कांग्रेस हाईकमान के दरबार पहुंचा कैप्टन- जाखड़, बाजवा-दूलो में पनपा विवाद

punjabkesari.in Wednesday, Aug 12, 2020 - 11:54 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): पंजाब की राजनीति में मुख्यमंत्री  अमरेन्द्र और पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के खिलाफ राज्यसभा सांसदों प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो के मध्य पनपी तल्खी और दोनों धड़ों द्वारा एक-दूसरे पर किए जा रहे राजनीतिक हमलों का मामला कांग्रेस हाईकमान के दरबार में पहुंच चुका है। जाखड़  और बाजवा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करके उन्हें प्रदेश के राजनीतिक हालातों से अवगत करवाएंगे।  
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बाजवा ने अपना स्टैंड क्लीयर करते हुए बताया कि पंजाब में आज रेत-बजरी, केबल, ट्रांसपोर्ट व शराब माफिया उसी ढंग से काम कर  रहा है जैसे अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान करता था। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौतें इस बात की गवाह हैं कि किस प्रकार राजनीतिक संरक्षण के चलते माफिया ने पंजाब में अपनी जड़ें कायम कर रखी हैं। अगर हाईकमान ने 2022 में कांग्रेस को फिर से रा’य की सत्ता पर काबिज देखना है तो कांग्रेस के जहाज के पायलट मुख्यमंत्री अमरेन्द्र और को-पायलट सुनील जाखड़ को तुरंत बदलना होगा। वहीं जाखड़ भी सोनिया  गांधी से मिलकर बाजवा व दूलो के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की मांग करेंगे। जाखड़ का कहना है कि बाजवा व दूलो सस्ती शोहरत के लिए सरकार पर कीचड़ उछाल रहे हैं। वहीं दूलो ने कहा कि जब 120 लोग जहरीली शराब की भेंट चढ़ जाएं तो ऐसे मामले के खिलाफ आवाज उठाना अनुशासनहीनता नहीं है। अब देखना होगा कि कांग्रेस अध्यक्षा के साथ कब मुलाकात होगी और शिकायतों के नए दौर में किस नेता की सुनवाई होती है। 

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बाजवा से छीनी थी कैप्टन ने प्रधानगी 
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र  और सांसद प्रताप सिंह बाजवा के मध्य पनपा विवाद कोई नया नहीं है। वर्ष 2016 में जब बाजवा प्रदेश कांग्रेस के प्रधान थे तब उन्होंने गली-गली जाकर कांग्रेस को संगठित किया परंतु अमरेन्द्र का गुट उस समय हावी था जिसके चलते कै. अमरेन्द्र  समर्थकों ने बाजवा का  विरोध शुरू कर दिया। यहां तक कि अमरेन्द्र व उनके समर्थक कद्दावर नेताओं ने बाजवा को न हटानेे पर पंजाब में अलग पार्टी बनाने तक के संकेत दे दिए थे। कांग्रेस हाईकमान ने  अमरेन्द्र के दबाव में बाजवा को प्रदेश प्रधान पद से हटाकर अमरेन्द्र के हाथों में कमान सौंप दी थी। 

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बवाल ले सकता है जाखड़ की बलि
सूत्रों की मानें तो पंजाब की राजनीति में उठा बवाल सुनील जाखड़ की बलि ले सकता है और जाखड़ को प्रदेश प्रधानगी से हाथ धोना पड़ सकता है। जिक्रयोग्य है कि 2017 में मुख्यमंत्री बनने के उपरांत अमरेन्द्र ने सुनील जाखड़ को कांग्रेस प्रधान बनवा दिया था जबकि जाखड़ अबोहर विधानसभा हलके से उस समय एक पार्षद से हार गए जब राज्य में कांग्रेस की लहर थी। इसके उपरांत गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रताप बाजवा को टिकट न मिले, इस कारण  अमरेन्द्र ने जाखड़ को उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट दिलवा दी परंतु 2019 के लोकसभा चुनावों में जाखड़ गुरदासपुर से करीब 1 लाख वोटों के अंतर से हार गए। अब बाजवा का सबसे बड़ा निशाना जाखड़ हैं। सूत्रों की मानें तो हाईकमान अमरेन्द्र को तो नहीं अपितु जाखड़ को बदलकर फिलहाल कांग्रेस में बनी गुटबाजी के माहौल को शांत करेगी, जिससे माना जा रहा है कि अब जल्द ही प्रदेश कांग्रेस को नया चेहरा मिलने जा रहा है। 


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