फ्रीजर में गहन समाधि ली है आशुतोष महाराज ने, माइनस डिग्री टेंपरेचर में आज हो गए पूरे 6 साल

punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2020 - 11:14 AM (IST)

जालंधरः दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की आज से ठीक 6 साल पहले 28 जनवरी, 2014 की रात मौत की खबर सामने आई थी। यहां आश्रम के प्रबंधकों ने इसे नकारते हुए उनके गहरी समाधि में जाने का दावा किया था। वहीं डॉक्टरों की टीम ने महाराज को क्लीनीकली डेड घोषित किया था। सेवादारों ने महाराज को फ्रीजर में माइनस डिग्री टेंपरेचर में रखा  है। 

 1983 में रखी थी दिव्य ज्योति संस्थान की नींव
 पंजाब के काले दौर में महाराज ने 1983 में जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी। समय के साथ-साथ महाराज से प्रभावित होने वालों की संख्या लगातार बढ़ती रही । कुछ ही सालों में उनके लाखों अनुयायी हो गए। 

प्रवचन सुनने के लिए उमड़ती थी भीड़
1991 में उन्होंने संस्थान का आधिकारिक पंजीकरण दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के नाम से करवाया। इसके बाद उनके रोजाना व साप्ताहिक तथा मासिक प्रवचनों को सुनने के लिए भीड़ उमड़ने लगी। उस दौर में पंजाब आतंकवाद से जूझ रहा था। संस्थान की तरफ से इस बारे में प्राचीन काल के ऋषियों के उदाहरण भी दिए गए कि किस प्रकार वह सालों साल गहन समाधि में चले जाते थे, और सही समय आने पर दोबारा गहन समाधि से लौट आते थे। इसी आधार पर संस्थान की तरफ से महाराज के शरीर को टाइट सिक्योरिटी व माइनस डिग्री के तापमान पर सुरक्षित रखा गया है। देश व विदेश में 350 से ज्यादा शाखाओं के जरिये संस्थान व महाराज के साथ करोड़ों अनुयायी जुड़े हुए हैं।

आंतकी संगठनों की हिट लिस्ट में था आशुतोष महाराज,सरकार ने दी थी जेड प्लस सुरक्षा
आशुतोष महाराज ने समाज को एकजुट करके तमाम बुराइयों से लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया था। विभिन्न आतंकी संगठनों के गिरफ्तार आतंकियों की हिट लिस्ट में महाराज का नाम कई बार सामने आने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से उनको जेड प्लस सिक्योरिटी उपलब्ध करवाई गई थी। यह सुरक्षा उनकी गहन समाधि में जाने के काफी देर तक जारी रही। उसके बाद सरकार ने इसे जेड सिक्योरिटी में बदल दिया था।

संस्थान में प्रवेश के लिए गहन तलाशी
संस्थान के एक प्रमुख सेवादार बताते हैं कि महाराज आज भी गहन समाधि में हैं। उनकी समाधि स्थल को आज भी पूरी तरह से टाइट सिक्योरिटी में रखा गया है। कुछ खास सेवादारों को ही वहां जाने की अनुमति है। अब नूरमहल-नकोदर मार्ग से संस्थान की तरफ जाने वाली सड़क पर पुलिस का चेकपोस्ट बना दी गई है। साथ ही आधा किलोमीटर अंदर जाने के बाद स्थित संस्थान में भी प्रवेश से पहले गहन तलाशी देकर जाने की अनुमति दी जाती है।


  पूर्व चालक ने आश्रम के लोगों पर लगाया था महाराज को बंदी बनाने का आरोप
आशुतोष की समाधि की खबर आते ही पूरन सिंह नाम का शख्स सामने आया। पूरन ने खुद को आशुतोष का पूर्व चालक बताया और आश्रम के लोगों पर आशुतोष को बंदी बना कर रखने का आरोप लगाते  हाईकोर्ट   पहुंचा। पूरन के दावे मुताबिक वह 1988 से 1992 तक आशुतोष का चालक रहा। पूरन ने दावा किया था कि आश्रम के पास करोड़ों की जायदाद है जिसके लालच में ही आश्रम के लोगों ने समाधि का नाटक रचा। पूरन ने अदालत में दायर पटीशन द्वारा मामले की सच्चाई सामने लाने की गुहार लगाई थी।

 हाईकोट ने खारिज कर दी थी पूरन सिंह की पटीशन
हाईकोर्ट ने पूरन सिंह की पटीशन पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते मामले पर जवाब मांगा। सरकार ने आश्रम के डाक्टर की रिपोर्ट के आधार पर आशुतोष को क्लीनिकली डैड बताते हाईकोर्ट में जवाब दायर किया। कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट के साथ सहमत होते आशुतोष को क्लीनिकली डैड माना और आशुतोष को बंधक बनाने वाली पूरन सिंह की पटीशन को खारिज कर दिया। पहली पटीशन ख़ारिज होने के बाद में पूरन ने हाईकोर्ट में एक और पटीशन दायर की जिसमें मांग की गई कि यदि आशुतोष की मौत हो चुकी है तो उसका पोस्टमाटम करवाया जाए और मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए मामले की जांच सी.बी.आई. हवाले की जाए। 

महाराज का बेटा भी आया था सामने
इस दौरान आशुतोष के साथ जुड़ा एक ऐसा राज़ सामने आया जिस ने हर किसी को चौंका कर रख दिया। दलीप कुमार नामक  एक शख्स और उसका पूरा परिवार सामने आया। दलीप ने खुद को आशुतोष महाराज का बेटा होने का दावा किया और साथ ही दलीप के परिवार ने आशुतोष का मृतक शरीर उनको सौंपने की मांग की। दलीप की तरफ से हाईकोर्ट में दायर की इस पटीशन के साथ कई अहम सबूत भी पेश किए गए। दायर की पटीशनों पर सुनवाई करते हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 1 दिसंबर 2014 को दिए एक फैसले में 15 दिन अंदर आशुतोष का अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया। आदेश मुताबिक अंतिम संस्कार पंजाब सरकार की एक समिति की तरफ से किया जाना था। पर पंजाब सरकार ने राज्य में हालात बिगड़ने की शंका जताते इस फैसले पर अमल करने से पल्ला झाड़ दिया। 
 

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