इस 57 साल के ‘जवान’ के आगे बड़े-बड़े एथलीट भी भरते हैं पानी

punjabkesari.in Thursday, Jun 21, 2018 - 10:56 AM (IST)

अमृतसर:  विजय नगर में किताबों की दुकान करने वाले जय भगवान से मिलने दूर-दूर से लोग आते हैं। 13 मई 2018 को जय भगवान ने चंडीगढ़ में आयोजित ‘शिवालिक मैराथन’ में पहाड़ों पर 42 किलोमीटर साइकिल चलाकर एवं साइकिल के साथ 10 किलोमीटर दौडऩे का ‘मैराथन चैंपियन’ बने हैं उन्हें देश-दुनियां ‘गूगल’ पर सर्च कर रही है।

 

मिल्खा सिंह का रिकार्ड तोडऩे के लिए दौड़ते हैं जय भगवान 
खास बात है कि जय भगवान ने यह ‘मैराथन’ 3 घंटे 27 मिनट में जीत कर यह साबित कर दिया है कि इंसान कभी ‘बुड्ढा ’ नहीं होता। साढ़े 57 वर्षीय जय भगवान कहते हैं कि मेरा जन्म 28 जनवरी 1961 में हुआ था और मैंने 28 जनवरी 2018 में दौडऩा शुरू किया। मिल्खा सिंह का रिकार्ड तोडऩे के लिए 50 किलोमीटर दौडऩा शुरू किया है। 10, 20 व 30 किलोमीटर दौडऩे के लिए शहर के कई और लोगों को तैयार किया है, जिसमें सीनियर सिटीजन भी शामिल हैं। जय भगवान की ‘जीवनी’ जय और भगवान के साथ बीती। सब की जय करते रहे और भगवान में आस्था बनाए रखी। पिता शादी राम ने सुलोचना देवी से ‘शादी’ 1960 में हुई। पहली संतान हुई तो नाम रखा  ‘जय भगवान’। जय भगवान से छोटे शिवचरण, अश्वनी कुमार व बहन कुसुम है। पिता गोलगप्पे बेचते थे। घर की बड़ी संतान होने के नाते जय भगवान ने सातवीं कक्षा में ही किताबों की दुकानों पर नौकर की।

 

युवाओं को दौड़ में पछाड़ रहा साढ़े 57 साल का ‘जवान’
हायर सैकेंडरी किताबों की दुकानों में किताबें पढ़कर अच्छे नंबरों से पास की, अंग्रेजी में सबसे ज्यादा नंबर थे। जय भगवान की सोच थी कि वो ईमानदारी से बड़ा आदमी बने। इसी सोच के साथ ही उन्होंने 1980 में पिता शादीराम ने 1100 रुपये लेकर विजय नगर में ‘शिव बुक डिपो’ खोला। पढ़ाई भले ही कम थी लेकिन दिमाग एम.बी.ए को मात देता था। उन्होंने स्कूलों में जाकर बच्चों से संपर्क साधा, किताबों केदाम में ‘कमीशन’ कम कर दी और किताबों पर ‘कवर’ फ्री चढ़ाने लगे। यह फार्मूला इतना सटीक साबित हुआ कि ‘भगवान’ ने कमाई में ‘जय’ कर दी। धीरे-धीरे जरूरतमंद बच्चों को वो किस्तों व फ्री किताबें भी देने लगे।बचपन से साइकिल चलाने के शौकीन जय भगवान ने 2018 में अपने जन्म तारीख 26 जनवरी को दौडऩा शुरू किया। पांच किलोमीटर से उनकी दौड़ अब 50 किलोमीटर तक पहुंच गई है। सुनाम में आयोजित दौड़ में गोल्ड मैडल हासिल करके पंजाब के गबरूओं को साढ़े 57 साल के ‘जवान’ ने पिछाड़ दिया। पिछले 5 वर्षों से वैष्णों देवी की यात्रा साइकिल पर करते हैं। 

योग न कर सको तो सैर जरूर करो
जय भगवान कहते हैं कि योग करना चाहिए, अगर योग नहीं कर सकते तो सैर जरूर करो। नौजवानों को सैर और दौड़ से जुड़े उन्हें किसी कंपनी के प्रोडेक्ट खाकर सेहत बनाने की जरूरत नहीं। नशे से दूर रहें और पढ़ाई जितनी करे मन लगाकर करे। हर बीमारियों को सैर दूर कर देती है, जब से मैं दौडऩे लगा हूं लगता है कि जवानी फिर से लौट आई है। बस हसरत है कि दुनिया उन्हें वल्र्ड रिकार्ड बनाते देखे। 

जय भगवान की 2 संतानें
जय भगवान की दो संतानें हैं, बड़ा बेटा सुमित शर्मा कनाडा में प्राइवेट कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम कर रहा है, बेटी प्रियंका शर्मा पढ़ाई कर रही है। पत्नी  मंजू शर्मा बुक डिपो  में उनका ‘साथ’ निभा रहा ही। 50 किलोमीटर  दौडऩे के बाद जय भगवान सादा भोजन व भीगा अखरोट का सेवन करते हैं।  अब तक कई गोल्ड मैडल जीत चुके हैं, हसरत है कि विश्व रिकार्ड इस उम्र में दौडऩे का  बनाए, जिसके लिए जय भगवान सुबह साढ़े 3  बजे से ही मिशन में जुट जाते हैं। 
 

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