बड़ी खबरः मान सरकार चाहे तो पूर्व विधायकों के लिए ले सकती है यह फैसला

punjabkesari.in Saturday, Mar 26, 2022 - 10:24 AM (IST)

चंडीगढ़ः मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया है कि अब से पंजाब में पूर्व विधायकों को एक ही कार्यकाल (टर्म) की पैंशन मिलेगी चाहे वह कितनी ही बार चयन जीत कर विधायक चुने गए हों। पंजाब में मौजूदा समय में कई पूर्व विधायकों की प्रति महीना लाखों रुपए पैंशन बनती है। हाल ही में सम्पन्न 16वीं पंजाब विधान सभा मतदान में कांग्रेस और अकाली दल के लगभग सभी सीनियर नेता चयन हार गए हैं जो पिछले समय में कई-कई बार विधायक और मुख्यमंत्री और मंत्री रहे हैं, जिस कारण उनकी पैंशन राशि भी लाखों में बनेगी। सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तरफ से पूर्व विधायक के रूप में पैंशन लेने से विधान सभा स्पीकर को लिखकर मना किया गया है।

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि यदि पंजाब की भगवंत मान सरकार चाहे तो वह सबंधित कानून में संशोधन करवा कर राज्यों के पूर्व विधायकों की पैंशन पूरी तरह भी बंद कर सकती है। हेमंत ने भारत के संविधान की धारा 195 का हवाला देते हुए बताया कि उसमें सिर्फ विधायकों के लिए तनख्वाह और भत्तों की व्यवस्था की गई है और उसमें या संविधान की किसी भी अन्य धारा में पूर्व विधायकों को पैंशन देने का कोई जिक्र नहीं है। इसी तरह संविधान की धारा 106 में संसद सदस्यों के लिए भी तनख्वाह और भत्तों की व्यवस्था है, पैंशन की नहीं। आज से 4 वर्ष पहले अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व संसद सदस्यों को प्राप्त होने वाली पैंशन राशि को चुनौती देने वाली एक पटीशन को खारिज कर दिया था।

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अदालत अनुसार पूर्व संसद सदस्यों को पैंशन देने या न देने सम्बन्धित कोई भी फैसला देश की संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। हेमंत ने बताया कि उक्त आधार पर ही राज्यों के पूर्व विधायकों को पैंशन देने या न देने के सम्बन्ध में फैसला संबंधित राज्यों की विधान सभा की तरफ से लिया जा सकता है। भारत के संविधान की धारा 106 और 195 में स्पष्ट जिक्र है कि संसद सदस्यों और राज्य विधान सभा के सदस्यों की तनख्वाह और भत्ते वहीं होंगे, जोकि संसद और विधान सभा की तरफ से समय-समय पर उपयुक्त कानून बना कर तय किए जाएंगे और जब तक इसकी व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक जो भत्ते संविधान सभा के सदस्यों और राज्य विधान सभा के सदस्यों को संविधान के लागू होने से पहले प्राप्त होते थे उसी दर पर वह संसद सदस्यों और विधायकों को मिलेंगे।

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इससे स्पष्ट है कि न तो संविधान लागू होने से पहले तो न ही उसके बाद आज तक उसमें पूर्व संसद सदस्यों और पूर्व विधायकों को दी जाने वाली पैंशन बारे कोई जिक्र या व्यवस्था की गई। ऐसे में उनको पैंशन कैसे प्राप्त हो सकती है। भारतीय संसद ने वर्ष 1954 में संसद मैंबर (तनख्वाह और भत्ते) कानून बनाया, जिसमें भी पैंशन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी परन्तु वर्ष 1976 में उसमें संशोधन करके संसद मैंबर (तनख्वाह, भत्ते और पैंशन) कानून बना दिया गया था इसलिए पूर्व संसद सदस्यों को पैंशन देने की व्यवस्था संविधान लागू होने से लगभग 26 साल बाद बनाई गई। इसी तरह पंजाब विधान सभा की तरफ से भी राज्यों में पूर्व विधायकों को पैंशन देने की व्यवस्था संसद के उपरोक्त कानून के बाद ही बनाई गई। 

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News Editor

Urmila