कैप्टन सरकार की बढ़ीं दिक्कतें, पंजाब में अवैध शराब फैक्टरियों का मामला ED के राडार पर

punjabkesari.in Saturday, Jun 13, 2020 - 09:12 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): कोविड-19 को लेकर लगाए कर्फ्यू/लॉकडाऊन के दौरान राज्य में अवैध शराब की फैक्टरियों के पकड़े जाने के उपरांत पंजाब में शराब के गैर-कानूनी कारोबार का मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अवैध शराब के कारोबार को लेकर अकाली दल और भाजपा सीधे तौर पर पंजाब की कै. अमरेन्द्र सरकार व कांग्रेस पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं, परंतु अब गैर-कानूनी शराब के कारोबार का मामला इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) के राडार पर आ गया है। ई.डी. ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। जालंधर ई.डी. विभाग ने पंजाब पुलिस को एक पत्र लिखकर अवैध शराब की फैक्टरियों संबंधी सारे रिकार्ड के साथ-साथ दर्ज की गई सभी एफ.आई.आर., जांच  रिपोर्टों, बैंक खातों के विवरण आदि के जो भी दस्तावेज शराब कारोबार से संबंधित हैं, ई.डी. को उपलब्ध करवाने को कहा है। पटियाला के एस.एस.पी. मनदीप सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने अधिकारियों को जल्द ही पत्र का जवाब भेजने को कहा है। ई.डी. जोकि प्रीवैंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पी.एम.एल.ए.) के अधीन जांच कर रहा है,  अवैध शराब फैक्टरियों को लेकर पुलिस द्वारा दर्ज की गई सभी 11 एफ.आई.आर. जोकि पटियाला, खन्ना और लुधियाना में दायर की गई हैं, उस पर नजर गढ़ाए हुए है। जिक्रयोग्य है कि 14 मई को एक गैर-कानूनी शराब बनाने का प्लांट गनुर हलका के शंभू इलाके में पकड़ा गया और उसमें कांग्रेसी विधायक के करीबी दिपेश कुमार जोकि इस सारे कारोबार का कत्र्ताधत्र्ता है, को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दो दिनों बाद गैर-कानूनी शराब बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ एक्स्ट्रा नैचुरल अल्कोहल (ई.एन.ए.) अकाली नेता और पंचायत समिति के मैंबर दर्शन सिंह के ट्यूबवैल से बरामद की गई। इस तरह खन्ना में अवैध शराब बनाने के प्लांट को ध्वस्त किया जाना भी ई.डी. की जांच के अधीन है। 

ई.डी. की नजर अवैध शराब के कारोबार को लेकर मनी ट्रांजैक्शन पर टिकी हुई है। एक रिपोर्ट मुताबिक गनुर में जो अवैध शराब की फैक्टरी पकड़ी है, वहां केवल 5 महीनों में तकरीबन 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हुआ है। ई.डी. द्वारा पटियाला पुलिस को पत्र लिखकर दर्ज की गई एफ.आई.आर. की फोटो कापियों समेत आरोपियों की संपत्तियों संबंधी सभी दस्तावेजों की भी मांग की है। ई.डी. ने एक्साईज एंड टैक्सेशन डिपार्टमैंट से सप्लाई और मैन्युफैक्चरिंग चेन ई.एन.ए. का विवरण भी मांगा है। पंजाब में अवैध खराब के कारोबार का खुलासा होते ही विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर माफिया को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं क्योंकि शराब की अवैध फैक्टरी से रोजाना 1000 पेटी शराब जोकि विभिन्न ब्रांडों की होती थी, कफ्र्यू के दौरान राज्य भर में सप्लाई होती रही है। विरोधियों के आरोपों में घिरे मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा एक स्पैशल इंवैस्टीगेशन टीम का गठन करते हुए एक एक्साइज कांट्रैक्टर ग्रुप का भी गठन किया गया है जो अवैध शराब बनाने वाले होलसेलर व रिटेलर के बीच बने पुल को तोडऩे का काम करेगा, परंतु विपक्ष इस सारे मामले में सीधा मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहा है क्योंकि शराब फैक्टरी कै. अमरेन्द्र सिंह के गृह जिले में चल रही थी और दूसरा गृह व एक्साइज विभाग खुद मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा हुआ है।अकाली-भाजपा व ‘आप’ नेताओं का कहना है कि क्या कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को इस सारे कारोबार के बारे में पहले से ही पता था या उनके विभाग के अधिकारियों ने इतना बड़ा अवैध धंधा उनसे जान-बूझ कर छिपाए रखा। अब ई.डी. द्वारा इस मामले की जांच शुरू करने से एक बात तो यकीनी हो गई है कि इस अवैध कारोबार में शामिल राजनीतिक नेताओं की दिक्कतें आने वाले दिनों में खासी बढऩे वाली हैं। 

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