यहां गूंगे बच्चे भी लग जाते हैं बोलने, होती है हर मनोकामना पूरी
punjabkesari.in Monday, Mar 27, 2017 - 04:27 PM (IST)
मानसा(मित्तल): पंजाब की धरती गुरुओं, पीरों व पीर-पैगंबरों की धरती से जानी जाती है, जहां अनेकों ही संत-महापुरुषों ने इस धरती पर चरण डाले जिनके चरण से यह धरती पवित्र हो गई जिसकी वजह से आज पंजाब में रोजाना ही कोई न कोई धार्मिक मेला लगता है। पंजाब में लगने वाले मेलों की लड़ी में ही आता है मशहूर धार्मिक मेला बाबा भाई गुरदास जो इस स्थानीय शहर के अंदर दिल्ली से फिरोजपुर जाने वाले राष्ट्रीय राज रेलमार्ग पर पश्चिम दिशा पर स्थित शहर मानसा जिसको जिला बने करीब 25 वर्ष हो गए हैं और यह पूरे मालवा क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है। यहां के मानसा सिरसा रोड पर स्थित ट्रक यूनियन के पास बनी बाबा भाई गुरदास जी की समाधि पर भारी मेला पिछले 139 वर्षों से होता चला आ रहा है।
मौत के बाद बनी बाबा जी की समाधी
इस डेरे के महंत अमृत मुनि ने बताया कि भाई गुरदास जी उदासीन सांप्रदायिक के साथ संबंध रखते थे व पंचायती बड़ा अखाड़ा के संत थे। इनका विवाह मानसा में ही हुआ था। जब लड़की के माता-पिता को यह पता चला कि यह तो कोई संत फकीर है तो उन्होंने लड़की भेजने से मना कर दिया व बाबा जी उनके घर के सामने ही बैठ कर लोगों को आशीर्वाद देने लगे तथा लोगों की मनोकामनाएं पूरी होने लगीं। फिर उनकी मौत के बाद यहां बाबा जी की समाधी बना दी गई। बुजुर्गों के अनुसार यहां बने कुंड से जल पीने से गूंगे बच्चे भी बोलने लग जाते हैं।
हर मनोकामना होती है पूरी
बाबा जी की समाधि पर सच्ची श्रद्धा के साथ की गई मनोकामना जरूर पूरी होती है। महंत अमृत मुनि ने बताया कि बाबा जी के भक्तों के लिए 27 मार्च को लगने वाले मेले में लंगर, जूता कैंप, मैडीकल कैंप भी लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि समाधी पर निर्माण कार्य मानसा निवासियों के सहयोग से चलाया जा रहा है। समाधी को और सुंदर बनाने के लिए विशेष यत्न किए जा रहे हैं। समाजसेवी व अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं के साथ जुड़े सुरिंद्र मीरपुरिया, तीर्थ सिंह मित्तल, काला बिंदी वाला, मलकीत सिंह भपला व जगन नाथ कोकला ने लोगों से अपील की कि वे इस मेले में पहुंच कर अपने जीवन को सफल बनाएं।