शीतयुद्ध का अंतः कैप्टन ने सिद्धू का इस्तीफा किया मंजूर

punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2019 - 12:09 PM (IST)

जालंधरः पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह तथा नवजोत सिद्धू के बीच चल रहा शीतयुद्ध उस समय खत्म हो गया,जब विभाग बदले जाने से नाराज चल रहे सिद्धू के पंजाब कैबिनेट से दिए गए इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया।इस्तीफे पर राज्यपाल बी.पी. बदनौर की मुहर भी लग गई है। अब ऊर्जा विभाग मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र के पास रहेगा। सिद्धू ने 14 जुलाई को ट्विटर पर पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। उन्होंने  कांग्रेस हाईकमान तथा राहुल गांधी को भेजे गए इस्तीफे के पत्र को भी ट्विटर पर अपलोड किया था। उल्लेखनीय है कि कैप्टन ने सिद्धू से स्थानीय विभाग छीनकर उन्हें ऊर्जा मंत्री बना दिया था। इसी कारण से सिद्धू  कैप्टन से नाराज चल रहे थे। काफी समय गुजरने के बाद भी उन्होंने अपनी विभाग नहीं संभाला था।

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10 जून को ही भेज दिया था इस्तीफा

ट्विटर पर इस्तीफे का पत्र पोस्ट करने के साथ सिद्धू ने लिखा था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को संबोधित करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। सिद्धू के मुताबिक 10 जून को ही उन्होंने यह पत्र तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंप दिया था।

यह थे कैप्टन सिद्धू के बीच शीतयुद्ध के कारण
 

उपमुख्यमंत्री का पद न मिलना- पंजबा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिद्धू को कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री पद मिलने की उम्मीद थी। पर उनकी उम्मीदें उस समय धाराशायी हो गई जब उन्हें पंजाब कैबिनेट में स्थानीय निकाय मंत्रालय सौंप दिया गया था।

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माइनिंग पॉलिसी परवान न चढ़ना- सिद्धू ने पंजाब सरकार को नई माइनिंग पालिसी लागू करने का सुझाव दिया था।  पर सिद्धू की मांग को दरकिनार करके सिंचाई विभाग ने रेत खड्डों की नीलामी के लिए कलस्टर मॉडल अपनाने का मसौदा तैयार किया था।

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करतारपुर कॉरिडोर को लेकर क्रैडिट न मिलना-पिछले साल अगस्त में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए सिद्धू पाक द्वारा करतारपुर कॉरिडोर बनाने के लिए तैयार होने की खुशखबरी लाए थे। पर बाद में उन्हें करतारपुर  कॉरिडोर क्रैडिट नहीं दिया गया। इसी से नाराज चल रहे सिद्धू कॉरिडोर के शिलान्यास समारोह में भी नहीं पहुंचे थे।

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पत्नी को लोकसभा टिकट न मिलनाःसिद्धू पत्नी को चंडीगढ़ से लोकसभा टिकट दिलवाना चाहते थे। पर कैप्टन के बीच में पड़ने से हाईकमान ने टिकट पवन बांसल को दे दी। इसे लेकर भी सिद्धू  कैप्टन से खफा था। 

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बेअदबी मामले में बड़े एक्शन का इंतजारः सिद्धू चाहते थे कि  बेअदबी मामले में कैप्टन बादलों के खिलाफ बड़ा एक्शन ले पर हर बार की तरह उनकी मांग को अनदेखा किया गया। पंजाब सरकार ढिलमुल रेवैया अपनाती रही। इसी को लेकर सिद्धू कैप्टन से खफा थे।

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लोकसभा चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहरानाः मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सिद्धू को लेकसभा चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उनका कहना था कि सिद्धू के कारण ही पार्टी पंजाब में 13 की 13 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी।

 

— Raveen Thukral (@RT_MediaAdvPbCM) July 20, 2019

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