शहर छोड़ अब गांवों का रुख कर रहे भिखारी! लोगों के लिए बनी मुसीबत

punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 04:31 PM (IST)

गुरदासपुर (विनोद): पंजाब सरकार के निर्देश पर बाल संरक्षण विभाग द्वारा शहर की सड़कों, बाजारों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले बच्चों पर नकेल कसने के बाद, अब ये बाल भिखारी जिले के ग्रामीण इलाकों का रुख कर रहे हैं। गुरदासपुर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां अब बच्चे और महिलाएं भीख मांगते नजर आ रहे हैं। हालांकि शहर में महिला एवं बाल संरक्षण विभाग द्वारा की जा रही लगातार छापेमारी से शहर भिखारियों से मुक्त हो गया है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भिखारियों की आमद से लोग परेशान हैं।

गौरतलब है कि शहर की सड़कों, बाजारों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और अन्य सार्वजनिक स्थानों, दुकानों और पार्कों के बाहर छोटे बच्चे अक्सर भीख मांगते नजरआते थे। इसके अलावा कई महिलाएं छोटे बच्चों को गोद में बिठाकर भीख मंगवाती थीं। इसके चलते पंजाब सरकार ने इन भिखारियों विशेष कर बाल भिखारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है और जीवन ज्योति परियोजना के तहत इन बच्चों को पकड़कर उनका डी.एन.ए. टैस्ट कराने के आदेश पंजाब सरकार की ओर से जारी किए गए हैं। इसके बाद महिला एवं बाल संरक्षण विभाग ने नाबालिग बच्चों से भीख मंगवाने और बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान शुरू किया और शहर में छापेमारी शुरू की। इसके अलावा इस टीम ने 9 बच्चों को गिरफ्तार किया।

बाल संरक्षण विभाग की टीम की कोशिश रंग लाई

हालांकि भीख मांगने के नाम पर लोगों को परेशान करने वाले इन बाल भिखारियों पर महिला एवं बाल संरक्षण विभाग की टीम की कार्रवाई के बाद शहरवासियों ने राहत महसूस की है, लेकिन ये बाल भिखारी ग्रामीण इलाकों की ओर रुख कर चुके हैं। पहले ये लोग आमतौर पर बाजारों, धार्मिक स्थलों के बाहर, पार्कों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों में बड़ी संख्या में दिखाई देते थे। लेकिन अब ये शहर में कहीं दिखाई नहीं देते।

किन इलाकों में भिखारियों की आमद बढ़ी है

गुरदासपुर शहर भिखारियों से मुक्त होने के बाद अब पुराना शाला, कलानौर, दोरांगला, बहरामपुर, काहनूवान, घुमाण, श्री हरगोबिंदपुर समेत अन्य कस्बों में भी इन बाल भिखारियों की आमद बढ़ गई है। शहर में इन भिखारियों पर कार्रवाई के बाद, ये भिखारी ग्रामीण इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं।

इन बाल भिखारियों का क्या कहना है

जब हमने इस बारे में कुछ बाल भिखारियों से बात की, तो उन्होंने बताया कि चूंकि हम ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसलिए हमारे पास कोई रोजगार नहीं है। पैसों की कमी के कारण हम स्कूल वगैरह भी नहीं जा पाते। इसलिए हमें भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ता है। हमें दिन भर भीख मांगकर अपने परिवार का पालन-पोषण करना पड़ता है। सरकार की तरफ से हमारे कल्याण तथा रोजी रोटी संबंधी कोई योजना नही है।

क्या कहना है बाल संरक्षण विभाग के अधिकारियों का

जब इस बारे में बाल संरक्षण अधिकारी सुनील जोशी से बात की, तो उन्होंने कहा कि हम लगातार शहर में छापेमारी कर रहे हैं, शहर में कोई भीख मांगते बच्चे या महिलाएं नजर नहीं आतीं। यदि अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भीख मांगने वालों की संख्या बढ़ी है, तो इस संबंध में अधिकारियों के आदेश पर इन इलाकों में छापेमारी की जाएगी।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Kalash

Related News