कांग्रेस में चल रहे क्लाईमेक्स में दोआबा के 2 कैबिनेट मंत्रियों में खिंचीं जा सकतीं हैं तलवारें !

punjabkesari.in Friday, Oct 01, 2021 - 10:48 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): पिछले महीने से पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के बाद नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान बन जाते हैं, कैप्टन अमरिन्दर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता है। फिर चरणजीत चन्नी के हाथों में कांग्रेस सरकार की कमान आ जाती है। इसके बावजूद कांग्रेस में चल रहा क्लाईमेक्स खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अब कांग्रेस की राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के साथ मचे घमासान का बुरा प्रभाव चन्नी कैबिनेट के मंत्रियों पर पड़ना तय माना जा रहा है।

एक तरफ संतुष्ट सुलताना सिद्धू के समर्थन में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे देते हैं। दूसरी तरफ सिद्धू के इस्तीफे के साथ दोआबा इलाको के कांग्रेसी नेताओं के बीच कांग्रेस में चल रहे क्लाईमेक्स में दोआबा के 2 कैबिनेट मंत्रियों में तलवारें खिंचीं जा सकतीं हैं।

कांग्रेस पार्टी में चल रही खींचातनी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनीं हुई हैं। कांग्रेस में मौजूदा समय के हालातों में कैबिनेट मंत्री परगट सिंह और राणा गुरजीत सिंह काफी चर्चित हुए। कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिद्धू को मनाने के लिए 2 सदस्यता समिति में परगट सिंह को शामिल किया है। दूसरे तरफ सिद्धू भी राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल में से हटाने पर अड़े हुए हैं। परगट सिंह और राणा दोनों कैबिनेट मंत्री अपने-अपने पदों को संभालने के बाद दोआबा में वापस नहीं मुड़े हैं, जिस कारण कांग्रेसी नेता और वर्कर मायूसी से एक-दूसरे का मुंह देख रहे हैं।

हालांकि परगट के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद हलके में आने को लेकर कांग्रेसी वर्करों ने जोरदार स्वागत करने के प्रबंध भी किए थे परन्तु मौजूदा राजनीतिक हालात कारण उन की सभी तैयारियां ऐसे धरी रह गई। जिक्रयोग्य है कि राणा गुरजीत को जब कैबिनेट में शामिल करने की पुष्टि हुई थी, तब कांग्रेस के पूर्व प्रधान महिन्दर सिंह के.पी., उत्तरी विधानसभा हलके विधायक बावा हैनरी, चब्बेवाल से विधायक डा. राज कुमार, फगवाड़ा से विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल, सुलतानपुर लोधी से विधायक नवतेज सिंह चीमा, शामचौरासी से विधायक पवन आदिया और भुलत्थ से विधायक सुखपाल सिंह खहरा ने राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट में शामिल करन का विरोध किया था। 

कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो जैसे कुछ विधायकों की तरफ से कांग्रेस लीडरशिप को चिट्ठी लिखने की भनक लगी, उसी दौरान राणा गुरजीत ने भी हस्ताक्षर मुहिम चला कर 22 के लगभग विधायकों को अपने समर्थन में खड़ा कर लिया था, जिस कारण राणा गुरजीत के कैबिनेट के रास्ते में कोई रुकावट नहीं पड़ी। राणा गुरजीत के समर्थक विधायकों का कहना था कि उनका निजी तौर पर मानना है कि दोष साबित न होने पर किसी को दोषी कहना बिल्कुल गलत है, जिस कारण कुछ विधायकों की तरफ से राणा गुरजीत को जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। विधायकों ने कहा कि 2022 की विधानसभा मतदान में बहुत कम समय बचा है। ऐसे हालात में सभी नेताओं को एकजुट होकर 117 विधानसभा हलकों में लड़ाई लड़नी होगी। 

अब हालात ऐसे हैं कि नवजोत सिद्धू डी. जी. पी., ए. जी. समेत राणा गुरजीत को हटाने को लेकर अड़े हुए हैं। आज भी मुख्यमंत्री चन्नी, नवजोत सिद्धू और कांग्रेस के कई नेताओं के साथ पंजाब भवन में 2 घंटे चली मैराथन मीटिंग में कोई भी सिद्धू को मना नहीं सका। हालांकि नवजोत सिद्धू की 3 मांगों को लेकर उनको मनाने की कवायद में जुटे उनके समर्थक परगट सिंह का नजदीक भविष्य में राणा गुरजीत के साथ सीधा राजनीतिक टकराव होना निश्चित है और यदि ऐसा होता है तो दोआबा में कांग्रेस की राजनीति में इसके दूरदर्शी नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

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Content Writer

Sunita sarangal

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