कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी पर कसा तंज, कही ये बात

punjabkesari.in Saturday, Nov 27, 2021 - 10:18 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी पर तंज कसते हुए कहा कि हरीश चौधरी वह व्यक्ति हैं, जिसे बाड़मेर में कमलेश प्रजापत के कत्ल में आरोपी के तौर पर नामजद करने के कारण राजस्थान में मंत्री पद से बर्खास्त किया गया और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबंधित मामला सी.बी.आई. को सौंप दिया। उन पर कोई भी स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है।

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कैप्टन ने हरीश चौधरी द्वारा चंडीगढ़ में एक मंत्री का बंगला और पूरे पंजाब भवन को अपने अधिकार में लेने पर भी सवाल उठाया। कैप्टन ने कहा कि हरीश चौधरी के इन सब खर्चों का भुगतान आखिर कौन कर रहा है, जहां बैठ कर चौधरी मुख्यमंत्री और बाकी मंत्रियों सहित अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं। कैप्टन ने चौधरी के उस आरोप को भी निंदनीय बताया, जिसमें उसने उन पर मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा के साथ हाथ मिलाने की बात कही थी। कैप्टन ने कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री या भाजपा के साथ सांझेदारी रखते तो किसान आंदोलन की हिमायत न करते और न ही कृषि कानून रद्द करने और कानून के खिलाफ विधानसभा में कानून पास करने की मांग करते। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मुलाकात की और अब नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मिले हैं। इसलिए मूर्खतापूर्ण तर्क के मुताबिक क्या चन्नी को भी भाजपा से समझौता किया हुआ मान लेना चाहिए और खुद को बर्खास्त करने का इंतजार करना चाहिए। 

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किसी पार्टी प्रभारी ने पहली बार प्रदेश को बनाया पक्का ठिकाना
कैप्टन ने यह भी तंज कसा कि यह पहली बार है कि किसी पार्टी प्रभारी ने राज्य को अपना पक्का ठिकाना बनाया है। कैप्टन ने कहा कि उन्होंने 14 प्रभारियों के साथ काम किया लेकिन सभी ने बहुत कम समय के लिए पंजाब में दखल दिया। एक प्रभारी को राज्य में ठिकाना बनाने की जरूरत नहीं होती। उसका काम केवल आपसी तालमेल बनाकर रखने और पार्टी हाईकमान को जरूरी फीडबैक देना होता है। इसके उलट चौधरी पंजाब में मुख्यमंत्री की शक्ति और विशेषाधिकार का आनंद उठा रहे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री चन्नी को एक रबड़ स्टैम्प समझकर हिदायतें जारी कर रहे हैं। कैप्टन ने कहा कि चौधरी जिस तरह से मंत्रिमंडल व अधिकारियों की बैठकों में शामिल हो रहे हैं, वह गैर-कानूनी व असंवैधानिक है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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