इस मजार पर शराब चढ़ाने से मिलती है बेटे की दात
punjabkesari.in Monday, Apr 10, 2017 - 01:14 PM (IST)

अमृतसरः 21 वीं सदी में रहने के बावजूद भारत के लोग अंधविश्वास में जी रहे हैं। अंधविश्वास का कारण शिक्षा की कमी को माना जाता है, लेकिन भारत में शिक्षित लोग भी अंधविश्वासी है। आज हम आपको ऐसे अंधविश्वास के बारे में बताने जा रहे हैं। पंजाब के मजीठा से 5 किलोमीटर की दूरी पर गांव भोमा में बाबा रोडे शाह की माजर स्थित है।
कहते हैं कि मजार पर शराब चढ़ाने से और शराब का लंगर लगाने से बच्चा हो जाता है। सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। पूल के नजदीक बाबा रोडे शाह की समाधि है। यहां के सेवक गुरनेक सिंह का कहना है कि बाबा रोडे शाह जी गांव धीमान (दमोदर) जिला गुरदासपुर से संबंधित थे। बाबा जी बचपन से ही भक्ति में लीन रहते थे। उन्होंने यहां आकर चबूतरा बनाया, जिस पर बैठकर वह भक्ति किया करते थे।
यहां हर साल मार्च माह में विशाल मेला लगता है। इस साल 23 और 24 मार्च को लगे मेले में करीब 3 लाख श्रद्धालुओं ने माथा टेका। मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर इस मेले में बाबा रोडे शाह की समाधि पर लोग लगभग 2 लाख लीटर शराब चढ़ाते हैं, जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को पिलाया जाता है।हैरानी की बात ये है कि मेले में पुरुषों के साथ साथ महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर शिरकत करती हैं। बेझिझक महिलाएं भी शराब का प्रसाद लेती हैं और उसे ग्रहण भी कर रही हैं। मेले में बाबा जी के श्रद्धालु घर की बनाई देसी, अंग्रेजी व विदेशी शराब की कुछ बूंदे बाबा जी की समाध पर रखे गए एक बर्तन में डालते हैं। उसके बाद वह शराब श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बांट दी जाती है।
प्रसाद के रूप में शराब का सेवन करने की बात पर श्रद्धालुओं का मानना है कि यह बाबा जी का आशीर्वाद है और उनका आशीर्वाद लेने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। हाथों में शराब की कैनियां, विदेशी देशी शराब की महंगी बोतलें लहराते हुए लोगा ढोल की थाप पर नाचते हुए आते हैं।माथा टेकने आए श्रद्धालु रविंदर कुमार और गज्जन सिंह का कहना था कि उन्होंने बाबा जी के समक्ष पुत्र की मन्नत मांगी थी, मन्नत पूरी हुई तो शराब का प्रसाद उन्होंने बाबा जी के समक्ष चढ़ाया। एक अन्य श्रद्धालु उजागर सिंह ने बताया कि उनकी औलाद नहीं थी।
वह बाबा जी के पास आया और पुत्र की दात मांगी। इसके बाद उनके यहां एक बेटे ने जन्म लिया, जिसका नाम रवेल सिंह रखा।पुत्र की दात पूरी होने के बाद उजागर सिंह ने बाबा जी को खेत या 500 रुपये देने की बात कही, लेकिन बाबा जी ने मना कर दिया। बाबा जी ने उन्हें कहां यहां जो संगत बैठी है, उनके लिए शराब ही ले आओ, जिसके बाद यहां शराब का भोग लगने लगा। यहां भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है, जो भी सच्चे मन से मांग लेता है, वह पूरी हो जाती है और भक्त अपनी इच्छा से शराब चढ़ाता है।