भाजपा में होगा कैप्टन की ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ का विलय !

punjabkesari.in Tuesday, Dec 28, 2021 - 04:50 PM (IST)

जालंधर(नरेश कुमार): पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भले ही सियासी गतिविधियों में खुद को अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के साथ करने की कोशिशों में जुटे दिखा रहे हों लेकिन माना जा रहा है कि कैप्टन जल्द ही इस पार्टी का भाजपा में विलय करवा सकते हैं। कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस द्वारा पार्टी के गठन के लिए 24 नवंबर को ही अख़बारों में इश्तिहार देकर आपत्तियां मांगी गई थी और इस पर आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए दिया गया एक माह का समय 24 दिसंबर को पूरा हो गया है। इसके बाद चुनाव आयोग पार्टी को औपचारिक मंजूरी दे सकता है और औपचारिक मंजूरी के बाद ही कैप्टन की पार्टी को चुनाव चिन्ह आबंटित होगा।  

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चुनाव चिन्ह न होना सबसे बड़ी मजबूरी
पंजाब के लोग कैप्टन अमरेंद्र सिंह के चेहरे से भले ही बहुत अच्छे से वाकिफ हों लेकिन चुनाव के दौरान वोट पार्टी के चुनाव चिन्ह पर पड़ता है और यह चुनाव चिन्ह जब तक अलॉट होगा तब तक चुनाव की घोषणा हो चुकी होगी। ऐसे में एक से डेढ़ महीने के समय के भीतर आम जनता में चुनाव चिन्ह को लेकर जाना और इसे लोकप्रिय बनाना आसान काम नहीं है। ऐसे में कैप्टन समर्थक वोट कन्फ्यूज हो सकता है और सत्ता विरोधी वोट के बंटवारे में अहम भूमिका निभा सकता है। जाहिर है कैप्टन चुनाव में वोट कटुआ की भूमिका नहीं निभाना चाहेंगे।  

कैप्टन के पास संगठन नहीं
भाजपा के साथ पार्टी के विलय के पीछे कैप्टन अमरेंद्र सिंह की दूसरी बड़ी मजबूरी उनकी पार्टी का संगठन न होना है। पार्टी की घोषणा के बाद हालंकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह विभिन्न इलाकों में पदाधिकारियों की भर्ती कर रहे हैं लेकिन उनके पास जमीनी कार्यकर्ता नहीं है। जमीनी कार्यकर्ता के मामले में भाजपा पंजाब में ज्यादा मजबूत दिखती है और भाजपा के पास पंजाब में आर.एस.एस. का भी संगठन मौजूद है, लिहाजा संगठन की कमी भी कैप्टन की पार्टी के भाजपा के विलय का दूसरा आधार बन सकती है।

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कैप्टन समर्थक बड़े नेता भाजपा के संपर्क में
कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा अपनी पार्टी का गठन किए जाने के बावजूद कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार में मंत्री रहे नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। हाल ही में गुरुहरसहाय से चार बार विधायक रहे राणा गुरमीत सोढी ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पार्टी में जाने की बजाय भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है। माना जा रहा है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह तय रणनीति के तहत ही अपने समर्थक नेताओं को भाजपा में शामिल करवा रहे हैं और आने वाले दिनों में उनकी सरकार में मंत्री रहे कई वरिष्ठ नेता भी भाजपा के साथ जा सकते हैं। कैप्टन अमरेंद्र ने 2002 में अपनी सरकार के दौरान कई कांग्रेसी नेताओं के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं। इसके अलावा पिछले चुनाव के दौरान जिन विधायकों को कैप्टन अमरेंद्र ने टिकट दिलाई थी वह भी उनके संपर्क में बताए जाते हैं। ऐसे नेताओं का यदि कांग्रेस में टिकट कटा तो वह भाजपा के साथ जा सकते हैं।

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मनप्रीत नहीं बनना चाहेंगे कैप्टन
कैप्टन अमरेंद्र सिंह को पंजाब की राजनीती का लंबा अनुभव है और वह मंझे हुए राजनेता हैं लिहाजा वह पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल द्वारा 2012 में की गई गलती नहीं दोहराना चाहेंगे। 2012 में मनप्रीत बादल ने अकाली दल से अलग होकर अपनी नई पार्टी पीपल्ज पार्टी ऑफ पंजाब का गठन किया था और अकाली दल के मुकाबले चुनाव मैदान में उतर आए थे। मनप्रीत की पार्टी को उस चुनाव में 5.04 प्रतिशत वोट तो जरूर हासिल हुए लेकिन पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए 87 उम्मीदवारों में से 77 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी और मनप्रीत खुद भी चुनाव हार गए थे। इस पार्टी का गठन भी विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले ही हुआ था। मनप्रीत की पार्टी द्वारा बांटे गए सत्ता विरोधी वोट के चलते ही अकाली दल और भाजपा का गठबंधन दोबारा पंजाब की सत्ता पर काबिज हो गया था।

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Content Writer

Sunita sarangal

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