कांग्रेस की खालिस्तानियों से सांठ-गांठ नहीं : अमरेन्द्र

punjabkesari.in Friday, Aug 31, 2018 - 11:28 AM (IST)

जालन्धर (धवन): पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए गठित जस्टिस रणजीत सिंह आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने के बाद पहली बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बादलों पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि बरगाड़ी में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के लिए जिम्मेदार नेताओं के चेहरे बेनकाब किए जाएंगे। 


उन्होंने आज कहा कि जस्टिस रणजीत सिंह ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिए हैं कि फायरिंग के आदेश पूर्व मुख्यमंत्री बादल द्वारा दिए गए थे। उनकी रिपोर्ट के बाद अब एस.आई.टी. द्वारा गहराई से इन आरोपों की जांच की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरगाड़ी में पुलिस फायरिंग वाले दिन पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सैनी सुबह तत्कालीन मुख्यमंत्री बादल से मिले थे तथा बादल ने उन्हें कहा था कि धरने व प्रदर्शनकारियों को बरगाड़ी से हटाया जाए। कैप्टन ने कहा ने कहा कि आगे जांच में पता चलेगा कि वास्तव में कौन-कौन से लोग दोषी हैं। 

यह पूछे जाने पर कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा है कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं के पीछे आई.एस.आई. का हाथ था, अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि सुखबीर अपने पिता बादल से गलत सूचनाएं फैलाने की आदत सीख गए हैं। उन्होंने अकालियों के इन आरोपों को गलत करार दिया कि कांग्रेस की खालिस्तानियों से सांठ-गांठ है तथा वह लोकसभा चुनाव में धार्मिक कार्ड को वोट लेने के लिए खेलेगी। उन्होंने कहा कि 2015 के बाद पंजाब में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के 74, गुटका साहिब की बेअदबी के 91, गीता की बेअदबी के 28, कुरान की बेअदबी के 6 तथा बाईबल की बेअदबी का 1 केस दर्ज हुआ है। उन्होंने कहा कि बरगाड़ी के निकट गंदे नाले में श्री गुरुग्रंथ साहिब के पन्नों को फैंका गया था जिसके खिलाफ सिख समुदाय में भारी रोष था तथा उन्होंने धरना शुरू कर दिया था।


1984 दंगों में भगत, सज्जन कुमार, अर्जुन दास व धर्मदास शास्त्री की संलिप्तता थी
कैप्टन ने कहा कि 1984 दंगों के लिए पूरी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के समय राजीव गांधी बेंगलूर में हवाई अड्डे पर मौजूद थे। दंगों की सूचना मिलते ही वह अपने 3 अन्य मित्रों के साथ दिल्ली चले गए तथा 3 दिनों तक राहत शिविरों में जाते रहे। उन्होंने दिल्ली में देखा कि शवों को गटरों में फैंका गया था। उन्होंने कहा कि पीड़ित लोग एच.के.एल. भगत, सज्जन कुमार, अर्जुन दास तथा धर्मदास शास्त्री के नाम ले रहे थे। किसी ने भी जगदीश टाइटलर का नाम नहीं लिया था। केवल मदन लाल खुराना ने टाइटलर का नाम लिया था क्योंकि टाइटलर उनके सियासी विरोधी थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर जांच में टाइटलर का नाम आता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी परन्तु यह स्पष्ट है कि इसमें कांग्रेस पार्टी की भूमिका नहीं थी।

दिल्ली दंगों को लेकर 26 आर.एस.एस. नेताओं पर भी दर्ज हुआ था केस
उन्होंने कहा कि दिल्ली के तिलकनगर थाने में दंगों को लेकर 26 आर.एस.एस. कार्यकत्र्ताओं के विरुद्ध भी केस दर्ज हुआ था। क्या समूची आर.एस.एस. को दंगों के लिए दोषी मान लिया जाए? मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में पंजाब समस्या के लिए जिम्मेदार बादल ही है जिन्होंने आतंकवाद के दौर में नौजवानों को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। केंद्र सरकार ने जब भी संत लौंगोवाल के साथ शांति वार्ता शुरू की तो बादल ने उसमें कोई न कोई विघ्न डाल दिया। बादल जितनी बार भी मुख्यमंत्री बने उससे पहले उन्होंने सिख समुदाय को संघर्ष के लिए उकसाया। बादल झूठ बोलने में माहिर है।

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