पंजाब में 1999 के बाद अपना खाता नहीं खोल पाई बसपा

punjabkesari.in Saturday, May 25, 2019 - 08:52 AM (IST)

लुधियाना(हितेश): बहुजन समाज पार्टी वैसे तो राष्ट्रीय पार्टी से पिछले कुछ चुनावों के दौरान उ.प्र. में सिमट कर रह गई है। पंजाब में भी बसपा का वजूद खत्म होता जा रहा है, जबकि बसपा के संस्थापक कांशी राम खुद एम.पी. रह चुके हैं। मगर पंजाब में 1999 के बाद बसपा अपना खाता नहीं खोल पाई है, जिसका सबूत रिकार्ड पर नजर दौड़ाने से सामने आया है।

1999 के बाद बसपा ने लगभग हर चुनाव में अकेले या दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा है लेकिन सफलता नहीं मिली।ऐसा ही 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी देखने को मिला है। जब डैमोक्रेटिक अलाइंस के तहत सुखपाल खैहरा, सिमरजीत बैंस, धर्मवीर गांधी व वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लडऩे के बावजूद बसपा व उसके सहयोगियों को किसी सीट पर कामयाबी नहीं मिली है। यहां तक कि लुधियाना को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर पी.डी.ए. के उम्मीदवार तीसरे व चौथे नंबर पर आए हैं। 

 

पंजाब में बसपा की जीत का रिकार्ड

फिल्लौर  हरभजन लाखा    1989, 1996
फिरोजपुर   मोहन सिंह फलियांवाला  1992, 1996
होशियारपुर कांशी राम  1996

       
पंजाब में 2 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे अकाली दल के उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में तीसरा विकल्प बनने के लिए सभी सीटों पर चुनाव लडऩे वाले आम आदमी पार्टी व डैमोक्रेटिक अलाइंस के उम्मीदवारों में से भगवंत मान व सिमरजीत बैंस को छोड़कर बाकी सबकी जमानत जब्त हो गई है। इसके अलावा लगातार 10 साल तक राज करने वाले अकाली दल को जहां 10 में से सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई है। वहीं लुधियाना व संगरूर में अकाली दल के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं, क्योंकि लुधियाना में सिमरजीत बैंस दूसरे स्थान पर रहे और संगरूर में भगवंत मान की जीत के बाद कांग्रेस के केवल ढिल्लों दूसरे नंबर पर आए हैं।

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