कैप्टन की नाराज़गी 2022 में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

punjabkesari.in Monday, Sep 20, 2021 - 11:04 AM (IST)

पटियाला (राजेश पंजौला): बेशक कांग्रेस पार्टी ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया है परन्तु यदि वह कांग्रेस से नाराज रहे तो 2022 में कांग्रेस को उनकी नाराजगी भारी पड़ सकती है। 1998 से ही कैप्टन अमरेंद्र सिंह कांग्रेस पार्टी को चला रहे हैं। 2002 से 2007 तक बतौर मुख्यमंत्री उनका कार्यकाल बढिय़ा रहा है। इस दौरान किसानों की जमीनों के मूल्य 4 गुना बढ़ गए थे। 2007 और 2012 की विधानसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़े गए। बेशक कांग्रेस सरकार नहीं बनी थी परन्तु कैप्टन अमरेंद्र ङ्क्षसह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी 45 से अधिक सीटें लेकर गई। इसके बाद 2017 में पहली बार कैप्टन अमरेंद्र ङ्क्षसह के नेतृत्व में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतीं जोकि 1992 के चुनाव को छोड़ कर कांग्रेस पार्टी का रिकार्ड है। 

1992 के विधान सभा चुनाव में अकाली दल का बायकॉट था और कांग्रेस अकेली ही मैदान में थी, जिस कारण कांग्रेस को 92 सीटें मिली थीं परन्तु राजनीतिक तौर पर इसके कोई मायने नहीं थे। केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से कृषि सुधार के नाम पर के पास किए गए तीन काले कानूनों के खिलाफ पंजाब का किसान सडक़ों पर है। 32 किसान यूनियनों ने संयुक्त किसान मोर्चा बना कर पिछले एक साल केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया हुआ है। कैप्टन अमरेंद्र ङ्क्षसह ने बतौर मुख्यमंत्री इस आंदोलन को डटकर समर्थन दिया और किसानों के हक में डट कर लड़ाई लड़ी। 

उन्होंने मुख्यमंत्री होते पुलिस को हुक्म जारी किए थे कि संघर्ष कर रहे किसी भी किसानों पर ‘डंडा’ न चलाया जाए। पंजाब के बाद किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठ गए। कई किसान संगठन कैप्टन के कायल हो गए। बेशक अब वह मुख्यमंत्री नहीं रहे परन्तु किसानों के दिलों में कैप्टन के प्रति विशेष प्यार है। इसके अलावा पंजाब का हिन्दू वर्ग कैप्टन के राज में अपने आप को सुरक्षित मानता है। कैप्टन अमरेंद्र ङ्क्षसह एक मजबूत प्रशासक के तौर पर जाने जाते हैं। 

उनके राज में हमेशा ही अमन कानून की स्थिति कायम रही है। गुंडागर्दी को उन्होंने हमेशा नकेल डाल कर रखी है। आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ उनका सख्त स्टैंड रहा है। ऐसे हालातों में यदि कांग्रेस कैप्टन को नजरअंदाज करती है तो पंजाब की शहरी सीटों पर हिंदू वर्ग कांग्रेस के खिलाफ जा सकता है। 
इसी तरह किसान भी कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जा सकते हैं। जिला पटियाला, मोहाली सहित मालवा इलाके में कैप्टन का बड़ा जन आधार है। वह एक ऐसे नेता हैं जो पंजाब के किसी भी हिस्से से चुनाव लड़ कर विधायक या एम.पी. बनते रहे हैं। वह पटियाला शहर से कई बार विधायक, समाना से बिना मुकाबला विधायक, तलवंडी साबो से विधायक, अमृतसर से भाजपा के चोटी के नेता स्व. अरुण जेटली को हरा कर 2014 में एम.पी. बन चुके हैं। पंजाब के हर क्षेत्र में उन का आधार है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को कैप्टन अमरेंद्र सिंह को अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है।

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Content Writer

Tania pathak

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