विधायकों का दबाव ला सकता है रंग, माइनिंग माफिया को लेकर सरकार कर सकती है बड़ा ऐलान

punjabkesari.in Saturday, Mar 14, 2020 - 09:53 AM (IST)

पठानकोट(शारदा): पंजाब सरकार का 3 वर्ष का कार्यकाल 16 मार्च 2020 को पूरा हो रहा है। सूत्रों के अनुसार कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार बहुत ही संजीदगी से कुछ ऐसे मुद्दे जो लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, अपने 3 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उस पर पूरा प्रहार करने जा रही है और अन्य नई घोषणाएं की जाएंगी। 

 उल्लेखनीय है कि विधानसभा बजट सैशन को अगर आधार माना जाए तो कांग्रेस के विधायकों में जो बेचैनी देखने को मिली है। सैशन दौरान माइङ्क्षनग माफिया, नशा तस्करी और बेरोजगारी आदि गंभीर मुद्दे छाए रहे। कांग्रेस पार्टी के 70 प्रतिशत विधायकों ने सरकार के ऊपर दबाव बनाया है कि माइनिंग माफिया एक ओर खूब पैसे कमा रहा है और सरकार के खजाने में कुछ भी जमा नहीं हो रहा। एन्वायरनमैंट क्लीयरैंस न होने के चलते कई माह तक जो भी कथित रूप से पैसा एकत्रित हुआ है वह खुर्द-बुर्द हो गया। विधायकगण मुख्यमंत्री को यह समझाने में सफल हो रहे हैं कि इस मुद्दे को लेकर हमारी बहुत बदनामी हो रही है और बाहरी लोग बहुत अधिक पैसा कमाकर निकल जाएंगे और हमें राजनीतिक रूप से जनता के कठघड़े में खड़े होकर जवाब देना पड़ेगा। कहीं ऐसा न हो कि यह एक ऐसा स्कैंडल बन जाए कि जिसका जवाब देना मुश्किल हो जाए। 

जानकारी के अनुसार सरकार कानूनी राय लेने के बाद रेत को नि:शुल्क कर सकती है और इसी प्रकार माफिया का खात्मा करने के लिए कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। अगर माइनिंग का मुद्दा समाप्त हो जाता है तो निश्चित रूप से यह अगले 2 वर्षों के दौरान सरकार के विरुद्ध कोई बड़ा मुद्दा नहीं रह पाएगा, लेकिन माइनिंग माफिया की आड़ में जो लोग बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं वे इस काम को अपने हाथ से आसानी से जाने नहीं देंगे। सरकार सफल होती है या माइङ्क्षनग से जुड़े लोग, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। 

नवजोत सिद्धू की अनदेखी कहीं उन्हें लक्ष्मण रेखा पार करने पर मजबूर न कर दे
लोकसभा चुनावों के अभियान के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व नवजोत सिंह सिद्धूु के बीच में एक जबरदस्त दरार पैदा हो गई थी और अंत: ठंडे स्वभाव के मालिक कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सिद्धूू का महकमा चेंज कर दिया और हाईकमान द्वारा हस्ताक्षेप न करने के चलते उन्हें इस्तीफा देने हेतु विवश होना पड़ा। तब से लेकर अब तक सिद्धू एक रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए हैं। मीडिया और आम लोगों से दूरी बनाकर मैडीटेशन में मगन नवजोत सिंह सिद्धू एन-के न-प्राके्र न अपना समय निकाल रहे हैं परंतु चुनावी वर्ष 2022 पास आ रहा है और उनके पास भी इतना समय नहीं है कि वह अपनी तपस्या और लंबी खींच सकें। ऐसा न हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह नवजोत सिंह सिद्धूु का भी सबर का बांध न टूट जाए और वह कोई राजनीतिक निर्णय न ले लें। सिद्धूु की स्थिति इसलिए भी अलग है कि वह भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में आए थे और ‘आप’ के साथ भी उनकी वार्तालाप चली थी, इसलिए दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंककर पीता है। अगर कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को कांग्रेस में नहीं रोक पाया तो यह कांग्रेस के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी। 


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