कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 07:33 PM (IST)

जालंधर (धवन): पंजाब तथा हरियाणा के मध्य नदी जल विवाद का निपटारा करने के लिए चाहे सुप्रीमकोर्ट ने 4 महीने का समय और दे दिया है परन्तु अब पंजाब में दरियाओं के पानी का नए सिरे से पता लगाने के लिए नया ट्रिब्यूनल स्थापित करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य के दरियाओं में पानी की मात्रा काफी कम हो चुकी है इसलिए उसका नए सिरे से पता लगाने की जरूरत है। इसके लिए नया ट्रिब्यूनल बनाकर पुन: पानी की समीक्षा करने की जरूरत है। 

कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि दरियाओं के पानी का मुद्दा सीधे तौर पर कानून-व्यवस्था की स्थिति से जुड़ा हुआ है। राज्य के लोग किसी भी हालत में पंजाब का पानी अन्य राज्य को जाने नहीं देंगे। इसलिए मामले की संवेदनशाीलता को देखते हुए नया ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए। पत्र में मुख्यमंत्री ने पंजाब में लगातार गिरते भू-जल का भी हवाला दिया है। मुख्यमंत्री का मानना है कि 1986 में इराडी ट्रिब्यूनल ने रावी-ब्यास के पानी की असैस्मैंट की थी। इन 30 वर्षों में दरियाओं में पानी की मात्रा काफी कम हो गई इसलिए पानी का बंटवारा करने के लिए नए सिरे से समीक्षा करके ही कोई फैसला हो सकता है। 

दरियाओं में अब पानी की मात्रा 14.34 एम.ए.एफ. रह गई
इराडी ट्रिब्यूनल ने जब दरियाओं में पानी की मात्रा का पता लगाया था तो उस समय पानी की मात्रा 19 एम.ए.एफ. (मिलियन एकड़ फुट) थी परन्तु अब पानी की मात्रा कम होकर 14.34 एम.ए.एफ. रह गई है। राज्य सरकार का यह भी मानना है कि अगर नहर बनाई जाती है तो उस स्थिति में 10 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि खराब हो जाएगी। पंजाब में इस समय कुल कृषि भूमि 105 लाख एकड़ है जबकि हरियाणा में 80 लाख एकड़ है। हरियाणा पंजाब के पानी पर इसलिए दावा कर रहा है क्योंकि कभी हरियाणा पंजाब का हिस्सा हुआ करता था। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का कहना है कि हरियाणा को यमुना के पानी पर भी अपना अधिकार जताना चाहिए। ऐसा करने से हरियाणा की पंजाब पर निर्भरता नहीं रहेगी।


 

Mohit