मंत्रिमंडल ने दी नई कस्टम मिलिंग नीति को मंजूरी

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2019 - 08:10 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब मंत्रिमंडल ने पंजाब कस्टम मिलिंग पॉलिसी फॉर पैडी (खरीफ 2019-20) को आज मंज़ूरी दे दी। इस नीति के तहत चावल को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की सूरत में आपराधिक दंड समेत अन्य सुरक्षा उपबंध किए गए हैं। इस स्कीम का उद्देश्य केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित मापदंडों के अनुसार पंजाब की खरीद एजेंसियों (पनग्रेन, माकर्फैड, पनसप, पंजाब राज्य गोदाम निगम) और पंजाब एग्रो फूडग्रेन्ज निगम और भारतीय खाद्य निगम) धान की खरीद करें तथा धान की मिलिंग के लिए राज्य में चल रही चार हजार से अधिक मिलों से चावल समय पर केंद्रीय पुल में देना है। राज्य के खाद्य, सिविल सप्लाईज और उपभोक्ता मामलों संबंधी विभाग नोडल विभाग के तौर पर काम करेगा। 

प्रवक्ता ने बताया कि जिन मिलों ने 31 जनवरी तक अपनी मिलिंग का काम मुकम्मल कर लिया, वह मिलें फ्री पैडी के अन्य 15 प्रतिशत के योग्य होंगी और जिन मिलों ने चावलों के भुगतान का काम 28 फरवर निपटा लिया, उनको 10 प्रतिशत अतिरिक्त मिलेगी। धान के भंडारण की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए मिलरों को तीन हजार टन से अधिक अलॉट फ्री पैडी के पांच प्रतिशत अधिग्रहण कीमत के मूल्य के बराबर बैंक गारंटी देनी होगी। इस कदम से 1250 से अधिक चावल मिलें इस गारंटी क्लॉज के घेरे में आ जाएंगी। मिलरों को भंडारण किए धान के हरेक टन पर 125 रुपए के हिसाब के साथ कस्टम मिलिंग सिक्योरिटी जमा करवानी होगी। नई स्थापित चावल मिलों को एक टन की क्षमता के लिए 2500 टन धान की फसल अलॅाट की जाएगी और इसके साथ-साथ हरेक अतिरिक्त टन की क्षमता के लिए 500 टन धान की फसल अलॉट होगी जो अधिक से अधिक 5000 टन के वितरण तक होगा। राज्य में इस समय पर 29 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की फसल है जिससे 170 लाख टन धान खरीदे जाने की संभावना है। पिछले साल 31.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के मुकाबले धान का रकबा इस साल घटा है। 

धान की कस्टम मिलिंग को मुकम्मल करने का लक्ष्य 31 मार्च, 2020 तक है जिसके अंतर्गत सारा बकाया चावल भारतीय खाद्य निगम को भुगतान दिया जाएगा। मिलिंग के लिए निर्धारित कार्यक्रम के अधीन मिल्लर को 31 दिसंबर तक उसके कुल चावल का 35 प्रतिशत भुगतान करना होगा और कुल चावल के 60 प्रतिशत का भुगतान 31 जनवरी, 2020 तक, कुल चावल का 80 प्रतिशत भुगतान 28 फरवरी, 2020 तक और कुल चावल का भुगतान 31 मार्च, 2020 तक करना होगा। अन्य फैसले में बंद पड़ी चावल मिलिंग इकाइयों को फिर से चालू करने के लिए राज्य के डिफाल्टर चावल मिलर्ज के लिए बकाया वसूली तथा निपटारा स्कीम 2019-20 को मंजूरी दे दी। इस स्कीम से इन मिलर्ज द्वारा विभिन्न खातों में बकाया पड़ी 2041.51 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण हिस्से की अदायगी की वसूली के लिए रास्ता साफ होगा। वर्ष 2014-15 तक के डिफाल्टर मिलर इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगे तथा जिन डिफाल्टरों ने सितम्बर 2017 में एकमुश्त स्कीम का फायदा लिया था, वे नई स्कीम का फायदा नहीं ले सकेंगे। ज्ञातव्य है कि सरकार ने सितम्बर, 2017 में जारी की एकमुश्त निपटारा स्कीम (ओ.टी.एस.) के अंतर्गत मिलर्स के पास से बकाया पड़ी मूल रकम में से 32.40 करोड़ रुपए की वसूली कर लिए गई थी। यह स्कीम छह महीनों के लिए लागू की गई थी। 


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Vaneet

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