Driving License बनवाने वाले सैंकड़ों आवेदक परेशान, बिना काम करवाए लौट रहे वापिस

punjabkesari.in Tuesday, Jun 03, 2025 - 11:11 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): जून महीने के पहले कार्य दिवस पर भी ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर का सर्वर लोगों को धोखा दे गया। सुबह से ही कभी बिजली बंद, कभी सर्वर बंद और कभी सर्वर की स्लो स्पीड ने सैंटर की गतिविधियों को पूरी तरह बाधित कर दिया। इस वजह से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आए सैंकड़ों आवेदकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। धूप, गर्मी और इंतजार से परेशान लोग आखिरकार बिना काम कराए वापस लौटने को मजबूर हो गए।

सुबह से ही सैंटर पर आवेदकों की लंबी कतारें देखी गईं। अधिकतर लोगों के पास ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट थी, जो उन्हें पिछले कई दिनों से मिली थी। लेकिन जैसे ही आवेदक डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन के लिए काऊंटर पर पहुंचे, सर्वर बार-बार बंद हो गया या प्रक्रिया के बीच रुक गया। कई लोगों के अनुसार, स्टाफ भी तकनीकी खामी के चलते असहाय नजर आया और उन्हें केवल ‘थोड़ा इंतजार करें’ या “सर्वर चालू होते ही प्रक्रिया शुरू करेंगे’ जैसे जवाब मिलते रहे। एक आवेदक रविंदर सिंह, जो जंडूसिंघा से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने आए थे, ने बताया कि वह सुबह 9 बजे पहुंचे थे और दोपहर 2 बजे तक बिना कुछ कराए लौट गए। “इतनी गर्मी में बैठने की जगह भी नहीं है। उन्होंने गुस्से में कहा कि पेयजल तक की व्यवस्था नहीं। हम आखिर कब तक ऐसे सिस्टम से जूझते रहेंगे?”

गौरतलब है कि यह समस्या केवल आज की नहीं है, बल्कि पूरे मई महीने में यही हालात रहे हैं। सैंटर में रोजाना करीब 300 से 400 अप्वाइंटमेंट्स की बुकिंग होती है, लेकिन आधे से ज्यादा आवेदक सर्वर खराबी, बिजली गुल और तकनीकी अड़चनों के कारण निराश लौटते हैं। कुछ लोगों को तो दूसरी बार अपॉइंटमेंट लेकर दोबारा आना पड़ा, जिससे उन्हें समय और पैसे दोनों का नुकसान हुआ। परेशान आवेदकों का कहना है कि यह पूरी व्यवस्था आवेदकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। सरकारी दावे और तकनीकी उन्नति के नाम पर खोला गया ऑटोमेटेड टेस्ट सेंटर यदि महीने भर से ठीक से काम नहीं कर पा रहा है, तो जवाबदेही किसकी बनती है?

अब यह देखना होगा कि परिवहन विभाग इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान कब करता है। जब तक सर्वर और सिस्टम दुरुस्त नहीं होते, तब तक ड्राइविंग लाइसैंस प्रक्रिया सिर्फ नाम की ‘ऑटोमेटेड’ रहेगी, व्यवहार में नहीं। आवेदकों ने मांग की है कि उच्च अधिकारी खुद मौके का दौरा करें और फील्ड की असल तस्वीर देखें।

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News Editor

Kalash

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