बरगाड़ी मोर्चे के दौरान बिट्टू की साजिश का हुआ था पर्दाफाश

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 08:53 AM (IST)

श्री आनंदपुर साहिब (शमशेर डूमेवाल):बरगाड़ी बेअदबी कांड के मुख्य आरोपी महिंद्रपाल के कत्ल के बाद उसके अतीत से जुड़ी परतें भी खुलनी शुरू हो गई हैं। जून 2015 में जिला फरीदकोट के गांव जवाहर सिंह वाला में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप चोरी होने के बाद डेरा सिरसा प्रेमियों द्वारा बरगाड़ी के बुर्ज जवाहर सिंह वाला में जो पोस्टर लगाए गए थे, उनमें न केवल इसकी जिम्मेदारी ली गई थी बल्कि सिख कौम को सीधे रूप में चैलेंज भी किया गया था। 

2015 में डेरा सिरसा की थी पंजाब की सियासत में धाक 
मालवा की धरती पर जब यह घटनाक्रम हुआ था उस समय पंजाब में बादल की सरकार थी। डेरा सिरसा की इस सरकार में सियासी धाक थी। इस दौरान सिख जत्थेबंदियां लंबी जद्दोजहद के बाद भी महिंद्रपाल बिट्टू के खिलाफ इस केस की जांच शुरू नहीं करवा पाईं। उस समय सिख संगठनों  का आरोप था कि यह सब डेरा सिरसा के इशारे पर किया गया है। डेरा मुखी की फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ को पंजाब में रिलीज न होने देना इसका मुख्य कारण था। 

‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ पर लगी रोक बादल सरकार के लिए बनी थी गले की हड्डी
2014 के लोकसभा चुनावों में डेरा प्रेमियों की ली गई वोटों के कारण फिल्म पर लगी रोक बादल सरकार के गले की हड्डी बन चुकी थी इसलिए उस समय डेरा सिरसा प्रेमियों को बचाना बादल सरकार का सियासी एजैंडा बन गया था। 

एस.आई.टी. की कार्रवाई पर बादल सरकार ने लगा दी थी रोक
उस दौरान चुनावों में हरसिमरत कौर बादल को डेरे की वोट भुगताने की चर्चा छिड़ी तो डेरे के सियासी विंग की तारें कथित तौर पर सुखबीर बादल से जोड़ने में महिंद्रपाल बिट्टू ने अहम भूमिका निभाई थी। पंथक धड़ों का यह भी आरोप है कि डेरे की 45 सदस्यीय उच्च कमेटी के मैंबर महिंद्रपाल बिट्टू पर सीधी उंगली उठने के बाद बादल सरकार ने मौके पर बनाई एस.आई.टी. की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी तथा सिख संगत की आवाज को दबाया जाने लगा। इस दौरान हुआ बहबल कलां गोलीकांड इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

 

 

बिट्टू के घर से बरामद हुए थे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग 
पंथक धड़ों ने सरकार द्वारा बेअदबी का आरोप पंजगराईं कलां के 2 सगे भाइयों रूपिंद्र सिंह तथा जसविंद्र सिंह पर लगाने का मंसूबा भी महिंद्रपाल बिट्टू को बचाने का पैंतरा बताया। इसी दौरान थाना बाजाखाना की पुलिस द्वारा जारी किए आरोपियों के स्कैच को नजरअंदाज करना व सिख संघर्षों को दबाना भी सरकारी साजिश बताया गया था। सिख संगठनों का बादल सरकार पर यह भी आरोप रहा है कि डेरा समर्थकों को बेअदबी मामले में महफूज रखने की नीति का साजिशकर्ता भी महिंद्रपाल बिट्टू ही था। जून 2018 में बेअदबी कांड के लिए लगे बरगाड़ी इंसाफ मोर्चे के उपरांत स्पैशल इंवैस्टीगेशन टीम (एस.आई.टी.) ने बिट्टू को पालमपुर (हि.प्र.) से काबू कर बेअदब किए गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी अंग उसके घर से बरामद किए थे। 

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