भी कहा गया कि स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू जिन्होंने दशहरा समारोह में भाग लिया था, की समारोह आयोजित करने में कोई भूमिका नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर आयोजक दशहरा उत्सव देखने के लिए आने वाले लोगों के जान-माल व सुरक्षा को लेकर गंभीर होते तो उन्हें सुरक्षा के लिए समस्त प्रबंध करने चाहिए थे। दशहरा करने के लिए संबंधित स्थल की घेराबंदी बाऊंड्री वॉल से की जानी चाहिए थी। रेलवे ट्रैक से इस दशहरा स्थल को अलग किया जाना चाहिए था।जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्शकों ने भी भारी गलती की क्योंकि वे रेलवे ट्रैक पर बैठ कर दशहरा समारोह देख रहे थे। प्रबंधकों ने बिना किसी अनुमति के समारोह आयोजित किया और साथ ही उन्होंने सुरक्षा व बचाव को लेकर उपाय नहीं किए थे। रिपोर्ट में पुलिस तथा नगर निगम अधिकारियों पर कानून को लागू करने के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए तथा कहा कि उन्होंने अकारण ही इस मामले में दया दिखाई जबकि प्रमुख रेल कर्मचारियों ने सेफ्टी व सुरक्षा को लेकर कोई उपाय नहीं किए जबकि उन्हें पता था कि दशहरे वाले दिन लोग रेलवे ट्रैक पर भारी गिनती में एकत्रित होंगे। 

2 गेटमैनों पर मैजिस्ट्रेट जांच में गिरी गाज
जांच में कहा गया है कि गेट नं. 27 जौड़ा फाटक अमृतसर के गेटमैन अमृत सिंह अपनी ड्यूटी निभाने में बुरी तरह विफल हुआ तथा उसने ऐसी घटना को घटित होने से रोकने के लिए अग्रिम उपाय नहीं किए थे। वह एक ऐसा रेलवे कर्मचारी है जिसकी लापरवाही से दुर्घटना हुई। जांच रिपोर्ट में गेट नं. 26 के एक अन्य गेटमैन निर्मल सिंह को भी इस विफलता के लिए दोषी ठहराया गया है क्योंकि वह भी गेट नं. 27 के गेटमैन को समय पर लोगों के रेलवे ट्रैक पर एकत्रित होने की सूचना नहीं दे सका। उसे रेलवे ट्रैक पर दशहरा देखने के लिए आए लोगों की उपस्थिति के बारे में शाम 5.30 बजे पता चल गया था परन्तु उसने गेट नं. 27 के गेटमैन अमित सिंह को इसकी सूचना शाम 6.40 से 6.45 के बीच दी। उसने संबंधित स्टेशन मास्टर को भी सूचना नहीं दी इसलिए इस घोर लापरवाही के लिए वह भी जिम्मेदार है। 

आयोजक अगर अनुमति लेते तो इतना बड़ा हादसा न होता
जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि दशहरा समारोह करने के लिए आयोजकों के पास कोई पूर्व अनुमति नहीं थी। इसी तरह से धोबी घाट पर रावण दहन के बारे में भी कोई अग्रिम अनुमति नहीं ली गई थी। दशहरा समारोह गैर-कानूनी ढंग से आयोजित किया जा रहा था जिसमें दर्शकों के जीवन के बचाव व सुरक्षा की तरफ ध्यान नहीं दिया गया था। यह भी देखा गया कि आयोजकों को पता था कि दशहरा देखने के लिए भारी गिनती में लोग आएंगे परन्तु फिर भी उन्होंने रावण दहन की घटना से पहले सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त नहीं करवाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आयोजकों ने न तो पुलिस प्रशासन को दशहरा आयोजित करने की जानकारी दी और न ही इसके संबंध में रेलवे अधिकारियों को सूचित किया। अगर आयोजक इस संबंध में थोडी-सी भी जानकारी अधिकारियों को दे देते तो इतना बड़ा हादसा न होता।

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