वाह नी कैप्टन सरकारे, पल्ले नी धेला करदी मेला-मेला

punjabkesari.in Thursday, Aug 15, 2019 - 08:16 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): जालंधर के विकास के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से आस लगाए विधायकों, मेयर व अन्य नेताओं की बोलती उस समय बंद हो गई जब मुख्यमंत्री ने एक समारोह के दौरान 200 करोड़ रुपए के उन प्रोजैक्टों की घोषणा कर दी, जिनमें से ज्यादातर काम पहले ही स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत मंजूर हो चुके हैं।

जब मुख्यमंत्री मंच से अपने भाषण के दौरान बड़े-बड़े ऐलान कर रहे थे, तब जिले के सांसद, विधायक व अन्य नेतागण बगलें झांकते दिखाई दिए कि आखिर जो काम केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट में करवाए जाने की पहले ही घोषणा हो चुकी है, उन्हें पुन: घोषित क्यों किया जा रहा है। एक विधायक का कहना था कि जनता सब जानती है, उन्हें बेवकूफ बनाया जाना आसान नहीं है। एल.ई.डी. लाइट प्रोजैक्ट, स्टार्म सीवर प्रोजैक्ट, स्वीपिंग मशीन, स्मार्ट क्लासिज, साइनेज जैसे अनेकों कार्यों की जो घोषणाएं अमरेन्द्र ने की हैं, उनमें से कइयों को तो बादल सरकार के कार्यकाल में करवाया जा रहा था परंतु 2017 में कांग्रेस की सरकार बनने के पश्चात राजनीतिक उठा-पटक और भ्रष्टाचार की शंकाओं को लेकर कई प्रोजैक्टों को रद्द कर दिया गया था। वहीं मुख्यमंत्री ने विपक्ष के हाथों में बैठे बिठाए ही नया मुद्दा दे दिया है। अब कांग्रेस विपक्ष के उन आरोपों को खारिज करने में भी असहज महसूस करेगी जिसमें विपक्षी नेता कहते हैं कि कैप्टन सरकार के पल्ले नी धेला पर करदी मेला-मेला।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र के दौरे के दौरान अफसरशाही एक बार फिर से दिखी हावी
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के दौरे के दौरान अफसरशाही एक बार फिर से हावी दिखी। कैप्टन ने जालंधर के करीब सभी विधानसभा हलकों से संबंधित 20 के करीब उन प्रोजैक्टों के उद्घाटन किए जिन पर 35 लाख से लेकर 46 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि विधायकों को नहीं मालूम था कि उनके हलकों में मुख्यमंत्री ने क्या घोषणाएं करनी हैं? अधिकारियों ने खुद ही कार्यों की सूची तैयार करके मुख्यमंत्री के सुपुर्द कर दी, जबकि उनकी कोई राय नहीं ली गई।  उक्त विधायक ने कहा कि पंजाब सरकार में पहले से ही हावी ब्यूरोक्रेट्स ने अब विधानसभा हलका स्तर पर दखलअंदाजी शुरू कर दी है। जनता टूटी सड़कों, कूड़े के ढेरों, सीवरेज, पेयजल व स्ट्रीट लाइट व्यवस्था से दुखी है। नगर निगम सहित सभी सरकारी विभागों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि उन्हें अपने कर्मचारियों के वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं। 

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