पूरी ताकत का इस्तेमाल करके भी मुझे हरा नहीं सके बादल: दादूवाल

punjabkesari.in Wednesday, Aug 19, 2020 - 10:12 AM (IST)

जालंधर(विशेष): पंजाब के धार्मिक और राजनीतिक मामलों में दशकों से सक्रिय फायरब्रांड जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष का चुनाव जीत कर हरियाणा के सिख मसलों के प्रबंधन की बागडोर संभाल ली है। दादूवाल ने गत गुरुवार को कैथल में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के हुए चुनाव में जगबीर सिंह खालसा को 2 वोटों के अंतर से 19 वोटों से हराया। दादूवाल, जिन्हें बादल परिवार विरोधी रुख के लिए जाना जाता है, ने एच.एस.जी.एम.सी. के पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस बार भी बादल ने उन्हें हराने की कोशिश की। झींडा ने चुनाव में खालसा का समर्थन किया। यह चुनाव झींडा के स्वास्थ्य कारणों के चलते अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद करवाए गए हैं।  दादूवाल ने कहा, ‘‘बादलों ने मेरे खिलाफ वोट डालने के लिए तीन सदस्यों को भेजा था तथा अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करने के बावजूद वे मुझे हरा नहीं पाए।’’ हालांकि झींडा ने दावा किया है कि एच.एस.जी.एम.सी. के चुनावों में बादलों का कोई हस्तक्षेप नहीं है। झींडा ने कहा कि यह स्वीकार किया जा सकता है कि बादल समूह के सदस्य हमारे साथ थे लेकिन यह सच नहीं है कि बादलों ने हमारी मदद की है।दादूवाल दमदमी टकसाल से धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय हुए, जिसकी अध्यक्षता कभी जरनैल सिंह भिंडरांवाले करते थे लेकिन दादूवाल ने कहा, ‘‘मैं न तो कट्टर हूं और न ही कट्टरपंथी। मैं सिर्फ न्याय का समर्थक हूं।’’

दादूवाल को रहा नलवी का समर्थन 
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) के कड़े विरोध के बावजूद 2014 में तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान एच.एस.जी.एम.सी. अस्तित्व में आई थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है क्योंकि एस.जी.पी.सी. ने एच.एस.जी.एम.सी.  के  गठन को चुनौती दी हुई है। एच.एस.जी.एम.सी. के 41 सदस्यों के नामांकन के बाद झींडा को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था, जबकि दीदार सिंह नलवी को उपाध्यक्ष चुना गया। झींडा और नलवी ने मिलकर एच.एस.जी.एम.सी. के लिए वर्षों लड़ाई लड़ी, लेकिन इस बार नलवी ने दादूवाल का समर्थन किया जबकि खालसा झींडा की पसंद थे। एच.एस.जी.एम.सी. के इस चुनाव ने दादूवाल को सुर्खियों में ला दिया है, क्योंकि वह न केवल बादलों के खिलाफ बल्कि डेरा स‘चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह के खिलाफ आक्रामक रवैये के लिए भी जाने जाते हैं, जो वर्तमान में दुष्कर्म के 2 मामलों और पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं।  दादूवाल ने 1997 में डेरा स‘चा सौदा प्रमुख के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सम्प्रदाय लोगों को भ्रमित कर रहा है। दादूवाल के अनुसार, वह चार गुरुद्वारों का प्रबंधन देखते हैं-2 हरियाणा में और 2 पंजाब में। पंजाब के जिला गुरदासपुर के एक गांव से संबंधित दादूवाल ने अपना आधार 1996 में सिरसा जिले के गांव दादूवाल में स्थानांतरित कर दिया, जहां अब उसका मुख्यालय है। उन्होंने कनाडा, फ्रांस, जर्मन, इटली और बैल्जियम जैसे विभिन्न देशों का नाम लिया, जहां उन्होंने 2001 से भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा धार्मिक मामलों पर प्रचार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी सिखों का कोई मुद्दा होता है तो मैं इसमें शामिल होना अपना कत्र्तव्य मानता हूं।’’


बादल सरकार के समय मेरे खिलाफ दर्ज हुए बेहिसाब केस
दादूवाल का दावा है कि प्रकाश सिंह बादल सरकार के 10 वर्ष के शासनकाल में उनके खिलाफ बेहिसाब झूठे मामले दर्ज किए गए। हालांकि, 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने दादूवाल की गिरफ्तारी के बारे में पूछे जाने पर अनभिज्ञता जाहिर की थी। उस समय उनके खिलाफ 7 राइफलें, 2 पिस्तौलें और कई कारतूस बरामद होने के बाद आम्र्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। उनके परिवार ने तब दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी हरियाणा के सिखों के लिए एक अलग निकाय के गठन के प्रयासों में उनकी भागीदारी का नतीजा थी। दादूवाल का दावा था कि पुलिस ने उसके साथियों के लाइसैंसी हथियार बरामद किए हैं। दादूवाल ने कहा कि मुझे सी.आर.पी.सी. की धारा 107/151 के तहत दर्ज मामलों में भी जमानत पाने के लिए कई बार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा क्योंकि प्रशासन में कोई भी अधिकारी थाना स्तर या ऊपरी स्तर पर मेरी जमानत अर्जी स्वीकार नहीं करता था। मुझे याद नहीं है कि मेरे खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए थे लेकिन मुझे 2018 के अंत से पहले बादल शासन के दौरान दर्ज सभी मामलों में बरी कर दिया गया था।

एस.जी.पी.सी. नियंत्रण वाले 55 गुरुद्वारों की वार्षिक आय 250 करोड़ के करीब
दादूवाल ने कहा कि वह एच.एस.जी.एम.सी. के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे क्योंकि समिति रा’य के सभी 60 गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए लड़ रही है। वर्तमान में एच.एस.जी.एम.सी.  केवल 5 गुरुद्वारों के प्रबंधन की देखभाल करती है जबकि एस.जी.पी.सी. का रा’य के 55 गुरुद्वारों पर नियंत्रण है। नलवी ने यह कहते हुए कि एच.एस.जी.एम.सी. नियंत्रित गुरुद्वारों में केवल सीमित आय होती है जो सिर्फ उनके दिन-प्रतिदिन के खर्चों को पूरा कर सकती है, उनका दावा है कि 55 गुरुद्वारों की वार्षिक आय लगभग 250 करोड़ रुपए है।  
दादूवाल ने कहा कि 8 बड़े गुरुद्वारों में से केवल एक गुरुद्वारा साहिब का प्रबंधन एच.एस.जी.एम.सी. के नियंत्रण में है। एस.जी.पी.सी. द्वारा संचालित गुरुद्वारों की हरियाणा में हजारों एकड़ भूमि है। दादूवाल ने राजनीतिक दलों के संबंध में कहा कि वह कभी किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं रहे। सभी दलों के नेता उनके पास आते हैं और वह उन सभी का सम्मान करते हैं।

दादूवाल की प्राथमिकताएं
एच.एस.जी.एम.सी. के अध्यक्ष के रूप में अपनी प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा कि वह उन सभी 5 गुरुद्वारों का दौरा करेंगे, जिन्हें धार्मिक गतिविधियों के अलावा प्रबंधन को देखने के लिए हमारी समिति द्वारा प्रशासित किया जाता है। मैं मातृभाषा पंजाबी के लिए काम करने के अलावा युवाओं को ड्रग्स के खिलाफ जागरूक करूंगा।


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