चुनावी बयार में शब्दों की मर्यादा तार-तार

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2019 - 11:29 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पंजाब की चुनावी बयार में शब्दों की मर्यादा तेजी से तार-तार हो रही है। ज्यों-ज्यों मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, त्यों-त्यों सियासी मंच से ‘शराबी’, ‘निकम्मे’, ‘नालायक’, ‘घटिया’, ‘बेईमान’, ‘अहंकारी’, ‘लुटेरे’, ‘बेशर्म’ जैसे शब्दों की गूंज भी तेज होती जा रही है। वैसे तो अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल में कोई भी उम्मीदवार पीछे नहीं है, लेकिन प्रदेश की सियासत में रसूख रखने वाले बड़े सियासी दलों के नेता भी मंच से एक-दूसरे पर तीखा हमला कर रहे हैं। 

यहां तक कि मुख्यमंत्री पद की गरिमा को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को अपनी सभी चुनावी रैलियों में कई बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेद्र सिंह पर निशाना साधते हुए शब्दों की मर्यादा को तार-तार किया। शाम को शाहकोट में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए सुखबीर बादल ने समर्थकों से टाइम पूछते हुए यह कहकर मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की खिल्ली उठाई कि अब वह नहीं मिलेंगे। उनका ‘शराब’ पीने का टाइम शुरू हो गया है। कांग्रेसी नेता भी खुलकर विपक्ष पर तीखे हमले कर रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह भी बादल परिवार के खिलाफ कई तीखे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मंगलवार को ही चुनावी रैलियों दौरान उन्होंने बादल परिवार के ‘कारोबार’ पर उंगली उठाते हुए ‘बेईमान’, ‘अहंकारी’, ‘लुटेरे’, ‘बेशर्म’ जैसे शब्दों से हमला किया। उन्होंने कहा कि बादल परिवार ‘अहंकार’ से भरा हुआ है लेकिन इस चुनाव में उनका अहंकार ध्वस्त हो जाएगा। 

स्व. राजीव गांधी के नाम की दस्तक 
शब्दों की गर्मी के बीच पंजाब की सियासत में अब स्व. राजीव गांधी का जिक्र भी सुनाई देना लगा है। पंजाब में चुनावी जनसभा में मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने मंगलवार को पहली बार स्व. राजीव गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह गिरावट की चरम सीमा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि शब्दों की गर्मी के बीच पंजाब की सियासत में अतीत के पन्नों से भविष्य की कहानी लिखी जाएगी। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्व. राजीव गांधी को लेकर की गई टिप्पणी के बाद से ही यह तय हो गया था कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में पंजाब के अतीत से जुड़े पन्नों को पलटा जाएगा। खासतौर पर अतीत की उन घटनाओं को चुनावी रैलियों में दोहराया जाएगा जो सीधे भावनाओं से जुड़ी हुई हैं। 

इसी कड़ी में शिअद प्रमुख सुखबीर बादल लगातार चुनावी जनसभाओं में सिख विरोधी दंगों का जिक्र कर रहे हैं। पिछले दिनों हुई जनसभाओं में उन्होंने लगातार सिख विरोधी दंगों को कुरेदते हुए इसके लिए ‘गांधी परिवार’ को जिम्मेदार ठहराया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासत तेज होगी। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुलेआम स्व. राजीव गांधी के नाम पर कांग्रेस को चुनाव लडऩे की चुनौती दे चुके हैं। इसलिए संभव है कि पंजाब में 10 मई को होशियारपुर और 13 मई को बठिंडा में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में अतीत की कई कहानियों को दोहराया जाए। 

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