सुल्तानपुर लोधी व डेरा बाबा नानक के दर्शनों के लिए बादल अपनी सारी बसें फ्री चलाएं: बीर दविन्द्र सिंह

punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2019 - 12:17 PM (IST)

जालंधरः श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर 9 नवम्बर को करतारपुर कॉरिडोर खुलने की जहां आम लोगों में खुशी है, वहीं अलग-अलग राजनीतिक नेताओं द्वारा क्रैडिट लेने की कोशिशें जारी हैं। गुरु नानक देव जी के फलसफे को भुलाकर नेता राजनीति का गंदा खेल खेल रहे हैं। धार्मिक तथा राजनीतिक नेताओं द्वारा करतारपुर गलियारे व सुल्तानपुर लोधी के धार्मिक समागमों संबंधी राजनीति किए जाने पर पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविन्द्र सिंह ने पंजाब केसरी के साथ बेबाकी के साथ बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंश :

प्र. शताब्दियों को मनाना कितना जरूरी है और इनको मनाने का तरीका और उद्देश्य क्या होना चाहिए? 
उ.
गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाने में बहुत अंतर है। 500 वर्षीय प्रकाश पर्व के अवसर पर दिखावा और आडम्बर बहुत कम था परंतु 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर कोई सार्थक कार्य करने की जगह दिखावा किया जा रहा है। उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि उस समय गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई, लगभग 20 कालेज व कई स्कूल खुले, गुरु नानक देव फाऊंडेशन की स्थापना हुई, किताबें छपीं, सरकार द्वारा सारे पंजाब को बिजली दी गई परंतु 550वें प्रकाश पर्व पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। यहां तक कि 500 से 550 तक पिछले 50 वर्षों की समीक्षा करें तो इस दौरान सिखों की प्रमुख संस्था शिरोमणि कमेटी जिसने मुख्य समागम करवाने थे, वह भी खत्म हो गई। सभी को साथ लेकर चलने में असफल रही।

प्र. करतारपुर कॉरिडोर का क्रैडिट लेने के लिए होड़ लगी है, इस संबंध में क्या कहेंगे?
उ.
करतारपुर कॉरिडोर का खुलना बहुत बड़ी बात है। हम भारत सरकार के बहुत आभारी हैं उनकी सहमति के बिना गलियारा खुल नहीं सकता था, परंतु पाकिस्तान सरकार ने गलियारा खोलने के लिए पहल के आधार पर भूमिका निभाई। वह कई जगह हमसे आगे निकल गए। मिसाल के तौर पर उन्होंने बाबा नानक के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समागम में जनरल बाजवा व सिद्धू की जफ्फी कई लोगों के गले की फांस बन गई और सिद्धू का बहुत विरोध हुआ। विरोध करने वालों ने बिना सोचे-समझे विरोध जारी रखा क्योंकि उनको सिखों की करतारपुर साहिब से जुड़ी आस्था की समझ नहीं थी, परंतु नवजोत सिंह सिद्धू की वाहवाही होने के भय से अकाली दल सहित विरोधियों ने विरोध शुरू कर दिया, लेकिन अब वही लोग गलियारे का क्रैडिट लेना चाहते हैं जिन्होंने पहले विरोध किया था। अब गलियारा खुलने के मौके पाकिस्तान ने सिद्धू को दोबारा निमंत्रण दिया है। मैं इमरान खान व सिद्धू की मित्रता को सलाम करता हूं।

प्र. पाकिस्तान द्वारा 20 डॉलर फीस चर्चा का विषय बनी हुई है
उ.
आज कई नेता पाकिस्तान द्वारा लगाई 20 डॉलर की फीस को जजिया करार दे रहे हैं। कोई देश बताएं कि जहां जाने से आपको फीस न देनी पड़ती हो। पंजाब के दो सबसे अमीर परिवार इसका विरोध कर रहे हैं। मैं कहता हूं कि गुरुद्वारों की सराए और टोल प्लाजा के लगते खर्च बंद करो। कौन-सी चीज है जो फ्री मिलती है। मैं आस करता हूं कि बीबी हरसिमरत बादल व सुखबीर बादल का बयान आए कि हमारी जितनी भी बसें हैं वह 1 से 12 नवम्बर तक सुल्तानपुर लोधी, डेरा बाबा नानक व करतारपुर साहिब की यात्रा के लिए फ्री चलेंगी और संगत से कोई पैसा नहीं लेंगे। करतारपुर गलियारे में भारत द्वारा 300 फुट का तिरंगा और दूसरी तरफ पाकिस्तान का ध्वज लगाए जाने का फैसला ठीक नहीं है। यह गुरु नानक देव जी के फलसफे से उलट लगता है क्योंकि मन में सरहदें खत्म और गलियारा खुलने जा रहा था। 

प्र. पंथ द्वारा सजाए जा रहे नगर कीर्तनों व धार्मिक समारोहों बारे क्या कहेंगे? 
उ.
पंथ द्वारा सजाए जा रहे नगर कीर्तनों की समीक्षा भी करनी चाहिए कि हमने क्या संदेश लिया। ननकाना साहिब से सजाए नगर कीर्तन की सुल्तानपुर लोधी की जगह करतारपुर साहिब में समाप्ति होती तो अच्छा होता, पांच तख्तों के जत्थेदार करतारपुर साहिब पहुंचकर गुरु नानक देव जी का संदेश सारे विश्व को देते। पंथ द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का वहां सम्मान किया जाता। सभी बड़े नेताओं को सिरोपे दिए जाएंगे। परंतु क्या अकाल तख्त साहिब से निमंत्रण देकर इमरान खान का धन्यवाद नहीं किया जाना चाहिए? क्योंकि उन्होंने सिख कौम को 550वें प्रकाश पर्व पर बड़ा तोहफा दिया है। 

swetha