बाजवा को  कैप्टन की दो टूक: ''मैंने आपकी सुरक्षा हटाई,  DGP पर हमला करने की बजाय मुझे पत्र लिखो''

punjabkesari.in Wednesday, Aug 12, 2020 - 10:26 AM (IST)

जालंधर(धवन): कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा द्वारा पंजाब के डी.जी.पी. की निष्ठा व निष्पक्षता पर हमला करने का सख्त नोटिस लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बाजवा से कहा कि उनकी सुरक्षा को हटाने बारे फैसला उन्होंने लिया था इसलिए उन्हें डी.जी.पी. पर हमला करने की बजाय उन्हें पत्र लिखना चाहिए, क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री वह स्वयं हैं या फिर वह अपनी शिकायत लेकर कांग्रेस हाईकमान के पास दिल्ली जा सकते हैं। 

बाजवा द्वारा डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता को लिखे पत्र पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्यसभा सांसद पूरी तरह से हताशा व निराशा की स्थिति में आ चुके हैं तथा वह अपने झूठ को स्वयं ही बेनकाब करने में लगे हुए हैं। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने बदलाखोरी की भावना से कार्रवाई करनी होती तो उसे केंद्र सरकार द्वारा उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का इंतजार नहीं करना पड़ता। कांग्रेस सांसद से राज्य सुरक्षा वापस लेने का फैसला उनका अपना है क्योंकि वह गृहमंत्री भी हैं तथा पंजाब पुलिस व इंटैलीजैंस विंग से मिली रिपोर्टों के आधार पर उन्होंने निर्णय लिया है। कैप्टन ने कहा कि डी.जी.पी. पर बाजवा द्वारा व्यक्तिगत हमला उचित नहीं है। अगर बाजवा का मुझमें या मेरी सरकार में भरोसा नहीं है तो फिर उन्होंने अपनी शिकायतों को लेकर इतने समय तक कांग्रेस हाईकमान का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया, क्या उनका उनमें भी भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड के प्रसार के बाद केवल बाजवा की ही नहीं बल्कि अन्य की सुरक्षा को भी कम किया गया। 

बाजवा को सुरक्षा देते समय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के साथ कोई रिपोर्ट सांझा नहीं की
कैप्टन ने कहा कि बाजवा की तुलना में बादलों की सुरक्षा को अधिक खतरा है। इसलिए बादलों व बाजवा की सुरक्षा की आपस में तुलना नहीं की जा सकती है। अगर बाजवा सुरक्षा को व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न मानते हैं तो उनकी आत्मा को इस बात से संतुष्टि होनी चाहिए कि उनके पास सी.आई.एस.एफ. के 25 जवान हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2019 में निर्णय लिया था कि बाजवा को जैड श्रेणी की सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें किसी विशिष्ट खतरे बारे गृह मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं थी। अगर गृह मंत्रालय को नई इंटैलीजैंस रिपोर्टें पिछले साल जुलाई महीने के बाद प्राप्त हुई हैं तो फिर केंद्र को अपनी रिपोर्टें राज्य सरकार के साथ सांझा करनी चाहिए थी। 


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