दिहाड़ीदार के बेटे ने बास्केटबॉल में चमकाया नाम

punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2019 - 03:10 PM (IST)

पटियाला(प्रतिभा): दिहाड़ीदार पिता की कमाई से घर के हालात बहुत अच्छे नहीं रहे और कई बार तो नौबत यह भी रही कि शायद एक समय में खाना भी न बने। इन परिस्थितियों से लड़कर अबी कुमार ने बास्केटबॉल की दुनिया में नाम चमकाया। सिर्फ 12 साल की उम्र में उसने नैशनल स्कूल गेम्स में भाग लिया और बेहतरीन प्रदर्शन भी किया। आज रेल कोच फैक्टरी में बतौर टैक्नीशियन जॉब कर रहे अबी कुमार की कहानी ऐसी है। 

दूसरों को प्रेरित करने वाली इस कहानी में मल्टीपर्पज को-एड सीनियर सैकेंडरी स्कूल में पढने वाले अबी की मेहनत और लगन से उसने ऊंचा मुकाम बनाया। बकौल अबी अगर स्कूल के प्रिंसीपल और कोच का साथ न मिलता तो वह यहां तक नहीं पहुंच पाता।  अब सब ठीक है और अबी आर.सी.एफ. में जॉब भी कर रहे हैं और सुबह-शाम प्रैक्टिस भी करते हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए खेल सकें।

अबी कुमार की उपलब्धियां

  •  16 नैशनल गेम्स में खेल चुके हैं और 3 बार भारतीय कैंप में जगह बनाई  
  •  7वीं क्लास में ही नैशनल स्कूल गेम्स में भाग लिया 
  •  एशियन चैम्पियनशिप थाईलैंड में भाग लिया, टॉप स्कोरर बने
  •  ऑल इंडिया इंटरवर्सिटी चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता
  • स्कूल प्रिंसीपल व कोच ने किया सहयोग

फरीदकोट में चल रहे बास्केटबॉल अंडर-14 मैच में छोटी उम्र के अबी कुमार पर कोच अमरजीत की नजर पड़ी और उन्होंने उसे पटियाला मल्टीपर्पज स्कूल में 7वीं कक्षा में दाखिला दिलवाया। 4 भाई-बहनों में छोटे भाई अबी के पिता जगदीश कुमार दिहाड़ी पर काम करते थे और घर के हालात बिगड़ रहे थे। पिता आर्थिक तौर पर बहुत ज्यादा सहयोग नहीं कर रहे थे तो मां नीतू रानी ने जॉब करनी शुरू की। लेकिन 3-4 हजार में कुछ नहीं बन पा रहा था। फिर पटियाला आकर प्रिं. तोता सिंह चहल व कोच अमरजोत सिंह की नजर में रहे और 7वीं से 12वीं तक इसी स्कूल में पढ़े। कोच व प्रिंसीपल ने हर तरह से मदद की और 7वीं में ही नैशनल खेलने के बाद आगे बढ़ते गए और 2015 में थाईलैंड में हुए एशियन चैम्पियनशिप में भाग लेकर वहां अपने देश की ओर से टॉप स्कोरर भी बने। 12वीं के बाद मोदी कॉलेज से बी.ए. शुरू की और पहले ही साल में ऑल इंडिया इंटरवर्सिटी में गोल्ड जीता। इसके बाद आर.सी.एफ. में नौकरी मिल गई।


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swetha

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