ब्यास मामले की रिपोर्ट पर मंत्री का ‘इंकार’

punjabkesari.in Wednesday, May 23, 2018 - 09:37 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): ब्यास में प्रदूषण के मामले पर सरकार ने टालमटोल का रवैया अख्तियार कर लिया है। मंगलवार को पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की टीम ने रिपोर्ट सबमिट करनी थी लेकिन देर शाम तक यही कहा जाता रहा कि रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई है। पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी ने रिपोर्ट सबमिट होने के संबंध में सीधे तौर पर इंकार कर दिया। यह आलम तब है जब पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर ने मामले में सीधे हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह को पूरे मामले का विस्तृत ब्यौरा देने की बात कही थी। ब्यास मामले में पंजाब सरकार का यह ढुलमुल रवैया रिपोर्ट तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले एफ.आई.आर. दर्ज करने में भी सरकारी तंत्र आनाकानी करता रहा है। इसलिए वन्यजीव विभाग को मजबूरन सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। 

 

मुख्यमंत्री के इंतजार में रिपोर्ट पर टालमटौल
पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो रिपोर्ट तैयार हो गई है लेकिन इस पर टालमटौल का रवैया मुख्यमंत्री की वजह से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री चंडीगढ़ लौटेंगे तो रिपोर्ट उन्हें ही सबमिट की जाएगी। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि चड्ढा शूगर मिल की मालकिन जसदीप कौर चड्ढा के रिश्तेदार परमजीत सिंह सरना मुख्यमंत्री के काफी करीबी हैं। सरना ने अपने भाई के साथ मंत्री ओ.पी. सोनी से भी इस मामले में मुलाकात की थी। हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय बुधवार को रिपोर्ट की समीक्षा करेगा। वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो बुधवार को सिंचाई विभाग, वन एवं वन्यजीव विभाग, कृषि विभाग, उद्योग विभाग सहित कई विभागों के उच्चाधिकारियों को बैठक के लिए बुलाया गया है। माना जा रहा है कि बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी, जिसका ब्यौरा मुख्यमंत्री को दिया जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री रिपोर्ट पर अगली कार्रवाई करेंगे। साथ ही मामले का पूरा ब्यौरा राज्यपाल को भेजा जाएगा।

 

पर्यावरण कानून का सवाल
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो पर्यावरण विभाग इसलिए भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, क्योंकि मामला पर्यावरण कानून के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय हो सकता है कि चड्ढा शूगर मिल के खिलाफ एन्वायरमैंट प्रोटैक्शन एक्ट,1986 व द वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1974 के तहत कार्रवाई की जाए या नहीं। 

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