अभी भी लटकी है सन्नी देओल पर अधिक चुनावी खर्चों की तलवार

punjabkesari.in Friday, Jul 05, 2019 - 08:50 AM (IST)

पठानकोट(शारदा): सिने स्टार सन्नी देओल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ को 80 हजार से ज्यादा मतों से हालिया लोकसभा चुनावों में पराजित कर दिया। वहीं एक लड़ाई सन्नी देओल के चुनावी खर्चों को लेकर शुरू हो चुकी है। जहां जाखड़ ने अपने चुनावी खर्चे नैट पर डाल दिए हैं, वहीं सन्नी देओल को जारी नोटिस से एक बड़ा बबाल खड़ा हो गया था। इस तरह सन्नी पर अधिक चुनावी खर्चों की तलवार लटक गई है।

मामला पहुंचा चुनाव आयोग के पास 
भाजपा के सांसद सन्नी देओल का चुनावी खर्चा चाहे 88 से 78 लाख आ गया है परन्तु अभी भी यह निर्धारित राशि 70 लाख से 8 लाख 51 हजार 592 रुपए 45 पैसे अधिक है। यह सारा मामला भारत के चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है। अब दोनों तरफ से अपने-अपने खर्चों को लेकर चुनाव आयोग के पास केस को कांटैस्ट करना होगा तथा उसके बाद इस बहुचर्चित मामले का निर्णय आएगा।


क्या कहते हैं सन्नी के चार्टर्ड अकाऊंटैंट संजय अग्रवाल?
वहीं सन्नी दिओल के सी.ए. संजय अग्रवाल ने इस संबंध में कहा कि वह कई चुनावों से अपनी पार्टी के प्रत्याशियों का एक्सपैंडीचर देख रहे हैं परन्तु इस बार कुछ बातें उनकी भी समझ से परे हैं। चाहे एक्सपैंडीचर आब्जर्वर ने 10 लाख का अंतर मान लिया है परन्तु उन्होंने आब्जैक्शन 52 लाख का किया था। एक हैलीकॉप्टर का खर्चा डालने के बावजूद भाजपा का चुनावी खर्च 36 लाख 13 हजार 221 रुपए है। इसके सारे दस्तावेज पार्टी की बुक्स के साथ लगाए हैं। जो हमें अतिरिक्त खर्चा डाला गया है, को लेकर एक्सपैंडीचर आब्जर्वर से प्रूफ मांगें थे तथा उन प्रूफों की एवज में निर्धारित शुल्क अदा करने के लिए तैयार थे परन्तु न तो भाजपा को प्रूफ दिए गए तथा न ही उनकी बात को पूरी तरह से माना गया। उन्होंने कहा कि भाजपा अपना चुनावी खर्च जो पार्टी द्वारा बताया जा रहा है को ही मानती है तथा शेष राशि के लिए वे कांटैस्ट करेंगे। अगर किसी चैनल पर कोई कार्टून चला है जो दोनों प्रत्याशियों का है तो उसे सिर्फ भाजपा प्रत्याशी पर ही 10 लाख का खर्चा डालना कैसे वाजिब है? जबकि चैनल ने लिखकर दे दिया है कि उन्होंने इस कार्टून की एवज में कोई पेमैंट नहीं ली है। वहीं रैली में आने वाली गाडिय़ों व कुर्सियों को लेकर भी बहुत बड़े स्तर पर मतभेद है। 18 मई को उन्हें खर्चे डालने का ऑर्डर मिला था, को हमने कांटैस्ट किया है तथा मामला अब सी.ई.ओ. पंजाब के पास है। अब भी खर्चा एक्सपैंडीचर व भाजपा के हिसाब से 42 लाख का अंतर है। जब समय-समय पर किताबों का मिलान होता था तो हर बार हम अपना आब्जैक्शन लिखित रूप से देते थे। मामला अब चुनाव आयोग के ध्यान में है। जैसे ही हमें कोई इस संबंध में अगला नोटिस आएगा तो प्रभावशाली ढंग से अपना पक्ष रखेंगे। 

Vatika