भाजपा का सिख विरोधी चेहरा बेनकाब: बीर दविन्द्र

punjabkesari.in Tuesday, Jun 19, 2018 - 01:15 PM (IST)

पटियाला(जोसन) : पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविन्द्र सिंह ने कहा है कि केंद्रसरकार ने जोधपुर जेल के सिख नजरबंदों को मुआवजा देने के लिए अमृतसर की सैशन कोर्ट के दुरुस्त फैसले पर एतराज जताते हुए उसे रद्द करवाने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में रिट पटीशन दायर की है जोकि सिख नौजवानों के साथ  बेइंसाफी है। सरकार को तुरंत यह पटीशन वापस लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस पटीशन के साथ भाजपा का सिख विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है।
 

यह वे सिख नौजवान हैं जिनको जून 1984 में श्री दरबार साहिब में सेना की तरफ से किए गए ‘ऑप्रेशन ब्ल्यू स्टार’ के समय श्री दरबार साहिब की सीमा अंदर से गिरफ्तार करके जोधपुर जेल की सलाखों पीछे लगभग 5 साल के लंबे अर्से के लिए मुकद्दमा चलाए बिना ही नजरबंद करके रखा गया था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चाहिए था कि इनकी रिहाई के तुरंत बाद ही वह इन सिख नौजवानों के सामाजिक पुनर्वास के लिए योग्य मुआवजे का प्रबंध करती, परंतु ऐसा नहीं हुआ। 

अंत में इन सिख नौजवानों ने 10 से 15 लाख रुपए के मुआवजे के लिए अमृतसर के सैशन जज की अदालत का दरवाजा खटखटाया। सैशन जज की  अदालत ने लंबी सुनवाई के उपरांत केवल 4 लाख रुपए की राशि मुआवजे के तौर पर देने के लिए भारत सरकार को आदेश जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर, जो मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। चाहिए तो यह था कि वह खुद आगे होकर इस योग्य मुआवजे की राशि की अदायगी के लिए भारत सरकार के पास इस मामले की वकालत करते, परंतु वह तो आप ही एक छोटे से मंत्री पद के लिए सिखों के हित एक-एक कर कर भाजपा और आर.एस.एस. के पास बेच रहे हैं। उन्होंने जी.एस.टी. के मामले और सिख कौम के ‘गुरु के लंगरों’ की सदियों पुरानी शानदार रिवायत को भाजपा की ‘सेवा भोज योजना’ को गुरु के लंगरों के लिए मंजूर करके जो दाग लगाया है, उसके लिए इतिहास ‘बादल परिवार’ को कभी माफ नहीं करेगा।

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