हलका फतेहगढ़ साहिब में ‘आप’ प्रत्याशी बन्नी दुलो का गरूर पार्टी को ले डूबेगा

punjabkesari.in Wednesday, May 08, 2019 - 12:39 PM (IST)

दोराहा (गुरमीत कौर): लोकसभा चुनावों का समय नजदीक आने पर यहां कांग्रेस व अकाली दल के उम्मीदवारों द्वारा गांवों व शहरों में चुनाव मुहिम को तेज करते हुए व ताबड़-तोड़ रैलियां करके चुनाव मुहिम को पूरी तरह गरमाया हुआ है, वहीं दूसरी तरफ हलका फतेहगढ़ साहिब से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बनदीप सिंह बन्नी दुलो का गरूर व ओवर कान्फीडैंस पार्टी को ले डूबेगा।

बता दें कि 2014 में हलका फतेहगढ़ साहिब से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरिंद्र सिंह खालसा ने भारी वोटों से शानदार जीत प्राप्त की थी, जिससे हलके में ‘आप’ का कद और भी ऊंचा हो गया था, परंतु इस बार जब से पार्टी ने बन्नी दुलो को अपना उम्मीदवार चुना है, तब से ‘आप’ के वर्करों के मन को भारी ठेस पहुंची है व पार्टी के किसी भी वर्कर व नेता ने बन्नी दुलो को दिल से अपनाया ही नहीं। अगर बन्नी दुलो के चुनाव प्रचार की बात की जाए तो इक्का-दुक्का वर्करों को छोड़कर पार्टी को टकसाली वर्कर बन्नी दुलो के नजदीक भी नहीं लग रहे व हलके के गांवों व शहरों में बन्नी दुलो का चुनाव प्रचार पूरा ठंडा पड़ चुका है। 

वर्करों की अंदरूनी नाराजगी हलका फतेहगढ़ साहिब से पार्टी की जीत पर खतरे की घंटी लग रही है क्योंकि ‘आप’ के टकसाली वर्कर जिन्होंने पूरे तन, मन, धन से पार्टी को खड़ा किया था, भी आज बन्नी दुलो का अंदरूनी तौर पर बिल्कुल साथ देते नजर नहीं आ रहे। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दुलो के पुत्र बन्नी दुलो ने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़कर मौके पर आम आदमी पार्टी का दामन थामकर यहां दल बदलकर मौका परस्ती दिखाई है, वहीं दुलो परिवार की स्थिति आने वाले समय में ‘न घर का न घाट का’ वाली बनने के आसार भी लग रहे हैं। 

विगत विधानसभा चुनावों के दौरान बन्नी दुलो ने हलका पायल से एम.एल.ए. की टिकट पर चुनाव लडने का सपना देखा था, जो लाख प्रयासों के बावजूद भी साकार नहीं हो सका व एम.एल.ए. की टिकट किसी और की झोली में पड़ गई थी। बेशक 2019 के इन लोकसभा चुनावों में भी दुलो परिवार ने हलका फतेहगढ़ साहिब से टिकट लेने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे, परंतु कांग्रेस पार्टी द्वारा डा. अमर सिंह को टिकट देने के बाद चुनाव लडऩे का सपना देख रहे बन्नी दुलो पर फिर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा व जिसने कांग्रेस पार्टी से बागी होकर टिकट लेने के लिए ‘आप’ की किश्ती में छलांग लगा दी। अगर बन्नी दुलो की गतिविधियों की बात की जाए तो गरूर में चकनाचूर बन्नी दुलो की कोई भी राजनीतिक परफॉर्मैंस देखने को नहीं मिली व आम लोग इस उम्मीदवार को पहचानते तक नहीं। बन्नी दुलो ने हलका फतेहगढ़ में अभी तक खन्ना में ही दफ्तर खोला है, यहां पर खाली कुर्सियां वर्करों का इंतजार करती रहती हैं। 

उधर दूसरी तरफ चुनावों का समय बहुत नजदीक आ चुका है व बन्नी दुलो द्वारा अब तक केवल एक ही हलके में दफ्तर खोलना ‘आप’ की करारी हार की तरफ इशारा करती नजर आ रही है। दूसरी तरफ हरबंस कौर दुलो जिसने पहले खुद ‘आप’ से टिकट लेकर कांग्रेस पार्टी की आलोचना करनी शुरू कर दी थी, वह भी बड़े नाटकीय ढंग से बन्नी दुलो को टिकट मिलने के बाद ऐसी गायब हुई कि बन्नी दुलो के चुनाव प्रचार में कहीं भी नजर नहीं आ रही। बेशक लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, परंतु बन्नी दुलो की ठंडी चल रही चुनाव मुहिम व टकसाली ‘आप’ वर्करों की नाराजगी ने उसकी हार पहले से ही तय कर दी है।
 

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